म्यूच्यूअल फण्ड – सम्पूर्ण ज्ञान
म्यूच्यूअल फंड्स का नाम तो अपने कई बार किसी न किसी के मुंह से सुना होगा और आपने इसके विज्ञापन टीवी पर भी देखे होंगे। उस वक्त आपके दिमाग में एक सवाल आया होगा, आखिर म्यूच्यूअल फंड्स है क्या ? उस वक्त आपने कई लोगो से ये सवाल किया होगा, सभी से अलग-अलग जवाब भी मिलेगे होंगे। ऐसे में अलग-अलग जवाब के चलते सभी कंफ्यूज हो जाते है। आज हम पखेरू पर Mutual Funds की विस्तृत जानकारी देकर आपके दिमागी उलझन अर्थात कन्फूजन को दूर करने का प्रयास करेंगे।
म्यूच्यूअल फण्ड क्या है What is Mutual Fund ?
सीधी और सरल भाषा में कहें तो म्यूच्यूअल फंड्स वो फण्ड है जहाँ पर बहुत सारे निवेशको का पैसा जमा होता है और फिर उन पैसों को ऐसे काम में लगाया जाता है जहाँ से ज्यादा मुनाफा हो ताकि जिन लोगों ने म्यूच्यूअल फंड्स में अपना पैसा लगाया उन्हें अपने लगाए हुए कुल रकम से ज्यादा पैसे प्राप्त हो सकें।
म्यूच्यूअल फंड्स खरीदने के लिए आपके पास Demat Account होना अनिवार्य है। पहले जब भी शेयर्स ख़रीदे जाते थे तो उसके बदले कंपनी शेयर होल्डर्स को कुछ कागजात देती थी जो इस बात का प्रमाण होता था कि आप उनकी कंपनी के शेयर होल्डर है। आज के डिजिटल जमाने में इस काम को आसान कर दिया है। अब आप डीमैट खाते के जरिए अपना शेयर खरीद और बेच सकते हैं।
डीमैट अकाउंट कैसे खोले How to open Demat Account ?
इस अकाउंट को खोलने के लिए आप अपने नजदीकी स्टॉक ब्रोकर या बैंक जायें जो डीमैट खाते की सुविधा देते है। वहां जाकर आपको एक एप्लीकेशन देना होगा और आपका डीमैट खाता खुल जाएगा।
नीचे हम आपको कुछ बैंकों की सूची बता रहे हैं जो डीमैट खाता खोलने की सुविधा प्रदान करते हैं:
- स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (State bank of India)
- कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड (Kotak securities Ltd.)
- आई.सी.आई.सी.आई सिक्योरिटीज लिमिटेड (ICICI securities Ltd.)
- एक्सिस सिक्योरिटीज लिमिटेड (Axis securities Ltd.)
- एच.डी.एफ.सी सिक्योरिटीज लिमिटेड (HDFC securities Ltd.)
कुछ स्टॉक ब्रोकर्स की लिस्ट जो डीमैट अकाउंट खोलने की सुविधा देते है:
१- शेयरखान लिमिटेड (Sharekhan Ltd.)
२- ज़ेरोधा (Zerodha)
३- एंजेल ब्रोकिंग प्राइवेट लिमिटेड (Angel broking Pvt. Ltd.)
