फिल्म पटकथा (स्क्रिप्ट) कैसे लिखें और बेचें
अगर फिल्म का लेखन बंद हो जाए तो निर्देशक, एडिटर और फिल्म बनाने वाली कंपनी सब बंद हो जाएगीं। इस फिल्म जगत से जुड़ा हर इंसान एक लेखक पर निर्भर है। यहां तक कि सिनेमा हॉल वाला भी, क्योंकि वह भी तो फिल्म ही दिखायेगा । कुल मिलाकर ये कि, अगर कहानी में दम है तो आप जरुर एक फिल्म लेखक बन सकते हो। इस लेख मे मैंने सब बताने की कोशिश की है कि फिल्म पटकथा (Film Script) कैसे लिखें और उसे बेचें।
फिल्म की कहानी:
आपने कोई कहानी लिख छोड़ी है या आपके दिमाग है तो फ़ौरन उसे लिख लीजिये ऐसे जैसे आप जब कोई फिल्म देख कर आते हैं और किसी को उस फिल्म की पूरी कहानी सुनाते हैं। अब आप उस लिखी कहानी को तीन हिस्सों मे बाँट दीजिये, अगर आप ये करने मे असमर्थ हैं तो आप अपनी कोई भी पसंदीदा फिल्म देखिये और उसकी कहानी लिख कर तीन हिस्सों में बाँट दीजिये 1,2,3 ।
पहला भाग:
देखिये जहाँ से फिल्म शुरु होती है वो पहला भाग होता है उसमे जो हीरो या हीरोइन की ज़िन्दगी में कुछ अच्छा होता है जैसे वो मिलते हैं किसी कारण से या हीरो विलेंन को नीचा दिखा देता है।
दूसरा भाग:
दूसरा भाग वो होता है जिसमे मुश्किलें आतीं हैं और वो सुलझने की बजाये बड़ी होती जाती हैं।
तीसरा भाग:
अंतिम भाग वो जिसमे जब सब ठीक हो जाता है या फिर हीरो और हेरोइन मर जाते हैं।
याद रखिये आप रोमेंटिक लिख रहे हो , एक्शन लिख रहे हो , पारिवारिक लिख रहे हो तो ये भाग कभी नहीं बदलते। जैसे- पारिवारिक फिल्म “हम आपके हैं कौन” ले लीजिये।
इसके पहले भाग में सब कितना अच्छे से चल रहा होता है। सलमान के भाई और माधुरी की बहन की शादी होती है जिस वजह से वो दोनों मिलते हैं और फिर प्यार हो जाता है। अब दूसरा भाग देखिये सलमान की भाभी को जब ये बात पता चलती है की सलमान को उनकी बहन से प्यार है तो वो ये बात सबको बताने ही वाली होती हैं। तभी उनकी सीढियों से फिसलकर मौत हो जाती है , अब आ गयी न मुश्किल और ये मुश्किल बड़ी भी हो जाती जब सलमान के बड़े भाई से माधुरी का रिश्ता तय हो जाता है। उसके बाद तीसरा यानी अंतिम भाग वो जिसमे जो कुत्ता होता है सलमान का उसकी वजह से दोनों के प्यार का सबको पता चलता है और फिर सब सही हो जाता है।
ऐसा हर फिल्म की कहानी में होता है अगर आपकी फिल्म में आपको तीन भाग मिल जाएं तो इसका मतलब की आप की कहानी पूरी हो चुकी है।
पटकथा:
इसमें आपको सब कुछ तरीके से लिखना होता है बिलकुल गणित की तरह लेकिन ये आसन है अगर आपके पास भाग है तो आप इसे आसानी से लिख सकते हैं।
इसमें सबसे पहला सीन कहाँ का है और कब का है ? सुबह का है या रात का , इसके बाद घर के अन्दर है या बाहर का , बाहर का है तो – रोड है, पार्क है या और क्या है , अन्दर है तो भी ऐसे ही ऑफिस है , बेडरूम है या कुछ और।
उसके बाद आता है एक्शन इसका मतलब लड़ाई नहीं है, इसका मायने है की जो उस सीन में वो क्या कर रहा है या फिर वह क्या हो रहा है। जैसे- पार्टी सीन है तो लोग खा रहे हैं कुछ नाच रहे हैं आदि।
उसके बाद किरदार आता है वो जो आपकी फिल्म का हिस्सा है।
उसके ठीक नीचे सवांद आता है यानी Dialog जो आपका किरदार (पात्र) बोलता है।
तो ये सीन भी देख लीजिये:
सीन नंबर 1 – रात के 12 बजे हैं, रेड पैलेस हाल के अन्दर पार्टी चल रही – ये सीन है।
वहां पर कुछ लोग खान खा रहे हैं और कई लोग दारु पी रहे हैं तभी हीरो का पिता कहता है – ये एक्शन है।
हीरो का पिता (ख़ुशी से) – ये किरदार है।
सब लोग ध्यान से सुनें मेरे बेटे के शादी मैंने बंसल जी की बेटी से तय कर दी है – ये है सवांद यानी Dialog
सीन और एक्शन पेज के शुरुआत से लिखते हैं यानी जैसे हम कोई लेख लिख रहे हों और किरदार व सवांद बीच में लिखे जाते हैं। जब सीन खत्म हो जाए तब उसके नीचे एक तरफ़ छोटा सा लिख देते है “कट”।
पटकथा बेचें कैसे:
पहले तो आप इसे कॉपीराईट करा कर रख लें और दूसरी बात अपनी इस कहानी को छुपायें नहीं, इस डर से कि ये कहीं चोरी न हो जाए। उसके बारे में बताते रहे मतलब जिन्हें आप जानते हैं उनको सुनायें। इससे आपको ये फायदा होगा कि सामने वाला भले फिल्म निर्देशक न हो पर वो एक दर्शक तो है। इस खातिर वो आपको बता सकता है की यार यहां कुछ गलत है तो आप उसे बदल सकते हैं। दूसरा ये की अपनी कहानी जब भी सुनायें तो ऐसे सुनायें जैसे सामने वाले के मन में सवाल उठे की ये कैसे हुआ जैसे आप ने रणवीर और दीपिका की फिल्म पद्मावत का नाम सुना होगा जिसपर करनी सेना ने बवाल किया पूरे देश में। उसमे एक सीन है – जब राजा रतन सिंह (शाहिद कपूर) खिलजी (रणवीर सिंह) से मिलने जाते हैं तो वो उनको बंधक बना लेता हैं धोखे से। तो आप ये कहानी अगर सुना रहे हैं तो इतना कहें की खिलजी बंधक बना लेता है उनको। क्यों और कैसे ये सामने वाले को तब बतायें जब वो बताने को कहे। अंतिम में आप को मुंबई जाना होगा अगर आपको लिखना है तो कोई बहाना नहीं चलेगा की आप गरीब हो पैसे नहीं हैं आदि। हाँ लेकिन आज आप दूसरे शहर में हो तो अपनी यात्रा छोटी फिल्मो से कीजिये और उनको अपने मोबाइल से बना कर Facebook , Youtube पर डालिए। इससे आपकी ज्यादा नहीं तो थोड़ी पहचान बनेगी। काम को मांगते वक़्त ये न कहें की मुझे दे दो, ये कहें की आप ये कर सकते हैं इसलिए आपको दें। अंत में वही बिना लेखक के सिनेमा या फिल्म नहीं बन सकती।
लेखक:
विभू राय