अमित शाह से भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य बनने तक का सफ़र
अमितभाई अनिलचंद्र “अमित” शाह, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हाल ही में बीते शनिवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे। संयोग कहिये या कुछ और जिस दिन वो पहुंचे, उसी दिन सपा के 2 एमएलसी बुक्कल नवाब, यशवंत सिंह और बसपा के 1 एमएलसी ठाकुर जयवीर सिंह नें अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जिसे कांग्रेस नें भाजपा की तोड़-फोड़ नीति का हिस्सा कहा। जाहिर है की गुजरात में कांग्रेस पार्टी के कई विधायक भाजपा में शामिल हो गये हैं जिस वजह से अहमद पटेल जो राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की तरफ़ से उम्मीदवार हैं उनका जीतना मुश्किल नज़र आ रहा है। भारत के 13 राज्यों में भाजपा के मुख्यमंत्री हैं जबकि जम्मू कश्मीर और बिहार में भाजपा सरकार अहम् भूमिका में है। लगभग आधे देश में भाजपा है फिर भी अमित शाह चैन से नहीं बैठे हैं वो बंगाल में भी भाजपा चाहते हैं; जहाँ 2014 के लोकसभा चुनाव मे उन्हें मात्र 1 सीट मिली थी और उसके बावजूद वो बंगाल में एक विपक्ष के तौर पर उभरे हैं। बीजेपी नें “सपा” “बसपा” को उत्तर प्रदेश में लगातार 2014 लोकसभा और 2017 विधानसभा के चुनाव में पूरी तरह से उखाड़ दिया है। उत्तर प्रदेश में जो हुआ जिसमें सपा बसपा साफ़ हो गयी, यह भाजपा नें भी नहीं सोचा होगा लेकिन अमित शाह नें उसे हकीकत कर दिखया। उनके बारे में थोडा विस्तार से जानते हैं।
22 अक्टूबर 1964 को अमित शाह का जन्म मुंबई के एक संम्पन गुजराती परिवार मे हुआ था। उनके पिता अनिलचन्द्र शाह गुजरात के गाँधी नगर जिले के एक गावं मान्सा के व्यापारी थे और पीवीसी पाइप का एक सफल व्यवसाय चलाते थे। 16 साल तक अमित शाह मान्सा में ही रहे और अपनी स्कूल की पढाई पूरी की; उसके बाद उनका परिवार अहमदाबाद चला आया जहाँ उन्होंने सीयु शाह विज्ञान महाविद्यालय जैव रसायन मे बी.एस.सी. की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद अपने पिता के व्यवसाय में शामिल हो गये। अमित शाह किशोरावस्था से ही राष्र्टीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे बी.एस.सी. की डिग्री करते समय वो राष्र्टीय स्वयंसेवक संघ के एक अच्छे स्वयंसेवक बन गये। 1982 अहमदाबाद में ही एक उनकी मुलाकात राष्र्टीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक नरेंद्र दामोदरदास मोदी से हुई जो उस वक़्त युवा मोर्चा का कार्य देख रहे थे और आज भारत के 14वें प्रधानमंत्री है। मोदी से मुलाकात के ठीक एक साल बाद 1983 में शाह सक्रिय राजनीति में आ गये और राष्र्टीय स्वयंसेवक संघ की विद्यार्थी शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में लगभग 4 वर्षों तक काम किया। उसके बाद 1987 में जब उनकी उम्र कोई 25 साल थी वो भाजपा के युवा मोर्चे के सदस्य बन गए और तालुका सचिव से शुरुआत करके वो राज्य सचिव, उपाध्यक्ष और महासचिव के पद तक पहुंचे।
