बीजेपी का दूल्हा कांग्रेस की दुल्हन

न मजहब नजर आता है, न जात दिखती है,
जब से हुआ है दिल उसका बस,
उसी की सूरत दिन रात दिखती है !!

ऊपर की पंक्ति कल भी सही थी आज भी सही है और आगे भी रहेगी। मध्यप्रदेश के दो युवा राजनीतिक़ारों नें इस बात को सच कर दिखाया है। दोनों ही अलग अलग पार्टी से जुड़े हुए हैं। दुल्हन हिमाद्री सिंह कांग्रेस की नेता हैं और कांग्रेस के टिकट पर शहडोल का उपचुनाव लड़ चुकी हैं। वो पार्टी छोड़ के बीजेपी में शामिल तो नहीं हो रही लेकिन उनका दिल बीजेपी के नेता नरेंद्र सिंह मारवी से मिल चुका हैं। दोनों ही बहुत जल्द विवाह बंधन मे बंध जायेंगे, नरेंद सिंह मारवी ने 2009 में लोकसभा का चुनाव हिमाद्री सिंह की माता राजेश नंदनी के खिलाफ लड़ा था जिसमे वो 13,415 मतों से हार गये थे।

हार जीत कल की बात है लेकिन दोनों के आज की बात करें तो वर्तमान मे हिमाद्री सिंह मध्यप्रदेश मे कांग्रेस की ओर से जनजातीय और युवा चेहरा हैं तो वहीं  दूसरी तरफ़ नरेंद्र सांसद अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हैं। मीडिया कर्मियों से बात करते हुए नरेंद्र ने कहा की मैंने हिमाद्री की माँ के खिलाफ 2009 मे चुनाव लड़ा और मैं हार गया। यह कुछ समय पहले की बात है, लेकिन सच में मैंने यह कभी नही सोचा था कि मैं हिमाद्री से शादी करूंगा। हिमाद्री ने बहुत कम उम्र मे अपने पिता को खो दिया और माँ का भी पिछले वर्ष मई मे निधन हो गया।

हिमाद्री और नरेंद्र इसी साल 23 नवंबर 2017 को दाम्पत्य जीवन मे बंध जायेंगे। 28 साल की हिमाद्री दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट हैं और 39 साल के नरेंद मैकेनिकल इंजीनियर हैं, और अनूपपुर से बीजेपी युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष हैं। आज भी उनका कहना ये है की मैं बीजेपी का कार्यकर्ता हूं और बाकी जीवन मे भी यही रहना चाहता हूं। बेशक रहिये लेकिन बड़ा सवाल ये की हिमाद्री का क्या ? वो कांग्रेस मे रहेंगी या नहीं ? ये सवाल सबके मन मे एक बार तो जरुर आयेगा की हिमाद्री क्या करेंगी। इस सवाल का जवाब देते हुए हिमाद्री कहतीं हैं की मेरे माता-पिता शुरू से कांग्रेस में थे, यहां तक कि मैंने अपने बचपन मे कांग्रेस पार्टी को ही अपने चारों के अनुरूप पाया है। लेकिन माँ के निधन के बाद परिवार के बड़ो ने ये तय किया कि मुझे शादी कर लेनी चाहिए। ये मेरे परिवार का निर्णय है ; राजनीति से हमारे वैवाहिक जीवन में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

व्यक्तिगत जीवन और राजनीतिक जीवन दोनों ही अलग होता है; जब तो विपरीत विचारधाराओं के व्यक्ति साथ कदम बढ़ाने लगते हैं तब यह समझ जाना चाहिए कि सच में समाज एक हो चुका है। नरेंद्र सिंह मारवी और हिमाद्री सिंह को हमारी ढेरसारी शुभकामनाएं।

 

लेखक:
विभू राय