Pakheru.com पर हमेशा की तरह एक बार फिर हम कुछ अलग लेख लेकर आये हैं। इस लेख का शीर्षक “अवार्ड लौटंकी के बाद जज नौटंकी” देखकर आप समझ गए होंगे की आज का विषय किसपर आधारित है। दिनांक 12 जनवरी 2018 को सुप्रीमकोर्ट के 4 न्यायाधीशों नें सार्वजानिक रूप से प्रेसकॉन्फ्रेंस करते हुए ये
” देख तेरे संसार की हालत क्या हो गयी भगवान् कितना बदल गया इंसान, कितना बदल गया इंसान सूरज न बदला, चाँद न बदला, न बदला रे आसमान कितना बदल गया इंसान, कितना बदल गया इंसान। “ ऊपर अंकित पंक्तियाँ सुप्रसिद्ध लेखक , कवि व गीतकार “प्रदीप” की हैं जिसे उन्होंने सन 1954 में
ईश्वर की चर्चा जब भी हम करते हैं तो कुछ लोग इसे केवल अन्धविश्वास, सामान्य मान्यता, पूजन प्रथा और सदियों से चली आ रही एक मिथ्य तथ्य ही मानते हैं। वहीँ दूसरी तरफ अनेकों लोग हैं जो ईश्वर के अस्तित्व में पूरा विश्वास रखते हैं, उनका यह मानना है की संसार में हर सजीव
सुन्दर सुडौल शरीर पाने की चाहत हर किसी में होती है फिर वो चाहे पुरुष हो या महिला हर कोई अपने आप को फिट रखने में जुटा हुआ है। Body Fitness का खयाल करना आज के समय में बेहद जरूरी है, अगर हम अपनी अच्छी Diet and Fitness का पूरा ध्यान रखें तो हमारा
अमूमन तौर पे हम भारतीयों में चाहे पुरुष हो या महिला दोनों ही अपनी सेहत के प्रति बेहद लापरवाह दिखाई पड़ते हैं। ऐसी कई प्रकार की बीमारियां हैं जो हमारी सेहत के प्रति बढ़ती लापरवाही की वजह से दिन प्रतिदिन हमें कमजोर बनाती चली जाती हैं। तमाम बिमारियों में से एक बीमारी Thyroid भी
नव वर्ष के आगमन को लेकर हम सभी कितने उत्साहित रहते हैं। हमारे मन में अनेक प्रकार के ख़याल आते हैं, अनेक प्रकार की योजनाओं का सृजन भी हम अपने मन में करते हैं परन्तु हर बार की तरह हमारी योजनाएं अधूरी ही रह जातीं हैं और फिर अगला वर्ष दस्तक दे बैठता है।
पृथ्वी पर मौजूद अन्य जीवों की तरह मानव भी एक जीव है पर यहाँ एक बात गौर करने लायक है की सम्पूर्ण पृथ्वी पर हर एक जीव अपने आप में कई प्रकार की प्रजातियों को सम्मलित किये हुए है। किन्तु मानव रुपी इस विशेष प्रकार के जीव की कोई अन्य प्रजाति नहीं है। न
क्या आप जानते हैं की प्याज़ हमारे बालों को सजाने सवारने का भी काम कर सकता है? जी हां खाने में स्वाद बढ़ाने के साथ साथ प्याज़ इंसान के झड़ते बालों को भी रोक सकता है। प्याज़ में पाया जाने वाला “सल्फर” बालों की बढ़ोतरी करता है और झड़ने की समस्या को भी समाप्त
अपने गांव में भूषण सिंह का अलग ही रुतबा था, एक दम चोकस राजपूताना ठाट-बाट। धन संपदा का आलम तो ऐसा था की आँख उठाकर देखते जाईये, गारंटी है की आपकी आँख की पुतली बाहर आ जाएगी मगर आप उनकी ज़मीन का छोर नहीं देख पायेंगे। खेत बाड़ी बागीचा के अलावा भूषण सिंह अपना
कहते हैं की गुजरा वक़्त कभी लौटकर नहीं आता, आज यह बात सच्ची मालूम पड़ती है। मनुष्य आज कितना आज़ाद है संपन्न है फिर भी वो अपने आपको इस आज़ादी में जकड़ा हुआ ही मसहूस करता है। असल में आज़ादी हमारी मानसिकता से जुड़ा हुआ एक विषय है पर हम उसे अपने व्यव्हार में