कामयाबी सफलता कैसे प्राप्त करें, बाहर निकालें नाकारात्मक विचारों को

समाज में भांति-भांति के लोग हैं, सबकी अपनी इच्छाएं हैं सबकी अपनी कामनाएं हैं। जहाँ तक भारतीय समाज कि बात की जाय तो यह देखने में आता है कि लगभग सभी लोग एक जैसी ही ज़िन्दगी जी रहे हैं। घर में अच्छा कमाने वाला एक व्यक्ति जिसके ऊपर घर , परिवार , बीवी व् बच्चों की ज़िम्मेदारी होती हैं। हां यह कहना भी ठीक होगा कि बदलते परिवेश में कुछ बदलाव जरूर आये हैं जहाँ घर में पति – पत्नी या फिर बेटा और बेटी भी घर को चलाने हेतु कार्यरत हों; पर ऐसी स्थिति केवल शहरों तक ही सिमित है जो कि अभी काफी कम है। हमने कई बार ऐसे प्रसंग भी देखे हैं कि हमारे बीच में रहने वाला एक साधारण व्यक्ति आगे चल कर अपने जीवन में बहुत कामयाब हो जाता है फिर उसके पास पैसा , पॉवर , पोजीशन और प्रसिद्धि जैसी किसी भी चीज की कमी नहीं रहती। आखिर ऐसा क्या है कि एक व्यक्ति जिसके पास सब कुछ है और वहीँ कई ऐसे हैं जिनके पास जीवन यापन के भी पुख्ता साधन नहीं हैं।

जीवन में कामयाबी हासिल करने का तरीका



क्या होती है नाकारात्मकता ?

नाकारात्मकता जिसे न हम छू सकते हैं और न देख सकते हैं क्योंकि ये हमारे मन में समाहित एक ऐसा दीमक है जो हमें निरंतर खोखला करता रहता है। असल में नाकारात्मकता एक विचार है , एक ख़याल है , मन में बैठा एक डर है , खुद को लाचार व् मजबूर साबित करने का एक साधन है। यह नाकारात्मकता किसी व्यक्ति पर इस कदर हावी होती है कि उस व्यक्ति को कोई दूसरा सफल व् कामयाब व्यक्ति अच्छा नहीं लगता ; चिढ़ होने लगती है जब कोई नाकारात्मकत इंसान किसी कामयाब इंसान की बात सुने तो।

नाकारात्मक व्यक्ति की बातें:

“वो कामयाब इसलिए है क्योंकि उसके पास पैसा था”
“उसके तो घर वालों ने उसे वहां पहुंचा दिया वरना को कुछ नहीं था”
“अपनी अपनी किसमत है”
“सब तकदीर है भाई हम तो केवल मरने के लिए ही पैदा हुए हैं”
“जितनी चादर उतना ही पैर फैलाना चाहिए”
“क्या करें मेरे नसीब में ये नहीं है”
“सब कुछ पैसा है भाई – जिसके पास है वो कामयाब जिसके पास नहीं वो नाकामयाब”

ऊपर दीं गयीं बातें समाज में बहुत प्रचलित हैं जिसे असफल इंसान हमेशा गुनगुनाता रहता है। जब जब यह बातें हम बोलते हैं असल में यही वास्तविक नाकारात्मक है जो हमें कर्म करने से रोकती है। यह हमें विश्वास दिलातीं हैं की हम एक साधारण व्यक्ति हैं हम कभी कामयाब नहीं हो सकते।




कैसे दूर भगायें नाकारात्मक विचारधारा को ?

नाकारात्मक विचारधारा एक वैचारिक विष है जिसका सेवन करने से इंसान प्रतिदिन मरता है। इस वैचारिक विष से बाहर निकलने का उपाय है खुद पर विश्वास और अपने अंदर विश्वास जगाने के लिए जुड़ना होगा उन महान विभूतियों से जिन्होंने विषम परिस्थिति में रह कर भी कई महान कार्य किये।

