राजकुमार राव का फ़िल्मी सफर

राजकुमार राव हर किरदार इतने बखूबी से निभाते हैं कि लगता है वो बने ही उनके लिए हैं। बरेली की बर्फी में प्रीतम का चुलबुला और काल्पनिक किरदार हो या शाहिद जो एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म थी उसमे उन्होंने एक कानून से परेशान नौजवान का किरदार किया। शाहिद के किरदार के लिए 2013 में उनको नेशनल फिल्म अवार्ड भी मिला था।

राजकुमार राव का जन्म 31 अगस्त 1984 को गुड़गाँव के गावं अहिरवाल में हुआ; जन्म के वक़्त उनका नाम राज कुमार यादव था। राजकुमार राव को अभिनय का कीड़ा 11वी कक्षा मे लगा क्योंकि जब वो 11वीं में थे तब उन्होंने एक नाटक मे मुख्य भूमिका अदा की जिसकी हर किसी ने खूब तारीफ की। बस यही बात दिल मे घर कर गयी की काम भी अच्छा और तारीफ भी अब तो बस यही करना है। राजकुमार कहते हैं की जब वो फिल्म देखते थे तो बिलकुल वैसे ही हो जाते थे। अगर उन्होंने सनी देओल की घातक देखी तो वो काशी बन जाते और अग्निपथ देख ली तो महीनों तक विजय चौहान बने रहते थे।

गुड़गाँव के ब्लू बेल मॉडल स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद राजकुमार राव ने दिल्ली विश्वविद्यालय के आत्मा राम सनातन धर्म कॉलेज से कला मे अपनी डिग्री पूरी की। कॉलेज के वक़्त मे वो क्षितिज थिएटर ग्रुप से भी जुड़े रहे जो श्री राम सेंटर मे अपने नाटक का मंचन किया करता था। वो एक अच्छे कलाकार बन चुके थे लेकिन उनको लगता था कि अभी बहुत कुछ है जो सीखना बाकी रह गया है। बस यही सोचकर उन्होंने देश के सर्वोच्च फिल्म संस्थान फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में दाखिला लिया और 2008 मे जब वो वहां से निकले तो सीधा मुंबई का रुख किया। एक साल तक कोई काम नहीं मिला इन दिनों मे उनका एक दोस्त था जो इनके विडियो शूट करता था और यही विडियो वो प्रोडक्शन हाउस को भेजते थे। इसी सफ़र मे उनको पता चला की दिबाकर बैनर्जी अपनी फिल्म लव सेक्स धोखा के लिए नये चेहरे की तलाश में हैं। राजकुमार राव ने इस फिल्म के लिए ऑडिशन दिया और बात बन गयी, उसके बाद उन्होंने पीछे मुड के नही देखा। आपको लग रहा होगा कितना आसान सफ़र रहा लेकिन आपने एक बात गौर की, जब उन्हें पहली तारीफ मिली तब उन्होंने ये सोचा भी होगा की वो बनेगें अभिनेता ! और फिर उन्होंने इसके लिए पूरी मेहनत भी की, राजकुमार राव ने अहंकार को खुद से दूर रखा और सीखना नहीं छोड़ा बस यही उनकी सफलता का राज़ है।

 

लेखक:
विभु राय