इलाहबाद माघ मेला विवरण – प्रयाग माघ मकर संक्रांति स्नान, माघ मेले की पौराणिक महत्ता

वर्ष 2019 बेहद खास है, प्रयाग नगरी इलाहबाद में अर्ध कुंभ धार्मिक मेले का आयोजन 2019 में होना है। आपको बता दें की अर्ध कुम्भ नामक यह धार्मिक पर्व 6 साल में एक बार ही मनाया जाता है जो इलाहबाद के अलावा हरद्वार और उज्जैन में भी आयोजित होता है। Allahabad में आयोजन होने वाले Ardh Kumbh मेले का महत्त्व अन्य स्थानों से ज्यादा है जिसकी वजह से Prayag को विशेष तौर पर जाना जाता है। यूँ तो इलाहबाद में प्रतिवर्ष Magh Mele का आयोजन होता ही है पर 2019 में आने वाले अर्ध कुम्भ का हिन्दू श्रद्धालु विशेष इंतज़ार कर रहे हैं। पखेरू पर आज का लेख मात्र Allahabad Magh Mela पर आधारित है, माघ मेले की जानकारी के उपरांत अर्ध कुम्भ व महाकुंभ का भी पूरा विवरण अगले लेखों में दिया जायेगा।




Prayag-Magh-Mela-Snan-2019 माघ मेले में स्नान



इलाहबाद का माघ (Allahabad Magh Mela) मेला संछिप्त विवरण:

मेले की असल परिभाषा को परिभाषित करते हुए Allahabad Ka Magh Mela पिछले कई वर्षों से भारत के गौरव को बढ़ा रहा है। इलाहाबाद माघ मेला हिन्दू समुदाय का एक प्रसिद्ध सांस्कृतिक व धार्मिक मेला है, जिसका आयोजन हिन्दू पंचांग के अनुसार 14 जनवरी या फिर 15 जनवरी को साल के माघ महीने में मकरसंक्राति के दिन से होता है। Makar Sankranti के दिन माघ मेले का प्रथम स्नान होता है जिसमें ख्याति प्राप्त साधु संत और अन्य भक्तगण स्नानोत्सव में भाग लेते हैं।

प्रयाग अर्थात इलाहबाद में भारत की 3 प्रमुख नदियां गंगा यमुना और सरस्वती का पवित्र संगम है जिसे त्रिवेणी के नाम से भी जानते हैं । Allahabad Magh Mele का आयोजन साल के पहले महीने अर्थात जनवरी जिसे हिंदी कैलेंडर के अनुसार माघ का महीना भी कहते हैं, से हो जाता है। इस धार्मिक मेले की अखंडता का अंदाजा यहाँ आने वाले अनगिनत भक्तजन, साधुगण अथवा पर्यटक लोगों का जमावड़ा देखकर लगाया जा सकता है। माघ मेले की अतुलनीय सुंदरता का साक्षी बनने के लिए भारत से ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के लोग यहाँ आते हैं।

इलाहबाद माघ मेले को मात्र केवल धार्मिक दृश्टिकोण से ही नहीं अपितु विकास मेले के दृश्टिकोण से भी देखा जाता है। इसमें प्रायः यह देखा गया है की उत्तर प्रदेश राज्य सरकार अपने विभिन्न सरकारी विभागों के विकास योजनाओं का प्रदर्शन करती है।




माघ स्नान (Magh Snan) की पौराणिक महत्ता:

एक कथा यह भी सामने आती है की प्रतिष्ठानपुरी के ‘नरेश पुरुरवा’ जिन्होंने अपनी कुरूपता से मुक्ति पाने के लिए माघ में धार्मिक अनुष्ठान किया। इसके अलावा गौतम ऋषि द्वारा अभिशप्त इंद्र को माघ स्नान से ही श्राप से मुक्ति प्राप्त हुयी थी। इन कथाओं के अलावा ‘पद्म पुराण’ में भी माघ स्नान के महात्म्य का उल्लेख देखने को मिलता है। पद्म पुराण महात्म्य के अनुसार माघ स्नान से मनुष्य शरीर में उपस्थित उपाताप भस्म हो जाता है। गौरतलब है की इन पौराणिक कथाओं और पुराणों में माघ स्नान (Magh Snan) का उल्लेख आने से इस उत्सव का महत्त्व और अधिक गहरा जाता है।

Magh Mele में एक विस्तृत परम्परा का पालन किया जाता है जिसे कल्पवास के नाम से सभी जानते हैं कल्पवास का अर्थ है कि इस दैविक संगम के तट पर बैठकर सम्पूर्ण समर्पण से वेदों का अध्धय्यन करना। पौराणिक गाथाओं में इंद्र पुराणों , देवताओं , महाऋषिओं व राजाओं का विशेष उल्लेख यह दर्शाता है की वैदिक काल से ही माघ का खासा महत्व रहा है जो आज मेले का रूप ले चुका है। हिंदू शास्त्रों में भी माघ मेले का विस्तृत उल्लेख देखने को मिलता है माघ मेले में स्नान करके भक्तजन ईश्वर के और भी समीप आ जाते हैं साथ ही साथ शरीर ही नहीं बनती आत्मा की पवित्रता को माघ मेले के स्नान से हासिल किया जा सकता है।

हिंदुत्व का सशक्तिकरण:

