हिंदी सिनेमा के 10 अमर संवाद

Cinema वाकई में समाज का प्रतिबिंब है, जो हम अपनी जिंदगी में महसूस करते हैं वैसा ही कुछ बड़े पर्दे पर देखने की अपेक्षा रखते हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ फिल्में हमारी जिंदगी से भी आगे निकल जाती हैं और इस तरह से वह हमें नए तरीके से जीना और सोचना सिखाती हैं। इसलिए फिल्म व सिनेमा का भी हमारी जिंदगी में बहुत बड़ा स्थान है।



Hindi-Cinema-Ke-10-Best-Samvad-Dialogues हिंदी फिल्म के पसंदीदा संवाद

तो चलिए आज हम बात करते हैं Hindi Cinema जगत के 10 अमर Dialogues की जो यकीनन अतुलनीय हैं क्योंकि उन्होंने हमें अनमोल अंदाज़ में जिंदगी को जीना सिखाया है। तो चलिए अब इन फ़िल्मी संवादों को एक बार फिर से महसूस करते हैं –




1 – “जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं
Zindagi Badi Honi Chahiye Lambi Nahi

‘आँनंद’ फिल्म का यह डायलॉग शायद अब तक लिखा गया सबसे खूबसूरत संवाद है। इस dialogue नें बड़ी ही खूबसूरती से सभी लोगों के दिल को छुआ है। इस संवाद को शब्दों में बांधा नहीं जा सकता बल्कि यह तो एक कटु सत्य है मनुष्य जीवन का।

2 – “इंसान नाम में मज़हब ढूंढ लेता है
Insaan Naam Mein Mazhab Dhoond Leta Hai

इस फ़िल्मी डायलॉग अर्थात संवाद की असीमता को बखूबी प्रकट करते हुए ‘अ- वेडनसडे’ फिल्म ने दर्शकों के दरमियान नायाब मुक़ाम हासिल किया था। इस संवाद ने दुनिया में मज़हब से जुड़ी विषमताओं को कहीं बहुत पीछे छोड़ दिया हैं।

3 – “जितना भी ट्राई करो कुछ ना कुछ तो छूटेगा ही इसलिए यहीं, इसी पल का मज़ा लेते हैं
Jitna Bhi Try Karo Kuch Na Kuch Toh Chhutega Hi Isliye Yahin, Iss Pal Ka Maza Lete Hain

‘ये जवानी है दीवानी’ के इस संवाद नें अपनी एक अलग दुनिया बना ली है। इस संवाद ने हमें सिखाया कि हमें हर एक पल को पूरी तरह से जीना चाहिए।

4 – “रास्ते की परवाह करूंगा तो मंजिल बुरा मान जाएगी
Raste Ki Parwah Karunga To Manzil Bura Maan Jayegi

फिल्म ‘वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई’ के इस संवाद ने हमें दृढ़ता पर और मज़बूत होना सिखाया इसलिए यह dialogue बेहद कीमती है।

5 – “इंसान को डिब्बे में बस तब होना चाहिए जब वह मर चुका हो
Insaan Ko Dabbe Mein Bus Tab Hona Chahiye Jab Wah Mar Chuka Ho

‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ के इस संवाद ने हमें आज़ादी की सही परिभाषा बताई। इस संवाद ने हमें बताया कि हमें कभी भी अपनी ख्वाहिशों के साथ कोई भी समझौता नहीं करना चाहिए।

6 – “खुल के रो नहीं सकोगी, तो खुलकर हँस कैसे पाओगी
Khulkar Ro Nahi Sakogi, To Khulkar Hans Kaise Paogi

फिल्म ‘डियर जिंदगी’ के इस संवाद ने हमें अपने जज़्बातों को पूरी तरह से व्यक्त करना सिखाया इस संवाद ने बताया कि हमें कभी भी अपनी भावनाओं को कैद नहीं करना चाहिए।

7 – “हँसो जियो मुस्कुराओ, क्या पता कल हो ना हो
Hanso Jiyo Muskurao Kya Pata Kal Ho Na Ho

फिल्म ‘कल हो ना हो’ के इस दिल छू लेने वाले संवाद ने हमें बताया कि जिंदगी में खुश होना कितना अहम है। हम नहीं जानते कि कल क्या होगा इसलिए मुस्कुराहट हमें अपने लबों पर हमेशा बरकरार रहनी चाहिए।




8 – “लोग क्या सोचेंगे अगर यह भी हम सोचेंगे तो लोग क्या सोचेंगे
Log Kya Sochenge Agar Hum Bhi Yahi Sochenge To Log Kya Sochenge

‘काबिल’ फ़िल्म के इस dialogue में हमें बताया कि लोगों की मानसिकता के बारे में सोचना हमारा काम नहीं क्योंकि सभी लोग इस काबिल नहीं होते कि हम उनकी मानसिकता के बारे में सोचें।

9 – “सिर्फ इंसान गलत नहीं होते वक्त भी गलत हो सकता है
Sirf Insaan Galat Nahi Hote Waqt Bhi Galat Ho Sakta Hai

‘पीकू’ इस खास फिल्म के इस खास डायलॉग ने सबके बुरे वक्त को जैसे एक वाक्य में समेट लिया हो। इस संवाद ने हमें हमेशा हौसले के रास्ते पर आगे बढ़ने की सीख दी है।

10 – “इंसान बस खुद की नज़र में सही होना चाहिए, दुनिया तो भगवान से भी दुखी है
Insaan Bus Khud Ki Nazar Mein Sahi Hona Chahiye, Duniya To Bhagwan Se Bhi Dukhi Hai

‘गुलाल’ फिल्म के इस संजीदा संवाद नें हमें बताया कि इंसान को अपने कर्मों पर हमेशा भरोसा करना चाहिए क्योंकि हम जो भी करेंगे कभी न कभी दूसरों की नज़र में गलत होते ही हैं।

यह थे हिंदी सिनेमा जगत के कुछ अमर संवाद जो एक नया जीवन निर्धारित करने में सफल रहे हैं। यह वो Movie Dialogues हैं जिनको मैंने चुना है इसका मतलब ये नहीं की इनसे अच्छा अन्य कोई भी फ़िल्मी संवाद नहीं है। हो सकता है आपके पसंद के Film Dialogue कुछ और हों, फिल्में भी हमारी रोजमर्रा के जीवन और वैश्विक बदलाव से ही प्रेरित होती हैं जहाँ कहीं न कहीं हमें अपने जीवन की झलक देखने को मिल ही जाती है।

लेखिका:
वैदेही शर्मा