CPA Marketing in Hindi, सीपीए मार्केटिंग क्या होती है आज पखेरू के इस विशेष लेख में समझेंगे। दोस्तों इंटरनेट केवल समाचार पढ़ने और ईमेल भेजने के लिए ही इस्तेमाल नहीं होता। आज 21वीं सदी में इंटरनेट हमारी रोजमर्रा की जरूरत बन पड़ा है; कुछ पल के लिए यदि हमारे स्मार्टफोन का इंटरनेट बंद हो
जानवरों से प्रेम रखना अच्छी बात है और मैं तो कहता हूँ की घर में एक ना एक पालतू जानवर होना भी चाहिए। वैसे जब पालतू जानवर की बात आती है तो बिल्ली और कुत्ता सबसे ज्यादा पालतू जानवरों के रूप में देखे जाते हैं। साउदी अरब जैसे देशो में लोग शेर को भी
क्रॉल बजट क्या है ? Crawl Budget Kise Kahte Hain ? दोस्तों जब बात SEO की होती है या जब बात Search Engine Ranking की होती है तो उसमें एक शब्द अधिकतर सुनने को मिलता है जिसे ‘crawl budget‘ का नाम दिया जाता है । एस.ई.ओ या डिजिटल मार्केटिंग के क्षेत्र में काम करने
Pakheru.com पर आज का यह लेख उन लड़के , लड़कियों व उन तमाम लोगों के लिए है जो घर बैठकर पैसे कमाना चाहते हैं । मैं स्वयं एक डिजिटल मार्केटर हूँ प्राइवेट कंपनी में नौकरी भी करता हूँ इसके अतिरिक्त मैं अपने हिंदी ब्लॉग ‘पखेरू’ नियमित लेखन का कार्य भी करता हूँ । अपने
Low Back Pain in Hindi क्या करें और क्या ना करें जब लोअर बैक पेन हो। दोस्तों कहा जाता है की शरीर से ही सब कुछ है अर्थात दुनियां का हर ऐशो आराम हमारे लिए तब ही मायने रखता है जब हमारा शरीर पूरी तरह स्वस्थ हो। निरोग शरीर किसी दौलत से कम नहीं
म्यूच्यूअल फंड्स का नाम तो अपने कई बार किसी न किसी के मुंह से सुना होगा और आपने इसके विज्ञापन टीवी पर भी देखे होंगे। उस वक्त आपके दिमाग में एक सवाल आया होगा, आखिर म्यूच्यूअल फंड्स है क्या ? उस वक्त आपने कई लोगो से ये सवाल किया होगा, सभी से अलग-अलग जवाब
ददरी मेला क्या है ? क्यों लगता है ? और कब लगता है जैसे प्रश्नों का जवाब देने से पूर्व कुछ ‘बलिया’ के बारे में भी जान लेते हैं। बलिया नाम सुनकर आप शायद यह जरूर सोचते होंगे कि ये नाम आखिर पड़ा कैसे ! जानकारी के लिए आपको बता दूँ कि राक्षस राज
On Page SEO की बात तब तक पूरी नहीं हो सकती जब तक Canonicalization SEO की बात न की जाय। तो चलिए एस.ई.ओ ऑन पेज के अध्याय में आज हम केवल कैनोनिकल टैग की बात करते हैं। आखिर क्यों कैनोनिकल टैग का इस्तेमाल किया जाता है ? और क्या इसका इस्तेमाल किया जाना जरूरी
समय जो कब शुरू हुआ और कहां इसका अंत होगा कोई नहीं बता सकता। युगों-युगों से बहती समय की धारा में ब्रम्हांड का हर एक रहस्य कैद है, दोस्तों यह कहना गलत नहीं होगा की समय वो पहिया है जिसपर हमारी गाड़ी दौड़ रही है। पृथ्वी पर उपस्थित मानवीय जीवन और उसका विकास भी
सन 1980-1990 का दशक बिन रेडियो के अधूरा था। अब रेडियो के महत्त्व को क्या बतलायें; उस ज़माने में घर के हर एक सदस्य के पास अपना रेडियो होता था। बाबा का अपना, पिताजी का अपना, माँ का अपना और पढ़ने वाले बच्चों का अपना। समाचार, क्रिकेट कमेंट्री, सखी सहेली और विविध भारती लोगों