1 – अपनी संगत सकारात्मक लोगों के साथ बनायें।
2 – नाकारात्मक बातें करने वाले दोस्तों व् अन्य लगों से दूरी बनायें।
3 – धर्म , ईश्वर और आस्था में विश्वास करें।
4 – महान लगों के नाम , उनके क्रियाकलापों व् उनके द्वारा दिए गए ज्ञान का पालन करें।
5 – आप सलफ होंगे ऐसी भावना मन में रखें।
6 – उन किताबों का अध्यन करें जो महान विभूतियों द्वारा लिखीं गयी हैं।
7 – नशीले पदार्थ के सेवन का आदी न बनें।
8 – जिस क्षेत्र में सफलता चाहते हैं उसके माहिर व्यक्तियों से संपर्क साधें।
9 – प्रेरणादायी कहानियों को जरूर पढ़ें।
10 – इंसान स्वयं से पराजित होता है अतः स्वयं का निर्माण करें।
11 – अपनी विशेष रूचि वाले क्षेत्रों में अधिक समय दें।
12 – सबसे ऊर्जावान व्यक्ति की तरह मिलें।
13 – हमेशा खुशमिजाज रहें , अगर कोई दुःख भी है तो उसे अपनाते हुए प्रसन्ता का माहौल तलाशें।
14 – किसी से मेलजोल करने में लज़्ज़ा का त्याग करें।
15 – स्वयं की भाषा शैली ऐसी रखें कि वो दूसरे पर प्रभाव डाले।
16 – एकांकी , संकुचित , संछिप्त ना रहें – हमेशा खुलकर बोलें, अपनें भावों को प्रकट करें।
17 – घर में भी माँ पिता , बड़े भाई बहन व् परिवार के अन्य बड़े सदस्य से अपने दिल की बात कहें।
18 – गलत मित्रों के साथ न जानें का संकल्प लें अगर वे बुलायें भी तो साफ़ मना करने की आदत डालें।
19 – जिसमें भी आपकी रूचि हो – खेल कूद , गीत संगीत , चित्रकारी, कला, नाट्य और नृत्य इन सबसे आप जुड़े रहें।
20 – अपने से बड़े व्यक्ति द्वारा मिलने वाले मार्गदर्शन को स्वीकारें न की बहस करें।




कैसे पायें सफलता और कैसे बनें कामयाब अपने जीवन में:

कामयाबी हासिल करने का एकमात्र उपाय है – उत्साह , निश्चय , धैर्य और निरंतरता

उत्साह , निश्चय , धैर्य और निरंतरता यह तीन गुण जिस व्यक्ति में है फिर वो चाहे स्त्री हो या पुरुष वो अवश्य कामयाब होगा। याद रहे कामयाबी हासिल करना एक दिन का कार्य नहीं और न ही इसका कोई शार्ट-कट तरीका है। पूर्णरूप से उत्साहित होकर निश्चित होकर धैर्य रखकर और निरंतर अपने लक्ष्य के प्रति अग्रसर रहकर ही मंजिल तक पहुंचा जा सकता है।

उठो जागो और लक्ष्य से पहले रुको मत – यह कथन स्वामी विवेकानंद जी के हैं।

अच्छी नौकरी , अच्छा बिजनेसमैन , बड़ा खिलाड़ी , संगीतकार – चित्रकार , कवी – लेखक – साहित्यकार , गायक – वादक , अभिनेता – नेता या फिर समाजसेवी यह सारे ही क्षेत्र आपके लिए खुले हैं। मन में नाकारात्मक विचार न आने दें ; हमेशा दृढ़प्रतिज्ञ व् दृढ़संकल्प कर लक्ष्य को साधें कभी निराशा हाथ लगे तो भी रुके नहीं क्योंकि निरंतरता ही एकमात्र तरीका है दूरी तय करने का।

हमारी सृष्टि नें हमें बहुत कुछ दिया है जिसे हमें कभी नहीं मांगा तो क्या सफलता हमें किसी से मांगने पर मिलेगी ? नहीं ! सफलता और कामयाबी उत्साह , निश्चय , धैर्य और निरंतरता के पथ पर चल कर ही मिलेगी।

बहुत कुछ बिन मांगे मिल जाता है – एक हिंदी कविता

जब सूरज तेज चमक कर आग बरसता है !
खड़ा किनारे वृक्ष हमें छाया दे बचाता है !!

तपती धरती की तीक्ष्ण उमस से मन व्याकुल हो जाता है !
फट पड़ता है बादल नभ का सब जल मग्न हो जाता है !!

जब आती है दुःख की रात घोर अँधेरा सा छाता है !
फिर उठता है भोर सवेरा नव ऊर्जा ले आता है !!

पुष्प कोमलता , चन्दन सुगंध हर तरफ बिखरता है !
भगवन से ध्यान , गुरु से ज्ञान सब बिन मांगें मिल जाता है !!

न हो आश्रित तुम किसी पर ; खुद की चेतना को जगाओ।
जल से लो तुम शीतलता ; प्रकृति से तुम भूख मिटाओ।
सम्पूर्ण धरा घर है तुम्हारा ; अम्बर को अपनी छत बनाओ।
कर समीप खुद को सृष्टि के ; किसी के आगे न हाथ फैलाओ।

 

उत्साह , निश्चय , धैर्य और निरंतरता यह मन्त्र हमेशा जहन में रखें। समाज और कार्यक्षेत्रों में हो रहे बदलाव को स्वीकारते हुए अपने कदम आगे बढ़ाते रहें। अतीत की गुत्थियों में ना उलझें , वर्तमान और भूत दोनों को तौलने का प्रयास ना करें बस अपने लक्ष्य एवं कार्य पर केंद्रित होकर साकारात्मक विचारधारा को ही अपनायें। आप जरूर कामयाबी हासिल करेंगे।

 

 

 

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