21वीं सदी है सबकुछ बदल रहा है

21वीं सदी है सबकुछ बदल रहा है। सच बात है, सबकुछ कितना आधुनिक होता जा रहा है। तकनीकि से भरी इस दुनियां नें सभी को कितना दूर कर दिया है , मोबाइल फ़ोन , ईमेल , फेसबुक एवं व्हाट्सएप्प इत्यादि कहने को तो सोशल नेटवर्क हैं पर इनमें वो बात कहाँ जो इंसान के मिलने में है। 21वीं सदी के बदलते मायनों नें प्रेम करने वालों को भी अपनी तकनीकि के गिरफ्त में ले लिया है। विभू राय कृत यह कविता इसी विषय पर आधारित है।

 

21वीं सदी है सबकुछ बदल रहा है !
21वीं सदी है सबकुछ बदल रहा है !!

खतों का दौर खत्म हो गया अब इशक में
फेसबुक व्हाट्सएप्प का ट्रेंड चल रहा है;
21वीं सदी है सबकुछ बदल रहा है !!

अब नहीं लिखी जाती महबूब की यादों में डूबकर शायरी;
गूगल पर जो प्रेम सामग्री है;
उसी बैशाखी के सहारे,
प्यार होले-होले आगे बढ़ रहा है;
21वीं सदी है सबकुछ बदल रहा है !!

इस 21वीं सदी के प्रेम का कमाल तो देखिये
कालू की जानेमन आउट ऑफ़ टाउन गयी है;
तो जानेमन की सहेली से चैटिंग करके ही,
कालू का दिल बहल रहा है;
21वीं सदी है सबकुछ बदल रहा है !!

कालू अपना शरीफ है, लड़का थोड़ा नेक है
तभी उसकी जानेमन एक है;
वरना एक ही इंसान का जाने कितनो से
ऑनलाइन प्रेम चल रहा है;
21वीं सदी है सबकुछ बदल रहा है !!

और भाईयों, बहनों, मित्रों जब से आया है सोशल मीडिया
डरने की जरुरत नहीं, किसी को भी अपना सपोज़ कर लो,
और मन करें तो अगले ही पल प्रपोज़ कर लो;
ये वो जगह है जहाँ बिना सैंडल के ही
सामने वाली का इरादा पता चल रहा है;

21वीं सदी है सबकुछ बदल रहा है !!

 

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