Positive Thinking साकारात्मक सोच कैसे बनाएं – पॉजिटिव सोच जीवन में आगे बढ़ने के लिए जरूरी
पृथ्वी पर मौजूद अन्य जीवों की तरह मानव भी एक जीव है पर यहाँ एक बात गौर करने लायक है की सम्पूर्ण पृथ्वी पर हर एक जीव अपने आप में कई प्रकार की प्रजातियों को सम्मलित किये हुए है। किन्तु मानव रुपी इस विशेष प्रकार के जीव की कोई अन्य प्रजाति नहीं है। न तो उड़ने वाले मानव हैं, न पानी में रहने वाले मानव, न बर्फ में रहने वाले मानव, न पेड़ में रहने वाले मानव, न जमीन के अंदर रहने वाले मानव अर्थात पूरे विश्व में उपस्थित सभी मानवों की प्रकृति बिलकुल एक जैसी ही है। वहीँ अगर हम पृथ्वी पर मौजूद अन्य जीवों की बात करें तो हर जीव अपनी अन्य प्रजाति से भिन्नता रखता है जैसे साँप की कई प्रजातियां, मखियों की कई प्रजातियां, मवेशियों की कई प्रजातियां, कुत्ते बिल्ली व शेर की कई प्रजातियां, मच्छर या कॉक्रोच की कई प्रजातियां इत्यादि।आखिर ये कैसा चमत्कार है ? केवल मनुष्य ही एक यूनिक प्रजाति है इस सम्पूर्ण पृथ्वी पर। शायद यही बात हमें ईश्वर में आस्था पैदा करती है जिसके आगे विज्ञान भी विवश दिखाई पड़ता है।
अपनी इसी विशेष प्रकृति की वजह से मानव नें पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवों पर विजय प्राप्त की है और सबसे बुद्धिमान प्राणी कहलाया है। आज हम इसी बुद्धिमान प्राणी अर्थात मानव की बात करेंगे। मैं मानव के अतीत में नहीं जाना चाहता, मेरा यहाँ केवल एक उद्देश्य है यह बताने का, की मानव (स्त्री/पुरुष) जब आशावादी होता है तो वह चाँद पर पहुँच जाता है पर जब वह निराशावादी होता है तो वह केवल मानव रुपी जीव बनकर रह जाता है। जिस प्रकार पूरे ब्रम्हाण्ड में समय आगे बढ़ता जा रहा है जिसके साथ यहाँ उपस्थित सौरमंडल के अलावा उनपर मौजूद जीवन भी समय के बहाव में आगे बढ़ता जा रहा है। अर्थात हमारे जीवन में अतीत में जाने का कोई रास्ता नहीं है इसलिए हमें हमेशा प्रकृति के नियमों के अनुरूप सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ते जाना चाहिए।
Positive Thinking यानी साकारात्मक सोच हमें प्रेरित करती है आगे बढ़ने के लिए। असल में सोच भी एक ऊर्जा है तो क्या हम नकारात्मक सोच अपनाकर Negative Energy को ग्रहण करते जा रहे हैं ? विज्ञान अथवा प्रकृति के नियमों के अनुसार तो हम कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। तो आज से ही आप यह ठान लें की अपने मन व बुद्धि में नाकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होने देंगे। जीवन में सुःख व दुःख केवल कालचक्र का हिस्सा हैं जो स्वयं भी एक जगह स्थिर होकर नहीं रह सकते अर्थात बदलाव ही एक मात्र शाश्वत सच है। हालांकि इन बातों से लगभग सभी व्यक्ति परिचित हैं मगर फिर भी अवसाद की अवस्था में चले ही जाते हैं और जो नहीं जाता वो अपने जीवन में विजय प्राप्त कर लेता है। अगर हम विजयी मानवों