उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की विशाल जीत नें सभी राजनितिक दलों को चौंका दिया है। UP assembly election 2017 में ऐसा क्या हुआ कि BJP के खाते में 325 सीटें आ गयीं ये अपने आप में एक सवाल है और एक बदलाव भी। Uttar Pradesh (UP) Assembly Elections 2017 का
हास्य व्यंग : क्या मोटापा सच में एक बड़ी परेशानी है ? आईये मिलते हैं शर्मा जी से 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 खाने का शौक और आलस इन्सान को क्या से क्या बना देता है ! अब हमारे शर्मा जी को ही ले लीजिये कभी बड़ा सुडौल और छहरीला बदन था इनका, मगर
यह कोई पहला मामला नहीं है कि ‘Central Board of Film Certification‘ नें किसी फिल्म के प्रदर्शन को रोका हो। हम अक्सर फिल्म निर्माताओं और Censor Board के बीच होने वाले विवाद को देखते और सुनते आयें हैं। Central Board of Film Certification कोई व्यक्तिगत संस्था नहीं है ये एक सरकारी संस्था है जिसके
होली आने वाली है ये बात जहन में आते ही बहुत कुछ याद आनें लगता है जैसे अपने बचपन का वो पल जब हम दोस्तों के साथ होली वाले दिन उछल कूद किया करते थे और मोहल्ले में होली पे आधारित पुरानी फिल्मों के गीतों का बजना .. सच में मन अनायास ही एक
आई गयी होली …… सबेरे-सबेरे हमरे पाजामें पे एक बच्चा पानी भरा गुब्बारा फेक दिया और दौड़ के भागा अपनें घर में, ‘पाण्डेय जी’ जान गये कि होली आये वाली है अब जरा कुरता पजामा बचा के चलना पड़ेगा। ससुरा ई अजीब त्यौहार है – दुनियाँ का सारा कुकर्म कर देते हैं औऱ कहते
“चुनावी जूमलों और नारों में उलझती जनता” हिंदुस्तान में होने वाले चुनाव का माहौल किसी युद्ध से कम नहीं होता। देश की तमाम राजनीतिक पार्टियाँ अपने पूरे जोश और ताकत से चुनाव के प्रचार प्रसार में डूब जातीं हैं। हर पाँच साल में हमारे नेताओं को जनता का ख़याल आता है और फिर शुरुआत
“सामूहिक और एकल परिवार” , मैं किसी कथा कहानी या फिल्म की बात नहीं कर रहा बल्कि ये शीर्षक वर्तमान में कमजोर होते पारिवारिक रिश्तों और प्रभावित होते जीवन के मामलों को उजागर करता है। हमारे देश में माँ बाप , भाई बहन, पती पत्नी के अलावा ऐसे कई अन्य रिश्ते भी हैं जिन्हें
कहते हैं कि “परिवर्तन ही संसार का नियम है” सच में बहुत कुछ बदल गया है। भारत का अतीत और भारत का वर्तमान दोनों में ही ज़मीन आसमान का अंतर स्पष्ठ दिखायी देता है। परंतु एक ऐसी चीज है जिसके बदलाव से भारतीय राजनीति, उसके मूल एवं सिद्धान्त भी काफी बदल गये जिससे आज
भारतीय राजनीती और जातिवाद इन दोनों का बहुत पुराना और गहरा रिश्ता है जो बदलते भारत के साथ – साथ अपनीं जड़ें और भी मजबूत करता चला गया। हिंदुस्तान की आज़ादी को पूरे 70 साल हो गये मगर इन 70 सालों में भी जातिवादिता हमारे समाज में विद्द्मान रही या यूँ कहें कि जातिवादिता
14 February, साल की ये खास तारीख जिसका जवाँ दिल बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। वैसे तो ये दिन पूरे विश्व में अपनी खास पहचान बना चुका है पर इसके हक़ीक़त का शायद ही किसी को पता हो। रोम से निकल कर यूरोपीय देशों, फिर धीरे – धीरे इस्लामिक देशों और भारत समेत अन्य