समीक्षा हिंदी फिल्म फुल्लू – जो औरत के दर्द को दर्द नहीं समझता भगवान उसे मर्द नहीं समझता

अम्बिअभि बैनर द्वारा रिलीज़ की गयी फिल्म फुल्लू के प्रोडक्शन का जिम्मा संभाला है पुष्पा चौधरी, अनमोल कपूर और रमण कपूर ने। निर्देशन है अभिषेक सक्सेना का , संगीत का तड़का लगया है विक्की अग्रवाल और आरिफ ने और सबसे बड़ी बात इस फिल्म को एडल्ट प्रमाणपत्र दिया है निहलानी साहब ने ये कहके की पीरियड्स (माहवारी) की बात एक एडल्ट विषय है। वो माहवारी जो किशोरा अवस्था मे ही दस्तक दे देती है एक लड़की के जीवन में।

फुल्लू फिल्म समीक्षा हिंदी

क्या है कहानी का आधार

अभिषेक सक्सेना ने फिल्म को ज्यादा घुमाते हुए नहीं बल्कि सीधे – सीधे अपनी बात कही है। फुल्लू (शारिब अली हाशमी) अपने छोटे से गावं मे एक छोटी बहन और अपनी माँ के साथ रहता है। फुल्लू कोई काम-काज नहीं करता , अपने भारतीय समाज की तरह कि लड़का कुछ नहीं करता तो इसकी शादी करवा दो जिम्मेदारी आएगी तो कुछ न कुछ कर ही लेगा।

इसप्रकार फुल्लू की शादी कर दी जाती है बिगनी (ज्योति सेठ) से और इसी बीच फुल्लू शहर जाता है और एक मेडिकल हाउस में उसे पता चलता है सेफ्टी पैड के बारे में जो माहवारी के वक़्त औरते और लडकियॉ उपयोग करती हैं। लेकिन आज भी भारत मे कई गावं हैं जहाँ ये सेफ्टी पैड उपलब्ध नहीं है। फुल्लू को लगता है की उसके गावं मे ये उपलब्ध होने चाहिए; वो पैड बनाने का काम सीखता है ताकि अपने गावं की औरतो को वो पैड सस्ते में उपलब्ध करा सके लेकिन फुल्लू की बात पुरे गावं में उसकी पत्नी के सिवा किसी के गले नहीं उतरती। तो फुल्लू और उसकी बीवी अपने गावं को समझा पाएंगे या नहीं ये जानने की लिए आप सिनेमा घर का रुख करिये और देखिये इस फिल्म को।

कैसा है कलाकारों का अभिनय

फुल्लू के रोल मे “शारिब” नें जबरदस्त अभिनय किया है , ज्योति सेठ नें भी अपने किरदार को पूरी ईमानदारी के साथ परदे पर उतारा है और बाकी कलाकारों नें भी उनका अच्छा साथ दिया है।

फिल्म का संगीत

फिल्म के बैकग्राउंड मे बजने वाले गीत ‘भुल्लर-भुल्लर’ से जो अभिषेक करना चाहते थे उसमे कामयाब हुए है ,ये गीत दर्शको को बांध के रखता है।

फिल्म का फिल्मांकन शूटिंग

फिल्म को किसी बड़े स्टूडियो में नहीं बल्कि एक गावं मे जाकर फिल्माया गया है जो खामोश रहते हुए भी ये कहता है की “बदले होंगे शहर हुआ होगा विकास उनका”, काश थोडा विकास मेरे हिस्से भी आया होता। फिल्म सच कहती है कि “जो औरत के दर्द को दर्द नहीं समझता भगवान उसे मर्द नहीं समझता”। अगर इस तेज़ी से बदलती दुनिया के पीछे का सच देखना है तो फुल्लू देखने जरुर जाएं।