गेस्ट इन लंदन हिंदी फिल्म समीक्षा
Guest in London Movie Review हिंदी फिल्म समीक्षा गेस्ट इन लंदन
कलाकार:
कार्तिक आर्यन , परेश रावल , कृति खरबंदा , तनवी आज़मी , संजय मिश्रा ,अजय देवगन (कैमियो)
निर्देशक: अश्विनी धीर
संगीत: राघव सचर , अमित मिश्रा , अमर मोहिले
टाइप: कॉमेडी
अवधि: 2 घंटा 18 मिनट
इस फिल्म के निर्देशक ‘अश्विनी धीर’, प्रडूयसर ‘कुमार मंगत’ और पिछली फिल्म में अतिथि का रोल करने वाले ‘परेश रावल’ इस फिल्म में बेशक हों लेकिन इस फिल्म का उनकी पिछली फिल्म से कुछ भी लेना देना नहीं है। इसी वजह से अतिथि को बना दिया गया है “गेस्ट” ; मुंबई की जगह है लंदन और चाची जी भी हैं इस बार चाचा के संग। अरे भाई नाम पुराना भी अच्छा था अश्विनी धीर भी बदलना नहीं चाहते थे लेकिन प्रोडक्शन हाउस से बात नहीं बनी सो रंग मे भंग तो पड़ना ही था।
स्टार : 5 मे से कुल 3 स्टार ही देना चाहूंगा
कहानी पर एक नजर:
“आर्यन ग्रोवर” (कार्तिक आर्यन) जो लंदन में रह रहा है, उसका वर्क वीजा खत्म होने वाला है लेकिन आर्यन वापस भारत नहीं जाना चाहता। उसके साथ काम करने वाले लोग उसे ये सलाह देते हैं कि वो लंदन की किसी लड़की से शादी कर ले तो ब्रिटिश सरकार उसे स्थाई वीजा दे देगी। लड़के को आईडिया जम जाता है; चूँकि आर्यन ग्रोवर फिल्म का हीरो है सो उसे अपनी हिरोइन भी मिल जाती है जिसका नाम है “अनया पटेल” (कृति खरबंदा) जो ब्रिटिश मूल की लड़की है। आर्यन उसके साथ नकली शादी का प्लान बनता है , मतलब कि सीक्रेट डील जिसमें दोनों साथ रहेंगे लेकिन कोई पति पत्नी जैसा रिश्ता नहीं रहेगा दोनों के बीच। सब कुछ लगता है सही हो गया है, तभी बजता है आर्यन का फ़ोन; भाई चाचा (परेश रावल) जी आ रहे है इंडिया वाले चाची (तनवी आज़मी) को लेकर! फिर चाचा और चाची कोहराम , बवंडर हुडदंग सब मचाते हैं।
फिल्म में पाकिस्तान को भी एहसास दिलाया जाता है कि तुम भारत के बेटे हो सर्जिकल स्ट्राइक का भी जिक्र है जिसकी कोई जरूरत नहीं थी। पिछली फिल्म अतिथि तुम कब जाओगे से यह फिल्म जिसमें हुडदंग कोहराम कुछ ज्यादा ही है क्या आपको हँसा पायेगी ? ये बात जानने के लिए आपको थिएटर की तरफ रुख करना होगा।
कलाकारों का अभिनय:
परेश रावल की कॉमेडी सें तो हम सभी परिचित हैं लेकिन हां चाची तनवी आज़मी भी चाचा से अभिनय मे कम नहीं हैं। उन्होंने बिलकुल जोरदार तरीके से अपनी भूमिका को निभाया है जो फिल्म में दिखती है। कार्तिक आर्यन और कृति खरबंदा नई जोड़ी है फिर भी अच्छे लगते हैं। दोनों नें मेहनत की है अपने–अपने किरदार के लिए; ये बात जब आप फिल्म देखते हैं तो आपको एहसास होता है। संजय मिश्रा मंझे हुए कलाकार हैं जो भी रोल मिलता है बिना देर किये उसमें ही रम जाते हैं।
फिल्म समीक्षा रिव्यु:
कहानी में नयापन बिलकुल नहीं है फिर भी इतन दम तो है कि आपको बोर बिलकुल भी नहीं होने देगी। जिन लोग नें पिछली फिल्म अतिथि तुम कब जाओगे देखी है उनको ये बता दें कि पिछली फिल्म से इसमें सब कुछ ज्यादा है कॉमेडी भी और इमोशन भी। आखिर में अजय भी आते हैं, कुल मिला के अगर थोडा भी मन है तो चले ही जायें परिवार के संग; थोडा बहुत खीच-तान है कहानी में लेकिन चाचा-चाची आपको उसमे उलझने नहीं देंगे।