डीमैट खाता चालू करने के लिए जिन दस्तावेजों की जरुरत पड़ती है वो निम्न हैं:
१- पैन कार्ड (PAN Card)
२- फोटो (Photograph)
३- आधार कार्ड (Aadhaar Card)
ऊपर के दस्तावेजों के अतिरिक्त एड्रेस प्रूफ के तौर पर इनमें से कोई एक जरूरी है:
अ) वोटर आईडी (Voter ID Card)
आ) आईटी रिटर्न्स (IT Return)
इ) ड्राइविंग लाइसेंस (Driving Licence)
ई) राशन कार्ड
उ) इलेक्ट्रिसिटी बिल (Electricity Bill)
ऊ) पासपोर्ट कॉपी (Passport Copy)
चलिए Demat Account की जानकारी देने के बाद म्यूच्यूअल फण्ड की बात को आगे बढ़ाते हैं। Mutual Funds में कई तरह के स्टॉक्स होते है। आप जो म्यूच्यूअल फंड्स खरीदते है, उसका पैसा इन स्टॉक्स को खरीदने में इन्वेस्ट किया जाता है। आपके पैसो की देख-रेख प्रोफेशनल और अनुभवी फंड्स मेनेजर करता है जो इन पैसो को Profitable Stocks अर्थात फ़ायदेमंत स्टॉक्स खरीदने में लगाता है।
टाइप्स ऑफ़ ऑफ़ म्यूच्यूअल फंड्स Types of Mutual Funds:
म्यूच्यूअल फंड्स कई प्रकार के होते है। इनके प्रकार उनकी विशेषताओ पर आधारित है:
( I ) जोखिम के आधार पर म्यूच्यूअल फंड्स
( II ) एसेट के आधार पर म्यूच्यूअल फंड्स
( III ) संरचना के आधार पर म्यूच्यूअल फंड्स
( IV ) निवेश के लक्ष्यों के आधार पर म्यूच्यूअल फंड्स
( V ) विशेष तरह के म्युचुअल फंड
जोखिम के आधार पर म्यूच्यूअल फंड्स इस प्रकार हैं:
- बहुत कम जोखिम भरा म्यूच्यूअल फंड्स (Very Low Risk Mutual Funds)
इस तरह के फंड्स अल्ट्रा शोर्ट टर्म या लिक्विड फंड्स होते हैं जो एक महीने से लेकर एक साल के होते हैं। इसमें रिटर्न कम मिलता है, ये छोटे-मोटे फाइनेंसियल गोल्स के लिए सही हैं।
- कम जोखिम भरा म्यूच्यूअल फंड्स (Low Risk Mutual Funds)
इस तरह के फंड्स अल्ट्रा शॉर्ट टर्म, लिक्विड आदि में पैसा लगाते हैं। इसमें रिटर्न 6 से 8 प्रतिशत तक ही होता है।
- मध्य जोखिम भरा म्यूच्यूअल फंड्स (Medium Risk Mutual Funds)
इस तरह के फंड्स में रिस्क फैक्टर मध्यम होता है। इसमें पैसे का कुछ हिस्सा डेब्ट फंड्स में और बाकी इक्विटी फंड्स में लगाया जाता है। इसमें रिटर्न 9 से 12 प्रतिशत हो सकता है।
- अधिक जोखिम भरा म्यूच्यूअल फंड्स (High Risk Mutual Funds)
इस तरह के फंड्स में सबसे ज्यादा रिस्क होता है। इसमें वो इन्वेस्टर इन्वेस्ट करते हैं जो ये जोखिम उठा सकते हैं और जिन्हें ज्यादा रिटर्न चाहिए होता है। इस तरह के म्यूच्यूअल फंड्स में बाज़ार की अस्थिरता का प्रभाव पड़ता है। इसमें 15 प्रतिशत से लेकर 30 प्रतिशत तक का रिटर्न मिल सकता है।
संपत्ति के आधार पर म्यूच्यूअल फंड्स इस प्रकार हैं:
- इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड (Equity Funds)
इस म्यूच्यूअल फंड्स को स्टॉक फंड्स के नाम से भी जाना जाता है। इस तरह के म्यूच्यूअल फंड्स पर मुनाफा ज्यादा होने की उम्मीद होती है लेकिन इसमें पैसे डूबने का खतरा भी अधिक रहता है। इसके पीछे की वजह है फंड्स का स्टॉक मार्किट में लगाया जाना। फायदा होगा या नुक्सान वो शेयर्स के उठने और गिरने पर निर्भर करता है। अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं और मुनाफा ज्यादा कमाना चाहते हैं तो आप इक्विटी फंड पर निवेश कर सकते हैं।
- डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड (Debt Funds)
इन फंड्स के अंतर्गत फिक्स इनकम वाली सिक्योरिटीज होती है जैसे- फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान, मासिक आय प्लान्स, लिक्विड फंड्स, गिल्ट फण्ड, लॉन्ग टर्म बांड, शोर्ट टर्म बांड आदि। इस तरह के प्लान में इंटरेस्ट और मैच्योरिटी डेट फिक्स होती है। अगर आप कम रिस्क वाले फंड्स और नियमित आय पाना चाहते हैं तो आप इसमें इन्वेस्ट कर सकते हैं।
- मनी मार्किट फंड्स (Money Market Funds)
इस फंड्स को मनी मार्किट सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट किया जाता है, उदाहरण के तौर पर टी-बिल्स, सर्टिफिकेट ऑफ़ डिपॉजिट्स, डेट सिक्योरिटीज। इस तरह के म्यूच्यूअल फंड्स में फंड्स मेनेजर आपका पैसा ऐसी जगह इन्वेस्ट करता जहाँ से नियमित रिटर्न्स आते रहें। इस तरह के म्यूच्यूअल फंड्स शॉर्ट टर्म वाले होते हैं और इसमें रिस्क फैक्टर भी बहुत कम होता है।
- हाइब्रिड फंड्स (Hybrid Funds)
ये फंड्स शेयर्स और बांड्स का मिश्रण होता है। इसमें 60 प्रतिशत शेयर्स में और 40 प्रतिशत बांड्स में इन्वेस्ट किया जाता है। ये उन लोगो के लिए सही है जो निम्न लेकिन स्थिर आय योजनाओं की बजाय ज्यादा रिटर्न्स के लिए ज्यादा रिस्क ले सकते हैं।
संरचना के आधार पर म्यूच्यूअल फंड्स इस प्रकार हैं:
- ओपन एंडेड फण्ड (Open Ended Funds)
ओपन एंडेड फंड्स के अंतर्गत निवेशक म्यूच्यूअल फंड्स खरीदने और इसे बेचने के लिए स्वतंत्र होता है। इसका अर्थ ये है कि निवेशक इस तरह के म्यूच्यूअल फंड्स जब चाहे खरीद सकता है और जब चाहे इसे net asset value (कुल संपत्ति का मूल्य) यानी NAV पर बेचे सकता है। इस तरह के फंड्स की कोई मैच्योरिटी पीरियड नहीं होती।
- क्लोज्ड एंडेड फण्ड (Closed Ended Funds)
इस तरह के फंड्स को आप इनिशियल पीरियड में ही यानी किसी विशेष तय समय पर खरीद सकते हैं। समय निकलने के बाद आप यूनिट नहीं खरीद सकते। अगर आपने ये यूनिट्स खरीद लिए हैं तो आप इसके मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने से पहले इसे बेच नहीं सकते हैं।
- इंटरनल फण्ड (Internal Funds)
इसे ओपन एंडेड और क्लोज्ड एंडेड फंड्स का मिश्रण भी कह सकते हैं। इसे इनकम फंड्स के नाम से भी जाना जाता है। इस तरह के फंड्स में 70 दिनों में इसे ओपन किया जाता है जिस वक्त ये फंड्स खरीदे या बेचे जा सकते हैं या इसे जारी भी रख सकते हैं। ये उन लोगो के लिए जो कम समय में बड़ी मात्रा में पैसा इकठ्ठा करना चाहते हैं।
निवेश के लक्ष्यों के आधार पर म्यूच्यूअल फंड्स इस प्रकार हैं:
- ग्रोथ फंड (Growth Funds)
इस तरह के फंड्स में इन्वेस्टर का पैसा बढ़ती कंपनी यानी जो कंपनियां सफल हो रही हैं उनमें निवेश किया जाता है। इस म्यूच्यूअल फंड्स में फायदा ज्यादा हो सकता है लेकिन इसमें रिस्क भी ज्यादा होता है। ये उनके लिए सही है जिनके पास बहुत पैसा है और वो इस तरह के रिस्क लेकर इन्वेस्ट कर सकते हैं।
