क्योंकि हम आज़ाद हैं

हम अपनी स्वतंत्रता का एक नया वर्ष पूरा करने जा रहे हैं इस दिवस को मूलतः स्वतंत्रता दिवस के नाम से जाना जाता है। भारतीय होने के नाते मुझे आपको यह बताने की आवश्यकता नहीं कि हमारा देश 15 अगस्त सन 1947 को आज़ाद हुआ था। लेकिन यह सब बातें तो आज बहुत पुरानी हो चुकी हैं ना जाने कब तक हम इसी बात को आगे पहुँचाते रहेंगे, तो चलिए आज कुछ ऐसी बात करते हैं जो नई या फिर यूं कहें कि बेहद जरूरी हैं। मेरा यह लेख हर देश प्रेमी के लिए है जो आज़ादी को संपूर्ण मन से स्वीकार करते हैं और इसके सतत इस्तेमाल के लिए आमदा हैं।



Kyonki-Hum-Azaad-Hain-15-August-2018 क्योंकि हम आज़ाद हैं स्वतंत्रता दिवस

हमारे देश को आज़ाद हुए कर 71 साल बीत जाएंगे लेकिन क्या स्वतंत्रता दिवस पर परेड कर देना, राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दे देना और जाते वक्त मुस्कुराते हुए मिठाइयों को सहर्ष स्वीकार कर लेना ही स्वतंत्रता दिवस के सभी मानकों को सिद्ध कर देता है ? मैं जानती हूँ कि ऐसा नहीं है और यदि ऐसा नहीं है तो फिर कैसा है वह क्या है जो अब भी हमसे कहीं पीछे छूटता चला जा रहा है ?




हम अमूमन स्वतंत्रता को तोड़ मरोड़ कर पेश करने की कोशिश करते हैं। कितनी आसानी से कह दिया करते हैं कि यह जो मिला है यह काफी नहीं क्योंकि लोगों के सोचने का तरीका हमें आज़ाद होने का मुकम्मल एहसास होने नहीं देता। हम हर दफा नकारात्मक पहलू को भी क्यों देखते हैं जबकि सकारात्मक हिस्से को देखकर हम अपनी जिंदगी में बहुत सारे बदलाव कर सकते हैं। इंसान को जितना भी मिले उसके लिए कभी वो भरपूर नहीं होता और जिसको जो मिला है यदि वो उस में खुशी तलाश लेता है तो उससे ज़्यादा खूबसूरत और कुछ नहीं होता। तो हमारी स्वतंत्रता की आलोचना करने से पहले हमें यह याद करना चाहिए ना जाने कितने ही शूरवीरों ने स्वतंत्रता को अर्जित करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। कितने ही योद्धा आज़ादी के रास्ते पर बेखौफ निकल गए उन्हें अपने प्राणों से ज़्यादा जरूरी हमेशा देश की अस्मिता लगी। आज की दुनिया बेहद बदल चुकी है, हमारे देश में हम पर कोई खास रोक-टोक नहीं हम अपनी मनमर्जी का भविष्य बना सकते हैं। जिस शहर में जाकर बसना चाहे वहाँ अपने पंख फैला सकते हैं अब हमारे पास हर वो आवश्यक स्त्रोत मौजूद है जो जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए काम आता है।




अब हमारे सामने कोई चुनौती है तो वह है स्वयं का निर्माण स्वयं की आजादी और स्वयं की उपलब्धि, जी नहीं यहाँ मेरा आशय स्वार्थी होने से बिलकुल नहीं लेकिन यदि एक नजर से देखा जाए तो स्वार्थ से ही आज जनहित में परिवर्तित हो सकता है। क्योंकि अभिव्यक्ति की उपलब्धियों से ही देश की बदलती सूरत को देख पाना मुमकिन है। तो चलिए आज एक सच्चे देशभक्त के तौर पर हम यह प्रतिज्ञा करें कि जितनी ही चुनौतियाँ हमारे सामने आएंगी उनका हम संपूर्ण बल से सामना करेंगे और भारत को दिनों-दिन उन्नति के शिखर पर पहुंचाने का विशुद्ध प्रयत्न करेंगे। क्योंकि इन मानकों से यदि हमारा देश आजाद हो गया तो यही आज के युग की सही आज़ादी है।

स्वतंत्रता दिवस की अनंत शुभकामनाएँ !

लेखिका:
वैदेही शर्मा

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