इस बात में कोई दो राय नहीं कि इलाहाबाद के माघ मेले के साथ-साथ अन्य सभी धार्मिक मेले हिंदुत्व की जड़ों को और भी मजबूत बनाते हैं। एक लंबी अवधि तक चलने वाला माघ मेला अनेक संतों और धर्म का संपूर्ण ज्ञान रखने वाले महान जनों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। Allahabad शहर Uttar Pradesh राज्य का हिस्सा है इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार माघ Magh Mele को सुचारू ढंग से संपन्न करने के लिए सभी मुख्य कोशिशों को अपनाते हैं। इस मेले में ना केवल वेद का पाठ होता है बल्कि स्नान के बाद भक्तजन मेले की सभी दुकानों का मुआयना करते हैं। इसके अलावा यहां भारत के अन्य प्रतिभाओं को भी अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए एक बेहतर मंच मिलता है। यहां लघु उद्योग के सामानों को और हस्तशिल्प कला को आगे बढ़ाने के लिए एक सराहनीय मौका दिया जाता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि माघ मेला ना सिर्फ हिंदुत्व का सशक्तिकरण करता है अपितु यह समस्त भारत के सशक्तिकरण के लिए एक मुकाम तैयार करता है।

आत्मीय शांति का माध्यम:

संभवतः इस बात को पढ़कर आपको आश्चर्य हो, लेकिन Allahabad Magh Mela आत्मीय शांति को प्राप्त करने का एक विराट माध्यम है। यहां पहुंचने वाला हर एक मनुष्य धर्म और ईश्वर के अस्तित्व को और भी गहराई से समझता है और इस समय पर आगे बढ़ते हुए है धर्म में पूर्ण विश्वास अर्जित कर लेता है। प्रयाग में स्नान करने का महत्व अपने आप में ही बेशकीमती है लेकिन यहां होने वाले सत्संग धर्म की अनमोल बातें और सभी लोगों के खुशहाल चेहरे आपको आत्मिक शांति प्रदान करते है। यदि आप भारतीय संस्कृति या से हिंदू धर्म को निकटता से जानना चाहते हैं तो जिंदगी में एक बार ही सही लेकिन इलाहाबाद के माघ मेले का हिस्सा बनने का प्रयास अवश्य करें।

कुछ विशेष बिंदु:

1 – इलाहबाद में माघ मेला हर साल लगता है, अर्ध कुंभ 6 साल में एक बार और महाकुंभ 12 साल में एक बार।
2 – इलाहबाद अर्ध कुम्भ अगले साल 2019 में है और महाकुंभ सन 2025 में आयोजित होगा।
3 – पूर्व अर्थात अतीत में इलाहबाद को प्रयाग के नाम से जाना जाता था। परन्तु अभी भी Allahabad को Prayag के नाम से संबोधित किया जाता है।
4 – इलाहबाद को ‘तीर्थ राज’ के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
5 – गंगा यमुना सरस्वती तीन नदियों के मिलान को ‘संगम’ या ‘त्रिवेणी’ भी कहा जाता है।
6 – इलाहबाद को प्रयाग नगरी का नाम भी प्राप्त है।
7 – इलाहबाद में ‘प्रयाग’ नाम से रेलवे स्टेशन भी है और ‘प्रयागराज एक्सप्रेस’ नामक ट्रेन भी चलायी जाती है।
8 – माघ मेले का आयोजन इलाहबाद में प्रतिवर्ष किया जाता है।
9 – इलाहबाद में माघ मेला जनवरी महीने (माघ माह) में 14 या फिर 15 से शुरू होता है।
10 – मकर संक्रांति के दिन जो की हर साल 14 या फिर 15 जनवरी को होता है।
11 – मकर संक्रांति के दिन माघ मेले का प्रथम स्नान होता है जिससे मेले का आरम्भ होता है।
12 – माघ मेले का समापन, माघी पूर्णिमा के स्नान के बाद हो जाता है पर कुछ भक्तगण महाशिवरात्रि के स्नान के बाद ही वहां से जाते हैं।
13 – धार्मिक श्रद्धालु ज्यादातर मकर संक्रांति से लेकर माघी पूर्णिमा या फिर महाशिवरात्रि तक माघ मेले में कल्पवास करते हैं।
14 – कल्पवास के दौरान – श्रद्धालु टेन्ट के अंदर रहते हैं, रोजाना स्नान करते हैं, रोजाना प्रवचन सुनते हैं, पूजा पाठ करते हैं, शुद्ध शाकाहारी भोजन दिन में एकबार करते हैं, सदाचारी शिष्टाचारी होने का संकल्प लेते हुए वे पूरे एक महीने तक माघ मेले में ही रहते हैं।
15 – कल्पवास कोई भी कर सकता है उसकी कोई अधिकतम या न्यूनतम आयु सीमा नहीं है।
16 – कल्पवास के लिए श्रद्धालुओं को किसी महंत के अंतर्गत ही रहना होता है जो उनको अपने क्षेत्र में टेंट में रहने की सुविधा प्रदान करते हैं।
17 – कल्पवासियों के लिए दिया जाने वाला टेंट जिसे इलाहाबादी भाषा में कुरिया भी कहते हैं, पूरे 1 महीने के लिए किराये पर दिया जाता है।
18 – टेंट का किराया महंत के खाते में जाता है जिसे वे उसमें से कुछ हिस्स्सा आगे उत्तर प्रदेश सरकार को भी देते हैं।
19 – माघ मेले में बिजली, पानी, शौचालय, पीपे का पुल, लोहे की पट्टियों से बनी सड़क और सुरक्षा उत्तर प्रदेश सरकार प्रदान करती है।
20 – विदेश से आये भक्तों (कल्पवासियों) के लिए भी विशेष सुरक्षा व रहने का स्थान दिया जाता है।

लेखिका:
वैदेही शर्मा