- इनकम फंड (Income Funds)
इस तरह के फंड्स में पैसा गवर्नमेंट की सिक्योरिटीज पर इन्वेस्ट किया जाता है जहाँ से रेगुलर इनकम आती रहती है। इस तरह के फंड्स में रिस्क नाम मात्र का होता है।
- लिक्विड फंड (Liquid Funds)
ये भी डेब्ट फंड्स का एक प्रकार है। इस तरह के म्यूच्यूअल फंड्स शार्ट टर्म वाले होते हैं। इसमें पैसा गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, कॉल मनी, ट्रेजरी बिल्स पर लगाया जाता है। इस तरह के म्यूच्यूअल फंड्स की मैच्योरिटी पीरियड 91 दिनों की होती है। इस तरह के फंड्स में रिटर्न्स अच्छा मिलता है।
- टैक्स सेविंग फंड (Tax-Saving Funds)
इन फंड्स को ELSS नाम से भी जाना जाता है। इस तरह के फंड्स के जरिए टैक्स से बचा जा सकता है साथ ही मुनाफा भी कमाया जा सकता है वो भी तीन साल में। ये सैलरी पाने वाले लोगो और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट करने वालों के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
- अग्रेसिव ग्रोथ फंड (Aggressive Growth Funds)
इस तरह के फंड्स में रिस्क ज्यादा होता है। इसमें मुनाफा stock market के उतार चढ़ाव पर निर्भर करता है इसलिए इसमें बीटा (Beta) के आधार पर इन्वेस्टमेंट किया जाता है। अगर बीटा (Beta) 1 है तो अग्रेसिव फंड्स ज्यादा आएगा यानी 1.10 या उससे ज्यादा।
- कैपिटल प्रोटेक्शन फंड (Capital Protection Funds)
अगर आप रिस्क कम लेना चाहते हैं और अपने इन्वेस्ट को बचाए रखना चाहते हैं तो ये फण्ड बढ़िया है आपके लिए। इसमें रिटर्न कम मिलता है लेकिन रिस्क भी बहुत कम होता है। इसमें पैसा बांड्स और इक्विटीज पर लगाया जाता है। यह म्यूच्यूअल फंड कम से कम तीन साल के लिए होता है।
- फिक्स्ड मैच्योरिटी फंड (Fixed Maturity Funds)
फिक्स्ड मैच्योरिटी फंड्स तय समय के लिए होते है। मैच्योरिटी पीरियड्स 1 से 5 साल तक का हो सकता है। इसमें पैसा बांड्स, मनी मार्केट्स और सिक्योरिटीज पर इन्वेस्ट किया जाता है।
- पेंशन फंड (Pension Funds)
इस तरह के फंड्स में व्यक्ति जब काम कर रहा होता है वो इन्वेस्ट करता जाता है ताकि रिटायरमेंट की उम्र के बाद उनको रेगुलर इनकम मिलता रहे। इस तरह के फंड्स में रिटायरमेंट की उम्र से पहले पैसा नहीं निकाला जा सकता। रिटायरमेंट की उम्र 58 साल होती है, इस उम्र का हो जाने के बाद इस म्यूच्यूअल फंड्स में से एक बड़ा अमाउंट या हर महीने रेगुलर इनकम के तौर पर निकाला जा सकता है।
अन्य कुछ खास म्यूच्यूअल फंड इस प्रकार के हैं:
- सेक्टर फंड्स (Sector Funds)
इस तरह के फंड्स में एक खास सेक्टर पर पैसा लगाया जाता है जिसमे नियमित ग्रोथ होती रहती है जैसे फार्मा या आईटी सेक्टर पर। इस तरह के म्यूच्यूअल फण्ड में रिस्क ज्यादा होता है लेकिन रिटर्न भी ज्यादा होता है। इस तरह के फंड्स में आपको उस सेक्टर पर नजर रखनी होती ताकि अगर गिरावट आए तो आप तुरंत उस फंड्स को बेच सकें।
- इंडेक्स फंड्स (Index Funds)
इंडेक्स फंड्स एक तरह का पैसिव फंड्स है जिसमे निफ्टी, सेंक्सेक्स आदि इंडीसेस पर इन्वेस्ट किया जाता है। जो भी पैसा निफ्टी के इंडेक्स फंड्स पर इन्वेस्ट होता है वो वेटेज के आधार पर इन्वेस्ट किया जाता है। इस तरह के फंड्स को मैनेज करने के लिए फंड्स मेनेजर की जरुरत नहीं पड़ती इसलिए इसका खर्चा कम होता है।
- फंड्स ऑफ़ फंड्स (Funds of Funds)
इस फण्ड के अंतर्गत, एक फण्ड को कई फंड्स में इन्वेस्ट किया जाता है।
- इमर्जिंग मार्किट फंड्स (Emerging market Funds)
इस तरह के म्यूच्यूअल फण्ड में उभरती मार्किट पर निवेश किया जाता है। उभरती मार्किट पर निवेश करना रिस्की है लेकिन अगर लॉन्ग टर्म में किया जाए तो फायदा हो सकता है।
- इंटरनेशनल फॉरेन फंड्स (International / Foreign Funds)
इस तरह के फंड्स में पैसे का 60 प्रतिशत घरेलु इक्विटी फंड्स में और बाकी विदेशी फंड्स में इन्वेस्ट किया जाता है। इस तरह के फंड्स में रिटर्न अच्छे हो सकते हैं। ये उन लोगो के लिए अच्छा है जो विदेश में अपना पैसा इन्वेस्ट करना चाहते हैं।
- ग्लोबल फंड्स (Global Funds)
इसमें पैसा दुनियां के विभिन्न मार्केट में इन्वेस्ट किया जाता है। इसमें रिस्क लेवल हाई है लेकिन लॉन्ग टर्म में रिटर्न भी ज्यादा हो सकता है। इसमें दुनियां के मार्केट्स के अलावा आपके अपने मार्केट में इन्वेस्ट किया जा सकता है।
- रियल एस्टेट फंड्स (Real Estate Funds)
इस तरह के फंड्स में पैसे पहले से स्थापित रियल एस्टेट कंपनी में इन्वेस्ट किया जाता है। इसमें अगर लॉन्ग टर्म में इन्वेस्ट किया जाए तो भविष्य में खरीदी जाने वाले प्रॉपर्टीज में कुछ राहत मिल सकती है।
- गिफ्ट फंड्स (Gift funds)
इस तरह के फंड्स परिवार के सदस्य के भविष्य को फाइनेंसियली सुरक्षित रखने के लिए गिफ्ट किए जा सकते हैं।
- कमोडिटी फोकस्ड स्टॉक फंड्स (Commodity-focused Stock Funds)
इस तरह के फंड्स रिस्की होते हैं क्योंकि ये एक कमोडिटी यानि एक चीज पर इन्वेस्ट किए जाते हैं जैसे कॉपर, गोल्ड आदि। भारत में गोल्ड में आसानी से म्यूच्यूअल फंड्स के जरिए इन्वेस्ट कर सकते हैं, बाकि कमोडिटी के लिए आपको कमोडिटी बिज़नस से शेयर या यूनिट्स खरीदने होंगे।
- मार्केट न्यूट्रल फंड्स (Market Neutral Funds)
इस तरह के फंड्स समान अनुपात में शार्ट टर्म और लॉन्ग टर्म शेयर्स में इन्वेस्ट किए जा सकते हैं, इस तरह के फंड्स में रिटर्न ज्यादा मिलता है।
म्यूच्यूअल फंड्स के फायदे Benefit of Mutual Fund:
क) एक्सपर्ट फंड्स मेनेजर की सेवाओं का फायदा:
अगर अपने हिसाब से शेयर मार्किट में पैसा इन्वेस्ट किया जाए तो जोखिम ज्यादा होगा क्योंकि इसमें शेयर मार्किट में उतार चढाव आते रहते हैं। ऐसे अगर किसी एक्सपर्ट की देख-रेख में इन्वेस्ट किया जाए तो रिस्क कम होता है और रिटर्न भी ज्यादा मिल सकता है। ये मेनेजर बहुत अनुभवी और विशेषज्ञ होते हैं जो पैसा सही जगह पर लगाते हैं।
ख) कम पूँजी का निवेश:
म्यूच्यूअल फंड में आप कम से कम पैसो को भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। म्यूच्यूअल फंड्स में आप 500 प्रति माह से लेकर ज्यादा से ज्यादा इन्वेस्ट कर सकते हैं। इस वजह से हर आम आदमी म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट कर सकता है।
