मौत के चौराहे – दिल्ली में हैं 5 मौत के चौराहे सड़क यातायात संस्थान (आई आरटीई)

ट्रैफिक सिग्नल वाहन चालकों की सहूलियत के लिए लगाये जाते हैं , जो चालक कि सहायता करते हैं एक दुर्घटना रहित सफ़र में। लेकिन अगर वही ट्रैफिक सिग्नल खराब हो तो वो सहायक नहीं आफत बन जाते हैं । इस आफत की वजह से कई बार बहुत लम्बा जाम लग जाता है और कई दफा वाहन चालक या पैदल यात्री दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं।

स्कूल ऑफ़ प्लानिंग एंड आर्कीटेक्चर (एसपी ए) और सड़क यातायात संस्थान (आई आरटीई) के दावे पर अगर यकीन किया जाए तो भारत की राजधानी दिल्ली में 70 से 80 फीसदी ट्रैफिक सिग्नल खराब होते हैं। संस्थान का कहना है कि ट्रैफिक सिग्नल, जो दिल्ली पुलिस या अन्य एजेंसियों के द्वारा लगाए गए हैं वो तय मानकों के अनुरूप नहीं हैं। 29 जून 2017 को इंडिया हेबिटेड मे आई आरटीई द्वारा यातायात प्रबंधन – संकट के समाधान विषय पर एक सेमिनार आयोजित किया गया। इस सेमिनार के दौरान उपस्थित वक्ताओं ने ये बात सब लोगों के सामने रखी। इसी सेमिनार मे 5 चौराहों को “मौत के चौराहे” के नाम से भी अंकित किया गया।

आइये जानते हैं कि वो पाँच मौत के चौराहे कौन कौन से हैं:

1) नंदनगरी चौक

2) भजनपुरा चौक

3) पीरागढ़ी चौक

4) पंजाबी बाग चौक

5) मुकरबा चौक

प्रोफ़ेसर डॉ. सेवाराम की मानें तो इनको ड़ेंजर चौराहा घोषित करने कि मुख्य वजह बना इन चौराहों का ख़राब डिजाईन। आई आरटीई के अध्यक्ष डॉ. रोहित बालूचा का कहना है कि दिल्ली की सडकों पर लगाए गये सिग्नल अंतररार्ष्ट्रीय मानकों के खिलाफ हैं।

अधिकतर ट्रैफिक सिग्नल या तो बेकार होते हैं या फिर गलत सिग्नल दे रहे होते हैं जिससे वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ – साथ पुलिसिआ चालान के शिकार भी होते हैं। सड़क हादसों में दिन प्रतिदिन होती बढ़ोतरी पर बोलते हुए बालूचा नें कहा कि दिल्ली में ट्रैफिक इंजीनियरिंग के नियमों को ताक पर रख कर चौराहों को डिजाईन किया गया है इसलिये सड़क हादसों में बढ़ोतरी लगातार हो रही है। सड़क हादसों को रोकने के लिये वक्ताओं नें सुझाव दिये कि ट्रैफिक इंजीनियरिंग की पढाई अगर अनिवार्य कर दी जाये और पुलिस को भी ट्रैफिक इंजीनियरिंग कि ट्रेनिंग दिलवाई जाये तो हो रहे हादसों में बड़ी कमी आने के आसार हैं।

सबसे बड़ी बात ये कि चौराहों का डिजाईन बनाते वक्त ट्रैफिक इंजीनियरिंग को सही तरीके से शामिल किया जाए और उसके सभी नियमों का पालन ठीक ढंग से किया जाए। ट्रैफिक सिग्नल और ट्रैफिक उपकरणों के रख रखवा कि जिम्मेदारी जिन एजेंसियों पर है उनको हादसों के लिये जिम्मेदार ठहराना भी दिल्ली में हादसों को कम करने के लिए एक कारगर कदम साबित होगा।