ब्लॉग, वेबसाइट या फिर यूट्यूब चैनल, सभी के लिए ‘बाउंस रेट‘ बेहद महत्त्वपूर्ण होता है। सिर्फ ब्लॉग या वेबसाइट बना देने से काम नहीं चलता, हमारे लिए यह भी जानना बहुत जरूरी है की हमारे ब्लॉग एवं वेबसाइट पर रोज कितने विजिटर आ रहे हैं, कौन से देश-शहर से आ रहे हैं, किस सोर्स
पखेरू पर आज का विषय है Personal Blogging और Professional Blogging. अधिकांश लोग ब्लॉग को केवल एक रूप में ही देखते हैं। मगर ऐसा नहीं है, ब्लॉग के भी 2 रूप होते हैं जिसे ‘पर्सनल‘ एवं ‘प्रोफेशनल‘ नाम दिया जाता है। ऑनलाइन लेखन का कार्य पहले विदेशों में देखने को मिलता था मगर अब
किसी भी व्यापार को सफल बनाने में ‘विज्ञापन‘ के महत्त्व को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। अख़बार के माध्यम से वर वधु की तलाश करना भी विज्ञापन कहलाता है। नौकरी या साक्षात्कार के लिए भी विज्ञापन उपयोगी है। किसी प्रकार की सरकारी सूचना में भी विज्ञापन का इस्तेमाल किया जाता है। हमारे जीवन में
सन 1949-50, गांव के किसान ‘मंगत राम‘ अपनी बेटी ‘निमकी‘ का ब्याह दूर एक दूसरे गांव के किसान पुत्र ‘हरिओम‘ से कर रहे थे।यह वो दौर था जब भारत में बाल विवाह का होना एक सामान्य बात हुआ करती थी। घर में ब्याह के लोक गीतों का कार्यक्रम जारी था; बूढ़ी व जवान महिलाएं
20 मार्च से पूर्व हमारे पास वक़्त की बेहद कमी थी।फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि सरकार ने घोषणा करते हुए 20 से 25 दिनों तक का लंबा वक़्त हमें दे दिया। वहज जानी पहचानी है जिसका नाम है ‘कोरोना’, एक चाइनीज महामारी। इस लंबे वक़्त को पाकर क्या आप उत्साहित हैं ?क्या आप
देश की राजधानी दिल्ली का कुल क्षेत्रफल 573 वर्ग मील है अर्थात 1,484 स्क्वायर किलोमीटर। जिसमें से 302 वर्ग मील भाग ग्रामीण और 270 वर्ग मील भाग शहरी माना जाता है। आँकड़े को प्रतिशत में बदलें तो करीब 52.71% हिस्सा ग्रामीण और 47.12% हिस्सा शहरी नज़र आता है। ध्यान रहे, 47.12% के शहरी हिस्से
श्री ‘कोरोना वायरस’ और सरकारी ‘लॉक डाउन’ के बीच फ़िलहाल मेरा समय बीत रहा है।सच कहूं तो लॉक डाउन मेरे जीवनशैली के अनुरूप है यानि मैं ज्यादा घुमक्कड़ प्रवृत्ति का नहीं हूँ। सामान्यतः मेरा मन बाहर कहीं तफ़रीश करने को करता ही नहीं, फिर वो चाहे शनिवार या रविवार की छुट्टी का दिन ही
हाय रे कोरोना उर्फ़ कोविड-19, ई चाइना वाले कब से असली माल बनावे लागे बे ! इनकर डुप्लीकेट अउर नकली माल का सेहत पर आज तक कउनो गलत प्रभाव नाय पड़ा, मगर जबसे “कोरोना” नाम का असली आइटम बनावा है, साला..तबे से सबकर सेहत डांवां-डोल होई गा है। देखो भईया ‘जि-पिंग’ आप असली समान
हर रोज की तरह राम अवतार अपने घर पर स्कूली बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रहे थे। तभी अचानक द्वार पर एक व्यक्ति अपने 13 वर्षीय पुत्र के साथ हाज़िर होता है। द्वार पर पधारे अंजाने व्यक्ति को देखकर राम अवतार उससे सवाल करते हैं – जी आप कौन हैं ? व्यक्ति अपना परिचय देते
सन 1990, तारकेश्वर दुबे भारतीय रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर के पद से रिटायर हुए थे।रेलवे की नौकरी से सेवा निवृत होने के उपरांत उन्होंने घर में बच्चों को ट्युशन पढ़ाने का जिम्मा संभाला। हालांकि तारकेश्वर जी की पत्नी ‘कमला’ ये नहीं चाहती थी कि उनके पति एक लंबी सरकारी नौकरी करने के बाद