के नाम को प्रस्तुत करें तो उनकी गिनती बहुत कम है क्योंकि विजयी मानव या तो अध्यात्म से जनम लेता है या फिर विज्ञान से। मानव संसार की वास्तविकता यह है की केवल कुछ ही मानवों नें धरा पर मौजूद अन्य मानवों के लिए जीवन का मार्ग प्रस्तुत किया और वे कुछ मानव आध्यात्मिक थे और कुछ वैज्ञानिक। बाकी बचे अन्य मानव केवल उनका अनुसरण ही करते रहे और मानव सभ्यता का संचालन करते रहे अर्थात की एक मानव से दूसरे मानव की उत्पत्ति। समय के बहाव के साथ इस मानव संसार में भोग-विलासिता की बातों और वस्तुओं का बोल बाला हो गया; यहाँ देखा जाय तो जिसके पास धन है वो विजयी मानव है, पर असल में ऐसा कुछ नहीं है यह केवल एक मिथ्या है भ्रम है जो वर्तमान में मानव संसार की हक़ीक़त बयां करता है जिसका वास्तविक विज्ञान या फिर अध्यात्म से कोई सरोकार नहीं है।
तो चलिए हम आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दुनियां में न जाकर केवल इस भोग विलासिता से भरे मानव संसार की ही बात करते हैं। अगर आप भी बुद्धिमान, धनी और भोग विलासिता के जीवन में शामिल होना चाहते हैं तो अपने अंदर Negative Energy का त्याग करना शुरू कर दें। केवल Positive Thinking ही एकमात्र जरिया है सांसारिक जीवन में सफलता पाने के लिए।
1- किसी अन्य सफल व्यक्ति को देख उसकी उपेछा या उससे अपने अंदर निराशा पैदा न करें। यह आप भी सोचें की मैं तो उससे भी अधिक सफलता हासिल कर सकता हूँ। सफल व्यक्ति की सफलता की सराहना करें और अपने मन को भी दृढ-प्रतिज्ञ बनाएं की आप भी सफल होकर रहेंगे।
2- जब कभी आप खुद से बात करते हों या आपके अंदर से कोई आवाज़ आती हो तो वह ध्वनि भी सकारात्मक ही होनी चाहिए। मैं ये जरूर करूँगा , मेरे लिए ये मुमकिन है , मैं इसे अपनी मेहनत से पा सकता हूँ , मैं पीछे नहीं रह सकता , मैं हार नहीं सकता , मैं जीतूंगा , मैं जरूर विजयी बनूँगा क्योंकि ऐसा मैं कह रहा हूँ। अंदर से निकलने वाली Positive Energy हमारी निराशा का नाश कर देती है और इस तरह आप आधी जंग जीत जाते हैं।
3- मनुष्य की हार स्वयं से होती है, स्वयं कोई और नहीं बल्कि वो हमारा मन है , विवेक है , चित व चेतना है , कर्मठता व लगन है , प्रेम है , जिज्ञासा है , हर्ष और उमंग है। अर्थात मन में स्फूर्ति रखना आवश्यक है; स्फूर्तिवान बनने के लिए दिनचर्या में परिवर्तन आवश्यक है। आप हमेशा स्फूर्तिवान रहे ये जरूरी है की आप Negative व्यक्तियों से दूरी बनाएं या फिर ऐसे व्यक्ति आपके अपने या करीबी मित्र हैं तो आप उनकी बातें सुन उसे शाश्वत सच न मान बैठें।
4- जीवन में सेलिब्रेशन जरूरी है क्योंकि वह जीवन में उत्साह को गति प्रदान करता है। अपनी छोटी से छोटी सफलता को सेलिब्रेट करें, हर छोटी परीक्षा को पास कर उसका जश्न मनाएं, हर बाधा को पारकर खिलखिलाएं; ये हमारे अंदर मौजूद Energy को दोगुना करता है। जब हम जश्न मानते हैं तो विजयी होने की अनुभूति करते हैं यही अनुभूति हमारी चेतना के लिए आवश्यक है।
