बवासीर की बिमारी क्या है – पढ़िए विस्तृत जानकारी हिंदी में
आज की हमारी जो पोस्ट है उसका टॉपिक है ‘बवासीर‘, जिसे पाइल्स और हीमोराइड्स के नाम से भी जाना जाता है। जी हां दोस्तों आज के हमारे इस लेख में हम जानेंगे कि –
- बवासीर क्या है ?
- बवासीर के लक्षण क्या-क्या हैं ?
- बवासीर होने के कारण क्या हैं ?
- बवासीर का निदान क्या है ?
- बवासीर का इलाज क्या है ?
- बवासीर में ध्यान रखने वाली बातें कौन सी हैं ?
तो चलिए इसी के साथ हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं बवासीर अर्थात Piles के बारे में पूरी जानकारी।
बवासीर क्या है
Bawaseer Kya Hai
बवासीर एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है। इसमें गुदा (मल द्वार) के अंदरूनी और बाहरी भाग और मलाशय के नीचे के हिस्सों की रक्त नलिकाओं में सूजन आ जाती है। बवासीर की बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाई जाती है। इस बीमारी में व्यक्ति को बहुत पीड़ा होती है और यह पीड़ा किसी शत्रु से कम नहीं लगती। यही कारण है कि आयुर्वेद में इसे ‘अर्श’ का नाम दिया गया है। इसमें अगर खून आता है तो इसे खूनी बवासीर का भी नाम दिया जाता है।
बवासीर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है
- (1) अंदर की बवासीर (Internal Hemorrhoids)
- (2) बाहर की बवासीर (External Hemorrhoids)
बवासीर के लक्षण
Bawasir Ke Lakshan
बवासीर एक खतरनाक बीमारी है इसलिए जैसे ही आपको महसूस हो कि आपको पाइल्स बीमारी है तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और उनसे सलाह लें। जिस व्यक्ति को बवासीर होता है उनमें निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं –
बवासीर के लक्षण हिंदी में जानिए
Symptoms of Piles in Hindi
(1) – बवासीर का सबसे बड़ा लक्षण टॉयलेट करते समय मस्सों से खून आना है। बवासीर की समस्या कम होती है तो खून बूंद-बूंद करके आता है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि खून की धारा बह जाती है।
(2) – गुदा के अंदर या बाहर की तरफ मस्सें या गाठें बन जाती हैं।
(3) – मल त्यागने में परेशानी होती है।
(4) – मल त्यागते समय मस्सों का गुदों के अंदर से बाहर आ जाना।
(5) – गुदा द्वार पर दर्द होता है तो ये बवासीर का लक्षण है।
(6) – मस्सों से निरंतर खून का बहते रहना भी पाइल्स के लक्षण में से एक है।
अब आप समझ गए होंगे कि पाइल्स यानि बवासीर के क्या-क्या लक्षण होते हैं। अब आगे हम जानते हैं कि पाइल्स होने के कारण क्या-क्या हैं।
बवासीर के कारण
Bawaseer Hone Ke karan
(1) – बवासीर का मुख्य कारण है लंबे समय तक कब्ज का बना रहना।
(2) – सुबह शाम टॉयलेट ना जाने या टॉयलेट जाने पर भी पेट का ठीक से साफ ना होना बवासीर का कारण है।
(3) – टॉयलेट में काफी देर तक बैठकर मल त्यागने के लिए जोर लगाना।
(4) – डायरिया की समस्या या भोजन में पोषक तत्वों की कमी होना।
(5) – दवाओं का अधिक सेवन करने से भी पाइल्स की समस्या होती है।
(6) – अधिक मसालेदार या तला हुआ भोजन खाने से।
(7) – हृदय और लीवर से संबंधित बीमारी के अधिक समय तक होने से भी बवासीर का खतरा बढ़ता है।
(8) – प्रसव के दौरान बवासीर होने का खतरा रहता है क्योंकि उस समय एनस क्षेत्र पर अधिक दबाव पड़ता है।
(9) – इसके अलावा यदि आप के माता-पिता को यह बीमारी होती है तो इसका होने का खतरा बच्चों में भी बढ़ जाता है।
बवासीर का निदान व जाँच प्रक्रिया
Diagnosis of Piles in Hindi
यह बीमारी ज्यादातर वयस्कों में होती है जिनकी उम्र 50 के आस-पास या उससे कम हो। यदि आपको बवासीर की समस्या ज्यादा हो और दवाओं, मरहम आदि से भी फायदा ना हो तो तुरंत आपको इसकी जांच करानी चाहिए, जिससे कि बवासीर का निदान जल्द से जल्द हो सके। बवासीर में अधिक देरी करने से ज्यादा रक्त बह सकता है जिससे आपके शरीर में रक्त की कमी (एनीमिया) भी हो सकती है।
बवासीर के निदान के लिए मरीज से उसका इतिहास और शारीरिक परीक्षा ली जाती है। इसमें बवासीर के लक्षण के बारे में मरीज से पूछताछ की जाती है। जैसे – कब्ज़, मल त्यागने में कठिनाई, मलाशय पर दबाव, मलाशय से खून आना आदि प्रश्न शामिल होते हैं।
बवासीर का डॉक्टरी इलाज
Medical Treatment of Plies in Hindi
बवासीर का इलाज दो प्रकार से किया जाता है:
- (क) बिना सर्जरी के मात्र दवाओं के माध्यम से।
- (ख) बेहद ख़राब स्थिति हो जाने पर सर्जरी के माध्यम से।
यदि आपने सही समय पर जांच करवा ली है तो आपकी बीमारी दवाओं, इंजेक्शन या बैंडिंग से ठीक हो सकती है। लेकिन अगर बवासीर गंभीर स्थिति में हो तो इसके लिए आपको सर्जरी करानी पड़ती है। लेकिन यहां पर मैं आपको एक बात बता दूं कि आपको इस ऑपरेशन से डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है क्योंकि यह एक बहुत ही आसान सा और एक छोटा सा ही ऑपरेशन होता है, जिसमें आप दूसरे दिन से ही अपना रोज का काम आरंभ कर सकते हैं।
बवासीर के घरेलू उपचार
Bawasir Ke Gharelu Upchaar
छाछ – बवासीर के लिए छाछ एक बहुत ही अच्छा उपाय है। एक चुटकी नमक और एक चौथाई चम्मच अजवाइन को एक गिलास छाछ में मिलाकर इसे रोज पीने से आपका बवासीर ठीक हो जाएगा।
मूली – बवासीर की बीमारी के लिए मूली बहुत ही फायदेमंद है। आप मूली का जूस बना ले और आधे गिलास मूली के रस में एक चुटकी नमक डालकर इसका जूस आप दिन में दो बार पियें। इसके अलावा मूली के पेस्ट को शहद के साथ मिक्स करके गुदा के आस-पास लगाने से दर्द और सूजन को कम किया जा सकता है।
काला जीरा – काला जीरा बवासीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। जीरा पाउडर और पानी से एक गाढ़ा पेस्ट बना लें और इसे सूजन वाली जगह पर 15 मिनट तक लगाएं। यह उपाय बवासीर के लक्षणों को कम करने के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है।
लहसुन – बवासीर के इलाज के लिए लहसुन एक बहुत ही आदर्श समाधान माना जाता है। इसमें उत्कृष्ट सूजन को कम करने वाले विरोधी बैक्टीरिया तथा कसैले गुण मौजूद होते हैं। यह दर्द और सूजन में राहत देते हैं। साथ ही शौच की प्रक्रिया भी आसान हो जाती है।
पपीता – पपीते में विटामिन और खनिज अधिक पाए जाते हैं। साथ ही इसमें एक शक्तिशाली पाचन एंजाइम भी पाया जाता है। जो कब्ज और रक्त बवासीर का इलाज करने में सहायक होता है। पपीते को आप रोज़ अपने नाश्ते में खा सकते हैं। खाने के समय आप कच्चा पपीता अपनी सलाद में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा अगर आपको लगता है कि आंत्र आंदोलन बढ़ गया है तो गुदा क्षेत्र पर इसके रस को लगाकर उसे कम कर सकते हैं।