ग) म्यूच्यूअल फंड्स में से पैसा निकालना आसान:
म्यूच्यूअल फंड्स में लिक्विडिटी की सहुलियंत होती है, इसका अर्थ है आप म्यूच्यूअल फंड्स में से मैच्योरिटी पीरियड से पहले अपने पैसे निकाल सकते हैं।
घ) अलग अलग सेक्टर में निवेश:
म्यूच्यूअल फंड्स के जरिए आप अलग-अलग सेक्टर पर निवेश आसानी कर सकते हैं।
ङ) समय की बचत:
म्यूच्यूअल फंड्स में एक बार इन्वेस्टमेंट के बाद परेशानी नहीं होती। आपको शेयर मार्केट्स पर नजर रखने की जरुरत नहीं है इससे आपका समय बचता है।
त) अपनी जरुरत के हिसाब से इन्वेस्ट कर सकते हैं:
म्यूच्यूअल फंड्स में आप अपनी जरुरत के हिसाब से निवेश कर सकते हैं।
थ) कम टैक्स:
म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करने वाले लोग अन्य लोगों के मुकाबले कम टेक्स भरते हैं।
ध) पैसा सुरक्षित होना:
म्यूच्यूअल फंड्स में पैसा सुरक्षित होता है। कुछ फंड्स होते हैं जिसमें रिस्क ज्यादा होता है लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जिसमे रिस्क कम या नाम मात्र का ही होता है।
न) कम खर्चा:
दूसरे तरह के निवेश पर 2 से 3 प्रतिशत खर्चा होता है, म्यूच्यूअल फंड्स में 1 से 2 प्रतिशत का ही खर्चा होता है।
य) आसानी से इन्वेस्ट करना:
म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करना आसान है। उनके एजेंट द्वारा पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है जिसके आधार पर और जरुरत के हिसाब से इन्वेस्ट किया जा सकता है।
म्यूच्यूअल फंड्स की Top 5 योजनायें:
ये योजनायें स्टॉक्स होल्डिंग्स, रिटर्न, सी.टी.सी और इस बात पर आधरित हैं कि फंड्स का पैसा किन कंपनीज में इन्वेस्ट किया जा रहा है।
1- एल.एंड.टी इंडिया वैल्यू म्यूच्यूअल फण्ड
ये म्यूच्यूअल फंड्स 8 जनवरी 2008 में लांच हुआ था। इसका NAV 34.1 है। इस म्यूच्यूअल फण्ड में पैसा रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसी बैंक, इन्फोसीस लिमिटेड, एसबीआई, आईटीसी, एचडीएफसी बैंक आदि शीर्ष कम्पनीज में इन्वेस्ट होता है। इस फंड्स में रिटर्न 3 साल में 12.24 प्रतिशत और 5 साल में 17.2 प्रतिशत है।
2- मिर्री एस्सेट इंडिया इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड
ये दूसरा अच्छा म्यूच्यूअल फण्ड है। ये फण्ड 4 अप्रैल 2008 में लांच हुआ है। इस फंड्स का पैसा एचडीएफसी बैंक,रिलायंस इंडस्ट्रीज, ऐक्सिस बैंक, आईसीआईसी बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विस, इनफ़ोसिस आदि में इन्वेस्ट होता है। रिटर्न 3 साल में 15.66 प्रतिशत, 5 साल में 15.87 प्रतिशत और 10 साल में 19.66 प्रतिशत है। इसका NAV 49.73 है।
3- आदित्य बिरला फ्रंटलाइन इक्विटी म्यूच्यूअल फंड्स
ये म्यूच्यूअल फण्ड 23 दिसम्बर 1984 को लांच हुआ था। इसका NAV है 218.74 । इस फंड्स में पैसा एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसी बंद, इनफ़ोसिस, आईटीसी, एसबीआई, रिलायंस इंडस्ट्रीज आदि में इन्वेस्ट होता है। इसका रिटर्न 3 साल में 10.85 प्रतिशत, 5 साल में 11.63 प्रतिशत और 10 साल में 15.08 प्रतिशत होता है।
