‘दुनियां’ – हाँ इस दुनियां से जुदा एक लड़की हूँ मैं
दुनियां,
मैं वैसी नहीं हूँ जैसा कि तुम मुझे देखना चाहती हो।
हाँ यह बात सच है कि मैं तुमसे अलग हूँ, मैं किसी और की तरह नहीं होना चाहती क्योंकि मैं बस खुद के जैसी हूँ।
मैं वह नहीं हूँ जो खूबसूरत दिखने के लिए उस महंगे काजल का सारा दिन इस्तेमाल करती है।
मैं वह नहीं हूँ जिसे तस्वीरों में मुस्कुराने की जगह मुँह फुलाना आता है।
मैं वह नहीं हूँ जो अपनी आलमारी में ढेर सारे कपड़ों की इमारत बनाकर उसे निहार कर खुश होना चाहती है।
मैं वह नहीं हूँ जो एक आदमी से अपेक्षा करती है कि वह मुझे मेरी शादी के वक्त एक अंगूठी लाकर दे, उससे बेहतर होगा कि मैं खुद अपने लिए कुछ कर सकूँ।
लेकिन अब मैं बताना चाहूंगी तुम्हें कि मैं क्या हूँ , मैं वह हूँ जो बेतहाशा बातें करती है।
मैं वह हूँ जो फोन पर ध्यान ना देते हुए उस मदमस्त रात में सितारों का बड़ी देर तक साथ देती है।
मैं वह हूँ जो सलवार कुर्ते से ज्यादा अपने शॉर्ट्स को अहमियत देती है, ऐसा नहीं कि मुझे तहजीब से रहना नहीं आता बल्कि यूं है कि मैं अपने आराम को खुद ही तय करती हूँ। मैं वह नहीं हूँ जो 25 की उम्र हो जाने के बाद एक मुकम्मल निकाह की तलाश में हूँ, बल्कि मैं वह हूँ जो उम्र में नहीं पलों में जिंदगी को जीना जानती है।
हाँ ‘दुनियां’ – मैं शायद तुम्हारी सोच से बहुत जुदा हूँ,
मैं वह हूं जिसे देर रात तक घर से बाहर रहना पसंद है, मुझे अनजान लोगों से बातें करना पसंद है। मुझे आँखें झुका कर बातें करने से कहीं बेहतर आँखें मिलाकर पूरे आत्मविश्वास से बात करना पसंद है।
मुझे सिंड्रेला जैसी खूबसूरत सैंडल्स की कोई उम्मीद नहीं, बल्कि मैं उससे कहीं ज्याद अपने जूते पहनना पसन्द है।
मैं फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट को पहले भेजना पसन्द करती हूँ, देखा ‘दुनियां’ मैंने कहा था ना कि मैं तुमसे बेहद अलग हूँ।
शायद मुझे बेहतर तरीके से खाना बनाना भी नहीं आता, लेकिन मैं यह बताना चाहूँगी कि मैं मर्दों से ज्यादा अच्छी गाड़ी चला सकती हूँ। मैं वह नहीं हूँ जिसको अपनी सफलताओं के लिए किसी पर आश्रित होना पड़े बल्कि मैं वह हूँ जो किसी की सफलताओं में खुले दिल से साथ दे सके।
मैं वह नहीं हूँ जो अपनी ख्वाहिशों का गला घोंटकर अंधेरे कमरे में जाकर, रोकर अपने अरमानों को पलट दे बल्कि मैं अपने सपनों के लिए बखूबी लड़ना जानती हूँ, और मैं वह लड़की हूँ जो 7 लोगों के समूह में इकलौती हूं मेरे अलावा वहाँ जितने हैं सब लड़के हैं और वह सब मेरे प्रेमी नहीं।
मैं वह हूँ जो अपने रेस्टोरेंट का बिल खुद चुका सकती है और मैं वह लड़की हूँ जिसको लड़की होना कभी कमजोर नहीं बनाता।
‘दुनियां’ मैं बस तुम्हें बताना चाहती थी कि मैं तुम्हारे बनाए हुए उन उसूलों के खिलाफ नहीं लेकिन उन उसूलों से पूरी तौर से अलग हूँ।
वैसे मैं नहीं जानती कि तुम मुझे समझोगी या नहीं अगर तुम मुझे समझो तो बेहतर है और गर ना समझो तो हमेशा की तरह तुम मुझे आँक सकती हो, क्योंकि मेरी दुनियां मैं खुद हूं और तुम क्या सोचती हो मुझे इस बात से कभी कोई फर्क नहीं पड़ता।
हाँ इस दुनियां से जुदा !!
एक लड़की हूँ मैं !
लेखिका:
वैदेही शर्मा
About Author
वैदेही शर्मा
में पिछले 7 साल से लिखती हूँ, लिखना इस दुनिया में अभिव्यक्ति को प्रकट करने का शायद सब से खूबसूरत ज़रिया है, इसलिए मैंने लिखना शुरू किया। इस के अलावा मैं अपनी शिक्षा पूर्ण कर रही हूँ। मैं जन संचार की छात्रा हूँ, मैंने अनेक माध्यमों के लिए लिखा है। उम्मीद है, की आपको मेरी कहानियाँ अथवा वह सब जो लेखन के क्षेत्र में आता है जरूर पसंद आएगा।