क्योंकि ‘आज’ आपका है
जी हाँ ‘आज’ आपका हैं, सिर्फ आपका लेकिन क्या आप अपने आज को आज की तरह से जी रहे हैं ? यह कितना मुश्किल है ? अपने आज को आज बना पाना ? क्योंकि आपके हर एक संभव ‘कल’ का आरंभ आज से होता है । जो अब तलक हो चुका है उस पर आप का ज़ोर नहीं, लेकिन जो आगे आएगा उसे आप ‘आज’ बना सकते हैं। यदि आपके और आपके आज के बीच में कोई भी फासला है तो वह है अपने आज को अपने बीते कल की तरह से जीना । यदि आप अपने बीते कल को अपने आज में जगह दे रहे हैं तो यकीन मानिए कि यह ‘आज’ भी अपने बीते हुए कल का हिस्सा है। वह कल जो आपको कब का खत्म कर देना चाहिए था, क्योंकि मूल तौर से वह कल ही खत्म हो चुका है लेकिन आप अब भी उसके होने की आस में अपने आज को व्यर्थ कर रहे हैं। यह सच है कि जो बीत जाता है वह कभी लौटकर नहीं आता लेकिन एक और सच यह भी है कि जिस आज को आप अभी जी रहे हैं वो आने वाले अगले दिन में एक बीता हुआ ‘कल’ बन जाएगा। तो क्या आप अपने आज के वर्चस्व को पहचानने में यूं ही सदा नाकाम रहेंगे ? या फिर कभी इससे आगे बढ़ने के साहस को अपने अनतर्मन में उत्प्पन्न होने का स्थान देंगे ?
आपको अपने बीते हुए कल से आगे बढ़ना होगा, अपने आने वाले कल को सुखद बनाने के लिए और अपने आने वाले सुख कल पर निर्माण के लिए एक ही ज़रिया है, जो है अपने आज को अपने आज की तरह से जीना।
अगर कोई गुमान आपके दिल में होना चाहिए तो यही होना चाहिए कि जब बीता कल आपका आज था तब आपने मुझसे आज की तरह से क्यों नहीं जिया ? वक्त गुज़रता जाता है और हम अपने जीवन को सिर्फ एक साधारण जीवन की तरह ही बना बैठते हैं जिसमें जीवन का आनंद नहीं बल्कि विवशता दिखायी देती है; लेकिन दुर्भाग्य यह है कि हम कभी भी अपने जीवन को अपनी तरह से नहीं बना पाते जिसमें ख़ुशी हो आनंद हो।
बीते कल के गहरे अंधकार से अपने आज के उजाले को खत्म करने से बुरा शायद कुछ भी नहीं होता । बीते कल के अधिकारों को बीता समझकर ही छोड़िए और ‘आज’ को खुली बाहों से अपनाते हुए अपनी जिंदगी में मुकम्मल जगह दीजिए। इस बात में कोई दो राय नहीं कि जिंदगी खूबसूरत है, लेकिन ज़िंदगी की उस खूबसूरती को देखने के लिए आप की नज़रों का खूबसूरत होना, जिंदगी के खूबसूरत होने से भी कहीं ज्यादा जरूरी होता है; ज़िंदगी खुदबखुद खूबसूरत दिखने लगती है।
आप अचंभित होंगे कि मैं आज ना जाने क्यों ‘कल’ और ‘आज’ की उधेड़बुन में उलझी हुई हूँ।
जनाब ज़िंदगी बस इन्हीं आज और कल के फासलों को समझने की हिम्मत जुटा पाना ही तो है। बीते कल को बीते कल पर ही छोड़ देना बेहतर है और आज को आज में । उम्मीद है अब आप समझ पाए होंगे, आने वाले कल तक पहुंचने का एक ही रास्ता है कि हम अपने बीते हुए कल से आगे बढ़ें और आज का सहारा लेते हुए उस तक पहुँचें।
लेखिका:
वैदेही शर्मा