कलाकार: राजकुमार राव,पंकज त्रिपाठी,रघुबीर यादव निर्देशक: अमित मसुरकर टाइप: कॉमेडी अवधि: 1 घंटा 46 मिनट सर्टिफिकेट: U/A रेटिंग: 3.5 स्टार इस साल राजकुमार राव की कई फिल्म रिलीज़ हो चुकी हैं, अभी जल्दी ही कुछ हफ्तों पहले आई बरेली की बर्फी को दर्शकों का प्यार मिला। बहन होगी तेरी भी भले ज्यादा न चली
न मजहब नजर आता है, न जात दिखती है, जब से हुआ है दिल उसका बस, उसी की सूरत दिन रात दिखती है !! ऊपर की पंक्ति कल भी सही थी आज भी सही है और आगे भी रहेगी। मध्यप्रदेश के दो युवा राजनीतिक़ारों नें इस बात को सच कर दिखाया है। दोनों ही
21वीं सदी है सबकुछ बदल रहा है। सच बात है, सबकुछ कितना आधुनिक होता जा रहा है। तकनीकि से भरी इस दुनियां नें सभी को कितना दूर कर दिया है , मोबाइल फ़ोन , ईमेल , फेसबुक एवं व्हाट्सएप्प इत्यादि कहने को तो सोशल नेटवर्क हैं पर इनमें वो बात कहाँ जो इंसान के
गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में जो हुआ वो स्कूल के ही किसी कर्मचारी नें किया। न्यूज़ मे चल रही खबरों के मुताबिक बस कंडक्टर जो अभी पुलिस की गिरफ्त मे है उसने 7 साल के प्रद्युमन को अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश की। उस मासूम ने विरोध किया तो ड्राईवर ने
सोशल मीडिया के दौर में लोग कितनी जल्दबाज़ी में हैं। फेसबुक, व्हाट्सएप , ट्वीटर और यूट्यूब इत्यादि पर हर क्षण कुछ न कुछ अपडेट होते रहते हैं। पल पल अपडेट होनें वाली चीज़ों में वीडियो , फोटो और लेख प्रमुख रूप से आते हैं जो पूर्णतः स्वजनित होते हैं उसी व्यक्ति द्वारा जिसका वह
आज कल कविताओं के नाम पर चुटकुले सुनाये जाए रहे हैं और कहा जा रहा है कि ये जरुरत है जनता भी अब इसी में खुश है लेकिन ये शुरुआत किसी नें तो की होगी। आज हिंदी दिवस पर उसी पर एक कविता मेरी तरफ से। सोचता हूँ कवि मै बन जाऊ क्यों बैठा
राजकुमार राव हर किरदार इतने बखूबी से निभाते हैं कि लगता है वो बने ही उनके लिए हैं। बरेली की बर्फी में प्रीतम का चुलबुला और काल्पनिक किरदार हो या शाहिद जो एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म थी उसमे उन्होंने एक कानून से परेशान नौजवान का किरदार किया। शाहिद के किरदार के लिए
जिनको नहीं पता उनके लिए कहानी को थोड़ा सा दोहरा देते हैं फिर ऊपर लिखे मुख्य शीर्षक हां भाइयों बहनों हेडिंग पर बात होगी। देश की सारी पार्टियों में ना जाने क्यों भाजपा में शामिल होने की होड़ लगी है। लगभग हर हफ्ते कोई न कोई अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहा
बीती 26 तारीख को ये तो पता चल गया कि “राम रहीम” एक बाबा नहीं विलेन है जो धर्म की आड़ में वासना का गन्दा खेल खेल रहा था। जज जगदीप सिंह जिन्होंने राम रहीम को दोषी क़रार दिया और 28 अगस्त को जगदीप सिंह ही सजा का फैसला करेंगे। अदालत या जो लोग
प्रेम होना मुश्किल नहीं है लेकिन प्रेम को निभाना बहुत ही मुश्किल काम है। जब लड़की छोड़ के जाती है तब जुदाई दर्द में लडकों के दिल से शायरी, कविता फूट फूट कर निकलती है। वो दर्द गाता है, लोग कहते हैं क्या बात – क्या बात, तो एक कविता जो एक बेरोजगार प्रेमी