4- एस.बी.आई मैगनम मल्टीकैप म्यूच्यूअल फण्ड
इस म्यूच्यूअल को को सितम्बर 2005 में लांच किया गया था। इस फण्ड में पैसा एचडीएफसी बैंक, इनफ़ोसिस, आईसीआईसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, ऐक्सिस बैंक आदि में इन्वेस्ट होता है। इसका NAV 47.566 है। इसका 3 साल में 12.32 प्रतिशत, 5 साल में 16.07 प्रतिशत और 10 साल में 15.12 प्रतिशत रिटर्न है।
5- एस.बी.आई ब्लूचिप म्यूच्यूअल फण्ड
ये म्यूच्यूअल फण्ड 14 फरवरी 2006 को लांच हुआ था। इसका NAV 38.47 है। इस फण्ड का पैसा एचडीएफसी बैंक, आईटीसी, आईसीआईसी बैंक, हाउसिंग डेवलपमेंट कारपोरेशन, एसबीआई, इनफ़ोसिस आदि में इन्वेस्ट होता है। इसका रिटर्न 3 साल में 9.9 प्रतिशत। 5 साल में 13.59 प्रतिशत और 10 साल में 15.21 प्रतिशत है।
म्यूच्यूअल फंड्स में पहली बार निवेश की शुरुआत कैसे करें ?
म्यूच्यूअल फंड्स की इतनी जानकारी के बाद आइए जानते हैं इसमें इन्वेस्ट कैसे सकते हैं ? इसमें इन्वेस्ट के लिए KYC की जरुरत पड़ेगी, KYC यानी Know Your Customer, आपको सबसे पहले ये फॉर्म भरना होगा। अगर आपने पहले से के.वाई.सी भरा हुआ है तो इसे फिर से भरने की जरुरत नहीं है। के.वाई.सी हुआ है या नहीं ! इसकी जानकारी के लिए आप https://www.cvlkra.com पर या https://camskra.com/ पर चेक कर सकते हैं। चेक करने के लिए पैन कार्ड नंबर का इस्तेमाल करना होगा।
आप E-KYC के की मदद से घर बैठे ही KYC भर सकते हैं:
ऑनलाइन KYC के लिए आप क्वांटम म्यूचु्ल फंड https://www.quantumamc.com/ बिरला सन लाइफ म्यूचुअल फंड https://mutualfund.adityabirlacapital.com/ या कार्वी कंपनी https://www.karvy.com/ की बेवसाइट पर जाकर पूरा कर सकते हैं। इन वेबसाइट पर आपसे आपकी जरुरी और आधारभूत जानकर मांगी जाएगी। फिर आपको एड्रेस प्रूफ और आधार की स्कैन फोटो अपलोड करनी होगी। इसके बाद आपके साथ एक विडियो कॉल होगा, इससे आपकी उपस्थिति वेरीफाई की जाएगी।
आप ऑनलाइन भी इन्वेस्ट कर सकते हैं। म्यूच्यूअल फंड्स की अपनी ऑफिसियल वेबसाइट है, उसके जरिए कर सकते हैं। इसके अलावा बहुत सारी साइट्स है जहाँ आप फॉर्म भरके म्यूच्यूअल फंड्स खरीदे जा सकते हैं।
नीचे सबसे बेस्ट 7 डायरेक्ट म्यूच्यूअल फंड्स की वेबसाइट के नाम हैं:
१) Groww: https://groww.in/
२) Zerodha: https://zerodha.com/
३) Clearfunds: https://money.mobikwik.com/
४) AMC Websites: https://bluechipindia.co.in/MutualFund/MFInner.aspx
५) MF Utility: https://www.mfuindia.com/
६) Karvy Registered transfer agent: https://www.karvy.com/registry-services/
७) CAMS Registered transfer agent: https://www.camsonline.com/
म्यूच्यूअल फंड्स के एजेंट के जरिए भी इन्वेस्ट किया जा सकता है या सीधे म्यूच्यूअल फण्ड के ऑफिस जाकर इन्वेस्ट कर सकते हैं। वहां जाकर जानकारी लें और अपनी सहूलियत और जरुरत को मैच करता म्यूच्यूअल फण्ड खरीदें। इसके लिए फॉर्म भरना होगा और राशि चेक के रूप में देनी होगी, इसलिए चेक बुक ले जाना जरुरी है।
म्यूच्यूअल फण्ड सिप (SIP) में कैसे निवेश करें ?