5- कहीं कुछ खो जाने, लाख प्रयास के बावजूद उसे न हासिल कर पाने, किसी से जुदा हो जाने, किसी की मोहब्बत में ड़ूब जाने, स्वयं से ज्यादा किसी अन्य पे भरोसा कर जाने, बार बार की हार मिलने जैसी परिस्थियाँ हमारे मन में निराशा पैदा करती हैं। कई लोगों के साथ तो ऐसी स्थिति आती है की वे अपनी दुनियां ही भूल बैठते हैं। पर मैंने ऊपर ही कहा, की बदलाव ही एकमात्र शाश्वत सच है उसी पे भरोसा कीजिये। जो आपको छोड़कर गया वो आपका नहीं था जाने दो उसे। जो आपका खो गया वो आप दुबारा हासिल कर सकते हैं। किसी ने आपसे प्रेम का नाटक किया या फिर दिल तोडा जाने दो उसे क्योंकि प्रेम कभी ख़त्म न होने की वस्तु है वो आपके अंदर मौजूर है उसे किसी और के लिए पैदा कीजिये। हर विषम परिस्थिति में स्वयं के अंदर एक हुँकार भरिये की आप अभी हैं और जो खो गया वो आप दुबारा हासिल कर सकते हैं।
6- अत्यधिक रोना, अत्यधिक चिंतन करना, अत्यधिक घबराना ये सब कोरी बातें हैं इनको अपने आस पास भी भटकने ना दें। संसार में सबकुछ आपके द्वारा ही संचालित हो रहा है केवल उस परम परमेश्वर को छोड़कर ऐसे में अपनी हर समस्या को उसी के हवाले करिये जिसने आपकी उत्पत्ति की है। आप पुनः अपने आपको कर्मठ बनाते हुए लग जाइये जीवन के अगले पड़ाव पर।
7- कुछ बातें मानकर चलना अनिवार्य है जैसे विज्ञानं या मैथ में X Y N का मान या फिर समय के होने के बावजूद समय के न होने का मान। मानव को यह स्वीकारना ही होगा की परेशानियां , कठिनाईयां , बाधाएं , मुश्किलें , हानि ये सब रहेंगी हमारे जीवन में। इन बातों को हंसी से स्वीकार्य करें और इन बातों को उपहास कर इनसे पार निकलें। आखिर सबसे ताकतवर तो हमीं हैं फिर इनकी क्या मजाल की हमें डगमगा दे यह विचार रखना जरूरी है।
8- जो बीत चुका है वो वापस नहीं आ सकता क्योंकि समय आगे बढ़ रहा है पीछे नहीं। दुःख में अतीत की प्रसन्नता को न तलाशे बल्कि दुःख में और अधिक शक्ति के साथ उसे दूर भगाने की सोचें। अतीत की प्रसन्नता थोड़े समय के लिए चेहरे पर मुस्कान जरूर ला सकती है परन्तु जब हम अपने वर्तमान में पुनः वापस आते हैं तो एक तुलनात्मक दृष्टिकोण बन जाता है की काश वो दिन वापस आ जाते। बीता कल नहीं आएगा यही ब्रम्हाण्ड का सच है, अपनी यथा स्थिति को स्वीकार्य कीजिये और उसे मात देकर आगे बढिये।
9- पुरानी गलतियों को याद मत करिये, अगर आपने कुछ ऐसा कर दिया है जिससे आपको ग्लानि महसूस होती है तो उसे स्वयं से माफ़ी मांग भूल जाइये। गलतियों और ग्लानि से बाहर निकलना है तो एक बड़ी फतह हासिल करनी होगी जीवन में, जो उन गलतियों को ढक देगी और आप अत्यधिक बलवान और स्फूर्तिवान हो जायेंगे।
इस संसार में नाकारात्मक कुछ भी नहीं है वह केवल एक भ्रम है जिसे केवल साकारात्मक विचार से ही ध्वस्त किया जा सकता है।
लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा