मी-टू MeToo, महज़ एक हैशटेग नहीं बल्कि अपने आप में एक दर्द की गर्दिश में छुपी हुई दुनिया है। जी हाँ आज हम एक बहुत ही संजीदा मुद्दे पर बात करने जा रहे हैं। मैं जानती हूँ कि इस विषय पर बात करना कितना ज्यादा जरूरी है, अतः मैं आपसे Metoo के प्रभाव के
क्या आपको याद है, कि कल शाम को बड़ी ही तन्मयता से जब आप अपने फोन में व्यस्त थे तब माँ आपके पास आई थी, वह आपसे कुछ ज़रूरी बात करना चाहती थी लेकिन आपको अपनी एक अलग दुनिया में डूबा हुआ देखकर उन्होंने आपसे कुछ ना कहना ही बेहतर समझा। लेकिन इसमें कौन
“डिंक DINK” जी हाँ, आपने शायद इस शब्द के बारे में पहली बार सुना हो। आज मैं इस अनोखे विषय पर आपसे बात करने जा रही हूँ। इस विषय पर बात करने से पहले मैं डिंक शब्द का अर्थ स्पष्ट कर देना चाहती हूँ। डिंक शब्द मूलतः अंग्रेजी का शब्द है जो कि अंग्रेजी
दुनियां, मैं वैसी नहीं हूँ जैसा कि तुम मुझे देखना चाहती हो। हाँ यह बात सच है कि मैं तुमसे अलग हूँ, मैं किसी और की तरह नहीं होना चाहती क्योंकि मैं बस खुद के जैसी हूँ। मैं वह नहीं हूँ जो खूबसूरत दिखने के लिए उस महंगे काजल का सारा दिन इस्तेमाल करती
हमारे जीवन का सबसे खूबसूरत हिस्सा होता है अलग-अलग जगहों पर जाना और उन्हें अपनी नजर से देखना, महसूस करना और उस जगह की सकारात्मक ऊर्जा को अपने दिल में स्थान देना। बदलते वक्त के साथ सफर के मायने भी सबके लिए बदलते जा रहे हैं, तो यदि आप पुरानी जगहों का नाम सुनते-सुनते
आजकल के वक्त में रिश्ते बहुत तेजी से बदल रहे हैं, ऐसा अक्सर होता है कि जो लोग ज्यादा वक्त तक एक दूसरे के साथ रहकर खुश नहीं रह पाते लेकिन यह तो मानव जीवन का सच है कि परिवर्तन होना अनिवार्य है। लेकिन उससे ज्यादा जरूरी भी कुछ है तो वह है की
कहा जाता है कि पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती हैं और मुझे नहीं लगता कि आज तक कही जाने वाली सारी बातों में से कोई भी बात ऐसी होगी जो इस बात से ज्यादा खूबसूरत होगी। पुस्तकें समाज का प्रतिबिंब हैं और इन पुस्तकों से ही साहित्य की नींव निर्धारित होती है। भारतीय
भारत एक ऐसा देश है जहां पर सबसे अधिक लोक कलाओं (Lok Kala) का जन्म हुआ है। यदि हम गौर करें तो हमें बहुत सी ऐसी कलाएँ देखने को मिलेंगी जिनके बारे में हम भारतवासी होने के बावजूद भी नहीं जानते और इन कलाओं का स्वरूप इतना विराट है कि यह किसी तरह के के
जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है। जन्माष्टमी को श्री कृष्ण जन्म के फलस्वरुप मनाया जाता है। जन्माष्टमी अपने साथ ढेर सारी मुस्कुराहटों को लाती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि ना सिर्फ हिंदुस्तान में नहीं अपितु पूरे विश्व के कुछ हिस्सों में भी जन्माष्टमी के इस उत्सव को बड़े ही
नेटफ्लिक्स (Netflix) आज के दौर में सभी कला प्रेमियों के लिए एक नया मुकाम बनकर सामने आया है। हर शख्स जो नए और बेहतर चीजों को देखने में अतुलनीय रुझान रखता है उसके लिए नेटफ्लिक्स कोई वरदान से कम नहीं यही वजह है कि आज भारत ही नहीं बल्कि समस्त विश्व में Netflix ने