आप क्या बनना चाहते हैं ?





आप क्या बनना चाहते हैं यह सब सम्पूर्ण रूप से आप पर ही निर्भर करता है। कामयाब हो जाना और एक बेहतर इंसान बन पाना दोनों में बहुत फर्क है। अमूमन हर शख्स ही जिंदगी के दायरों को हासिल कर ही लेता है, जो जिंदगी को जिंदगी बनाने के लिए काफी है। एक अच्छी नौकरी और अच्छा कमा लेना लेकिन क्या यह सब आपको आत्म संतुष्ट करने के लिए काफी है ? इस बात का जवाब आपको खुद ही देना होगा, आप जो भी बनना चाहते हैं आप बन सकते हैं फर्क है तो अपनी सोच को पूर्ण तौर से उस दिशा में समर्पित कर देने का। आपके पास जिंदगी में दो ही विकल्प है या तो आप जो बनना चाहते हैं उसके हिसाब से जिंदगी को बना लें या फिर जिंदगी आपको जो बना दे वह अपना लें।

आप क्या बनना चाहते हैं



क्या आप अपने जीवन काल में किसी आम इंसान की तरह ही बनना चाहते हैं या फिर आम से हटकर खुद को खास बनाने में यकीन रखते हैं। यदि आप भीड़ का हिस्सा बनना चाहते हैं तो जाइए शामिल हो जाइए उस भीड़ में और उस भीड़ की तरह ही देखिए, उसकी तरह से सोच रखिय, उसकी तरह से ही अपनी जिंदगी के फैसले लीजिए। कुछ नया नहीं, कुछ मनमुताबिक नहीं; लेकिन यदि आप खुद को कुछ अलग बनाना चाहते हैं तो उस भीड़ से पूरी तरह से दूर हट जाइए ना उसकी तरह से देखिए ना उसकी तरह से सोच रखिए और ना ही उसकी तरह से जिंदगी के फैसले लीजिए। सब कुछ नया करिए और सब कुछ अपने मनमुताबिक करिए।

यह हमारा सबसे बड़ा दुर्भाग्य होता है कि हम कहते हैं कि कोई भी काम हमसे नहीं हो सकता। दरअसल हमें यह नहीं कहना चाहिए कि यह काम हमसे नहीं हो सकता। वरन हकीकत यह होती है कि हम उस कार्य को करना ही नहीं चाहते। जब तक उस कार्य के प्रति हम समर्पित नहीं हैं, जब तक उस कार्य के लिए हमने किसी प्रकार का कोई प्रयास नहीं किया, जब तक हमने अपने मस्तिष्क को उस कार्य में ढल जाने को नहीं कहा, जब तक हमने उस दिल में उस कार्य को जगह नहीं दी, तब तक वह कार्य पूरा होना तो दूर बल्कि उस कार्य का प्रारूप भी पूरा होना असंभव होता है।

हम अपनी योग्यता को अक्सर इसलिए नहीं पहचान पाते क्योंकि उस योग्यता से हम कभी परिचित ही नहीं हो सके। जब तक हम नए कार्यों को अपनाएंगे नहीं तब तक उस कार्य के प्रति हमारी योग्यता का आभास हमें होना मुमकिन ही नहीं। हमेशा हमें वही मिलता है जो हम हकीकत में हासिल करना चाहते हैं, या जो हमारे अंतर्मन में हमेशा स्थिर होता है। तो आप जो भी बनना चाहते हैं उसको निरंतर रूप से सोचना शुरु कर दें उसके लिए हर प्रकार से प्रयासों को ईमानदार बनाना शुरु कर दें। फिर देखिए कि दुनिया में ऐसी कोई शक्ति नहीं होगी जो आपको आपके चाहे हुए स्वरूप से दूर कर सकती है; फिर वह कोई भी कामयाबी हो या पूरी जिंदगी ही क्यों ना हो।

लेखिका:
वैदेही शर्मा