बादाम – बादाम में फाइबर पाया जाता है जो कि आंतों के लिए फायदेमंद है। रोज सुबह 3 बादाम खाने से बवासीर का अच्छे से इलाज होता है। सूजन और खुजली को कम करने के लिए बादाम का तेल एक अच्छा उपाय है।
ईसबगोल – बवासीर के रोगियों के लिए ईसबगोल बहुत ही अच्छा इलाज है। यह घुलनशील आहार फाइबर का समृद्ध स्रोत है। गर्म दूध या पानी के एक गिलास में एक चम्मच ईसबगोल भूसी को मिलाकर रोज सोते समय पीने से शौच की प्रक्रिया कम होती है और मल त्यागने में दर्द को कम करता है।
आम के बीज – खून और आंतरिक बवासीर के लिए आम के बीज बहुत ही उपयोगी हैं। ये दर्द, सूजन, खुजली और उत्तेजना में राहत देते हैं। आम के बीज के पाउडर को दो बार शहद के साथ मिलाकर बवासीर से छुटकारा मिलता है।
बवासीर का आयुर्वेदिक इलाज
Ayurvedic Treatment of Bawasir in Hindi
हरीतकी – ये खूनी और सूखी बवासीर के लिए फायदेमंद जड़ी-बूटी है।
जिमिकंद – यह भी एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जिसे बवासीर का दुश्मन माना जाता है। यह पाचन और कब्ज के लिए लाभदायक है।
बेल फल – यह एक ऐसा फल है जो सूजन को कम करने, कब्ज का इलाज करने और पाचन तंत्र को स्वतंत्र रखने में लाभकारी है।
तिल के बीज – तिल के बीज बवासीर के लिए अच्छे माने जाते हैं। यह पाचन प्रक्रिया को सही करते हैं तथा सूजन, जलन, खुजली, दर्द आदि को भी कम करते हैं।
बवासीर में क्या खाएं और क्या नहीं
• बवासीर की समस्या के रोगी को हरी पत्तेदार सब्जियां खानी चाहिए।
• प्रतिदिन भरपूर पानी पीना चाहिए।
• प्रतिदिन छाछ का सेवन करना चाहिए।
• मूली का सेवन भी प्रतिदिन करना चाहिए।
• इसके अलावा ब्राउन राइस, ओटमील, होल ग्रेन आटा, होल व्हीट, पस्ता और मल्टीग्रेड ब्रेड को अपनी डाइट में शामिल करने से बवासीर में राहत मिलती है।
बवासीर के रोगी को धूम्रपान, गुटखा, हरी या लाल मिर्च, फास्ट फूड, बाहर का खाना आदि से परहेज करना चाहिए।
परामर्श हेतु संकोच ना करें, शर्मिन्दगी महसूस ना करें
अधिकांश लोगों को यह देखा गया है की वे शर्म के मारे डॉक्टर के पास नहीं जाते जिसका नतीजा यह निकलता है की बवासीर दिन प्रतिदिन गंभीर रूप से बढ़ता जाता है और आगे चलकर यह लगभग लाइलाज की स्थिति में आ जाता है। बवासीर एक ऐसी समस्या है जो गंभीर रूप से बढ़ जाने पर मनुष्य के सामान्य जीवन को छिन्न भिन्न कर देता है। अतः स्वास्थ संबंधी विकारों, बिमारियों अथवा समस्याओं में किसी तरह के परामर्श से शर्म नहीं करनी चाहिए। आखिर जीवन भी तो हमारा है और खुद को स्वस्थ रखना अपने परिवार को स्वस्थ रखने के समान है।
इस लेख में हमने जाना बवासीर (Hemorrhoids in Hindi) की पूरी जानकारी हिंदी में।
मुझे उम्मीद है कि आज की यह पोस्ट आपको पसंद आई होगी। अगर आप आगे भी इस प्रकार की जानकारी पाना चाहते हैं तो pakheru.com से जुड़े रहें और इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ शेयर करके उन्हें भी बवासीर जैसी बेहद खतरनाक शारीरिक समस्या से अवगत करायें।
लेखिका:
ज़रनैन अंसारी