आपको ये बताते चलें की मोदी और अमित शाह के भाजपा में शामिल होने में मात्र एक साल का अंतर है। 1985 में मोदी शामिल हुए और ठीक एक साल बाद अमित शाह। 1991 जब लाल कृष्ण आडवाणी गांधी नगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे तो प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी अमित शाह को दी गयी थी। आडवाणी और शाह की इस जोड़ी नें लगभग दो दशक तक साथ-साथ कार्य किया यानि 2009 के लोकसभा चुनाव तक आडवाणी के चुनाव की रणनीति क्या होगी ये शाह ही तय करते थे। 1995 में भाजपा नें गुजरात में पहली सरकार बनाई जिसके मुखिया बने केशु भाई पटेल लेकिन सरकार 5 साल पुरे होने से पहले ही 1997 में गिर गयी। फिर उपचुनाव हुए और अमित शाह नें अपना पहला विधान सभा चुनाव लड़ा सरखेज से और 25000 मतों से जीत हासिल की और 1998 में दूसरी बार फिर उसी सीट पर 1 लाख से ज्यदा मतों से जीत हासिल की। आपको याद होगा या नहीं लेकिन, मोदी 1995 से 2001 तक गुजरात से बाहर भाजपा के दिल्ली कार्यलय में रहे क्योंकि गुजरात के नेता शंकर सिंह वाघेला नें उनकी शिकायत में ये कहा की वो भाजपा को गुजरात में कमजोर कर रहे हैं। 1995 से 2001 तक मोदी गुजरात से बाहर थे लेकिन उनको गुजरात की सारी खबर शाह देते रहे। सहकारी आन्दोलन पर गुजरात कांग्रेस की अच्छी पकड़ थी एक या दो बैंक छोड़कर सबपर कांग्रेस का नियंत्रण था जिसे खत्म करने में शाह नें अहम् भूमिका अदा की और भाजपा को गावं-शहर सब जगह मजबूत किया। शाह के इन्हीं कार्यों की वजह से भाजपा नें सहकारी बैंकों, दूध डेयरियों और कृषि मंडी समितियों के चुनाव जीतने शुरू किये।
2002 में तीसरी बार जब अमित शाह नें सरखेज से चुनाव लड़ा तो वो लगभग 1.5 लाख से भी ज्यदा मतों से विजयी घोषित हुए। मंत्री के रूप में उन्होंने गृह मंत्रालय , परिवहन मंत्रालय और कई मंत्रालयों में अहम् भूमिका निभाई। 2007 में वो एक बार फिर सरखेज से ही लगभग 2 लख मतों से जीते। 2010 में एनकाउंटर का एक केस उन पर दर्ज हुआ जिस वजह से उन्हें कैद भी कर लिया गया, 90 दिनों के बाद शाह जमानत पर बाहर आये। 2015 में विशेष सीबीआई अदालत नें उनको आरोपों से मुक्त कर दिया। 2012 में शाह नें पांचवी बार चुनाव लड़ा नव निर्मित नारायणपुर विधानसभा से और जीत दर्ज की; वर्तमान में वो इसी सीट से विधायक है। 2013 में उनको भाजपा का महासचिव बना गया और जब मोदी नें गुजरात से दिल्ली की तरफ़ कदम बढाये तब सत्ता की चाभी कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनया अमित शाह को वो इस पर खरे उतरे और 80 में से 72 सीट भाजपा और उसके सहयोगी दलों नें जीत ली।
अमित शाह को 2014 में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया जिसके बाद से वो लगातार भाजपा का विस्तार कर रहे हैं। जिसका प्रमाण यह है कि 2014 के बाद हुए विधानसभा के चुनावों में एक या दो जगह को छोड़कर बाकी सब भाजपा नें सरकार बनाई और बिहार जहाँ हार के भी वो जीत गये। इन सब जीतों की वजह से ही अमित शाह को भाजपा का चाणक्य कहा जाने लगा। अमित शाह राज्यसभा का पर्चा गुजरात से भरके दिल्ली आने को तैयार हैं और चर्चा ये भी है कि उनको मंत्री मंडल में भी खास जिम्मेदारी दी जायेगी।