अपने वास्तविक नाम “रामकृष्ण यादव” से निकल कर “बाबा रामदेव” की छवि बनाने वाला यह शख्स जो दिखने में तो अति साधारण लगता है पर कार्य बड़े असाधारण किये हैं । पखेरू पर आज हम चर्चा कर रहे हैं योग गुरु स्वामी रामदेव की जो आज देश के जाने-माने हस्ती बन चुके हैं। शून्य
दिन शुक्रवार, दिनांक 25 अगस्त 2017, समय दोपहर 2:00 बजे के बाद हुई Dr Gurmeet Ram Rahim Singh Ji Insan नामक बाबा जी की गिरफ़्तारी नें एक बार फिर देश में फैले बाबा तंत्र को उजागर कर दिया है। राम रहीम कहलाने वाले बाबा 15 साल की लड़की के साथ बलात्कार के दोषी पाये
रूठना और मनाना या फिर रूठे हुए को मनाना यह दोनों ही बातें रिश्तों के प्रेम भाव को दर्शाती हैं। रूठने-मनाने का यह खेल तो हमने दोस्तों के साथ, भाई बहन के साथ बहुत खेला है पर यही खेल खुछ अन्य रिश्तों का भी अहम पहलू है, क्योंकि रूठे को तभी मनाया जाता है
इंतज़ार करना कितना असहनशील कार्य है। सामान्य संबंधों में इंतज़ार करना मन में खीज पैदा कर देता है उस व्यक्ति के लिए; परन्तु इंसान विवश है “इंतज़ार” शब्द के आगे, क्योंकि बिना इंतज़ार उसे कुछ नहीं मिल सकता। कहीं जन्म के लिए इंतज़ार, कहीं मृत्यु के लिए इंतज़ार, कहीं इंतज़ार ख्वाबों के पूरा होने
बात उन दिनों की है जब हिन्दुस्तान इंटरनेट के क्रांति युग में प्रवेश कर रहा था। करीब सन 2000 के आस-पास भारत के चंद अग्रणी शहरों में इंटरनेट की व्यवस्था उपलब्ध हो चुकी थी। जो युवा युवती उस वक़्त कंप्यूटर शिक्षा से जुड़े हुए थे वे इंटरनेट पर आकर काफी रोमांचित थे और जो
कहते हैं “ज़िन्दगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मकाम वो फिर नहीं आते” हाँ यह बात बिलकुल सत्य है बीता वक़्त वापस नहीं आता। उम्र के पड़ावों को हम जैसे जैसे पार करते चलते हैं वैसे वैसे बीते हुए वो सभी पड़ाव हमारा अतीत बन जाते हैं। जीवन की मशगुलियत से जुदा
‘प्रभाकर तिवारी’ गांव के जाने माने पंडित के पुत्र हैं, अपनी युवास्था में ही वे पूजा पाठ के कार्यों में लग गए…ऊ का है कि, उनके दादा और पिता भी बड़े पंडितों की गिनती में आते थे । खैर दादा ‘राजाराम तिवारी’ तो दुनियां में रहे नहीं परन्तु पिता ‘परशुराम तिवारी’ अभी जीवित हैं
भारत और भ्रष्ट्राचार एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। देश में बढ़ रहा भ्रष्टाचार एक नैतिक स्वीकृति बनती जा रही है जिसे आम लोगों के साथ-साथ सरकारी अफसर भी अब इसे कार्यालय संचालन का एक हिस्सा मान चुके हैं। सरकारी दफ्तरों व् सरकारी अस्पतालों का ध्यान जैसे ही हम करते हैं, तो केवल
वेंकैया नायडू को देश का 13वां उपराष्ट्रपति चुन लिया गया है । प्राप्त जानकारी के अनुसार वेंकैया नायडू को गोपालकृष्ण गाँधी के मुकाबले दोगुने वोट मिले। कुल 771 वोटों में से 516 वोट वेंकैया नायडू के खाते में गए तो वहीं UPA कैंडिडेट गोपालकृष्ण गाँधी को कुल 244 वोट ही मिल पाये। जीत के
8वीं तक भी फेल हो सकते हैं बच्चे, फिर फेल सकते हैं बच्चे, बदला जायेगा आठवीं तक न फेल करने का कानून, नो-डिटेंशन पॉलिसी, राइट टू एजुकेशन कानून में होगा फेरबदल, अब 8th तक भी फेल हो सकते हैं बच्चे, नो-डिटेंशन पॉलिसी खत्म होगी, No-Detention Policy in India, No-Detention Policy Review, 1 अप्रैल 2010