आज़ाद भारत के पहले वोटर ‘श्याम सरन नेगी’ के लिए हिमाचल चुनाव में हो रहे हैं खास इंतज़ाम

गुजरात और हिमाचल मे चुनावी बिगुल बज चुका है, जहाँ सबकी नज़र नरेंद्र मोदी के गुजरात विकास मॉडल पर टिकी है। वहीं हिमाचल की तरफ़ मीडिया का ध्यान आकर्षित करने वाले हैं आज़ाद भारत के पहले वोटर ‘श्याम सरन नेगी’ । श्याम सरन नेगी के लिए इस बार खास इंतज़ाम किये जा रहे हैं क्योंकि उम्र के इस पड़ाव पर वो ठीक से चल फिर नहीं पाते हैं। इसलिए 9 नवम्बर 2017 को उनको घर से पोलिंग बूथ तक ले जाने के लिए चुनाव आयोग विशेष गाड़ी भेजगा, जो उनको वापस घर भी लेकर जाएगी। पोलिंग बूथ पर श्याम सरन नेगी के स्वागत के लिए भी कई इंतज़ाम किये जायेंगे।

श्याम सरन नेगी देश के पहले वोटर कैसे बने:

जब देश के पहले आम चुनाव होने पर विचार चल रहा था तो हिमाचल प्रदेश मे बर्फ गिरनी शुरू हो गयी थी। बर्फ गिरने की शुरुआत सर्दी के साथ ही हो जाती है, जिस कारण चुनाव आयोग नें यह फैसला किया की हिमाचल मे सबसे पहले यानी सर्दी की शुरुआत में ही चुनाव करवा लिए जाएं। उसके बाद तारीख निश्चित हुई 25 अक्टूबर 1951 और देश के पहले वोटर “श्याम सरन नेगी” की उम्र उस वक़्त थी 34 साल और वो स्कूल मे अध्यापक हुआ करते थे। आपको ये बताते चलें की देश के बाकी हिस्सों में आम चुनाव 1952 की जनवरी और फरवरी में पूरा हुआ था।

हिमाचल मे सबसे पहले चुनाव और श्याम सरन नेगी का पेशे से मास्टर होना ही है जिसने उनको आज़ाद भारत का पहला वोटर बनाया।

श्याम सरन नेगी का निजी जीवन:

1 जुलाई 1917 को हिमाचल प्रदेश के ‘कल्प’ में जन्मे श्याम सरन नेगी ने हाल ही में अपने जीवन के 100 साल पुरे किये। जैसा हमने आपको बताया की 1951 मे वो एक स्कूल मास्टर के पद पर कार्यरत थे; जिससे उन्हें 1975 मे निवृत्त ली यानि वो मास्टर के पद से रिटायर हो गए। 1951 से अब तक उन्होंने हर चुनाव मे अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।

1951 से अब तक हर चुनाव मे चाहे वो लोकसभा का हो या विधानसभा का श्याम सरन नेगी वोट करने जरुर जाते हैं।

2010 मे जब चुनाव आयोग अपनी हीरा जयंती समारोह (डायमंड जुबली) मना रहा था तो उस वक़्त के मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चवाला, श्याम सरन नेगी के गांव पहुंचे और उनको चुनाव आयोग की तरफ़ से सम्मानित किया।

2014 में गूगल इंडिया ने एक सार्वजनिक सेवा घोषणा की जिसमे नेगी ने अपनी पहली चुनाव भागीदारी के बारे मे बताया और देश के सभी लोगों से वोट डालने की अपील भी की।

 

लेखक:
विभू राय