एस.आई.पी (SIP) अर्थात सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान। इसमें म्यूच्यूअल फंड्स में आपके बैंक खाते में से पैसा अपने आप निवेश हो जाता है। इस स्कीम में इन्वेस्टर बैंक को ये बताता है कि वो किस कंपनी या म्यूच्यूअल फण्ड में पैसा इन्वेस्ट करने की परमिशन बैंक को दे रहा है। इसके लिए इन्वेस्टर को एक फॉर्म भरना पड़ेगा। इस फॉर्म का नाम है ECS । इस स्कीम में आप कम से कम अमाउंट में शुरू कर सकते हैं।
SIP के लिए जरुरी दस्तावेज इस प्रकार हैं:
- चेक बुक (cheque book)
- पेन कार्ड (PAN card)
- वोटर आई.डी या आधार कार्ड (Voter ID, Aadhaar card)
- पासपोर्ट साइज फोटो (Photograph)
विधि:
इसके लिए KYC की भी जरुरत पड़ेगी। इसलिए पहले इसे भर दें, ये सिर्फ एक बार ही किया जाता है। इसके बाद आप जिस भी कंपनी या फंड्स में इन्वेस्ट करना चाहते हैं उसकी वेबसाइट पर जायें और वहां रजिस्टर करें।
- न्यू रजिस्टर पर क्लिक करने पर जो पेज खुलेगा उसपर पूछी गई सभी जानकारी भरें।
- अब अपना यूजर नेम और पासवर्ड सेट करें।
- अब लॉग इन करके ऑनलाइन इन्वेस्ट करें।
- इन्वेस्ट करते समय आप हर महीने कितनी राशि इन्वेस्ट करना चाहते हैं वो भर सकते हैं और साथ ही किस दिन आप किश्त देना चाहते हैं वो भी आप चुन सकते हैं।
अगर आप SIP Calculate करना नहीं जानते तो आप इसके लिए इन वेब साइट्स की मदद ले सकते हैं:
My SIP Online – https://www.mysiponline.com/
Funds India – https://www.fundsindia.com/sip-calculator.html
HDFC Bank – https://www.hdfcfund.com/learn/sip
क्या म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश करना सही है ?
अगर आप लॉन्ग टर्म फायदा चाहते हैं तो म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करना सही है लेकिन अगर आप हाई रिटर्न चाहते हैं वो भी कम समय में तो म्यूच्यूअल फंड्स आपके लिए नहीं है। म्यूच्यूअल फंड्स लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए ये बेस्ट हैं। इस फंड्स में रिस्क फैक्टर कम है, आप फंड्स में से पैसे निकाल सकते हैं और रिटर्न भी बैंक के फिक्स डिपाजिट से ज्यादा प्राप्त कर सकते हैं। सिर्फ एक बात का ध्यान रखें की इन्वेस्ट करने से पहले ये जरुर पता करें कि पैसा किन कम्पनीज में इन्वेस्ट होगा ताकि अच्छे रिटर्न की उम्मीद बढ़ जाए।
लेखिका:
ममता बलानी