क्योंकि अशिष्टता आपको कूल नहीं बनाती

जी हाँ आज मैं आपसे एक बहुत अनोखे मुद्दे पर बात करना चाहती हूँ, मैं जानती हूं कि मेरी कुछ बातें आप में से चंद लोगों को खटक सकती हैं लेकिन यह वह सब कुछ है जो मैंने अपनी 21 वर्ष की जिंदगी के इस मोड में महसूस किया।


क्योंकि अशिष्टता आपको कूल नहीं बनाती





यदि सीधी भाषा में कहा जाए तो मैं अब यूथ की श्रेणी में शामिल हूँ। यह वो वक्त है जो आपके आने वाले भविष्य को सार्थकता प्रदान करता ही है, साथ ही साथ आपको उड़ने के लिए आज़ाद आकाश प्रदान करता है। लेकिन ना जाने यूथ का एक तबका किस रास्ते जा रहा है। मैं यह नहीं कहती कि कुछ भी गलत है क्योंकि जो आपकी नज़र में गलत है वह किसी ना किसी की नजर में तो सही होगा ही। मुझे आश्चर्य सिर्फ इस बात का होता है कि क्या हमारा मानसिक प्रारूप इतना भी विकसित नहीं है कि हम खुद को एक समझदार प्राणी की श्रेणी में ला सकें। चलिए आपकी तरह से ही बात की जाए यदि आप मेरी इस बात को कूल कल्चर का हिस्सा कह कर टाल देते हैं तो मैं आपको इसका मूलभूत अर्थ स्पष्ट करती हूँ। कूल कल्चर पाश्चात्य संस्कृति का एक बड़ा हिस्सा है इस कल्चर को सामने लाने का एक सबसे बड़ा उद्देश्य यह था कि हर एक इंसान अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करें या फिर यूँ कहा जाए कि उसकी जिंदगी में किसी और की दखलंदाज़ी ना हो। वह अपने फैसले ले सके वह स्वनिर्भर हो सकें, वह अपना विकास स्वयं कर सके और अपने विचारों को एक नई तस्वीर में डाल सके ताकि इससे समस्त विश्व को एक नए आयाम पर ले जाया जा सके।



लेकिन भारत तक आते-आते या यूँ कहें कि इस उम्र के मानसिक दायरे तक आते-आते कूल कल्चर के अर्थ को पूरी तरीके से तोड़-मरोड़ दिया गया है। अब यदि आप सिगरेट या शराब पीना जानते हैं, यदि आप अपने हर वाक्य में गालियों को सम्मिलित करना जानते है, यदि आप अपने शब्दों से क्षति पहुँचाना जानते हैं, यदि आप अपनी जिम्मेदारियों से बखूबी भागना जानते हैं तो आप कूल कहलाएंगे। नहीं मैं किसी भी प्रकार से कटाक्ष नहीं करना चाह रही हूँ। कहीं ना कहीं आप भी जानते हैं कि ऐसा होना अब आम बात हो चुकी हैं। ऐसा नहीं है कि वक्त कभी लौटकर आता है, हर वक्त का एक अपना अंदाज़ होता है, उसको जीने की अलग शक्ल होती है। लेकिन वक्त पर संभल जाना भी बेहद आवश्यक है, वह होता यह है फिर आखिरकार हमारे पास वक्त ही नहीं बचता। उम्मीद है कि आप मेरी बातों को दिल से ना लगाते हुए अपने दिमाग तक ले जाने का कष्ट करेंगे और एक खूबसूरत कल का निर्माण करेंगें। मेरा यह लेख किसी व्यक्ति विशेष पर आधारित नहीं आप इसमें से अपना हिस्सा स्वयं तलाश सकते हैं। क्योंकि दूसरी ओर युवाओं का वह तबका भी है जो उन्नति के पथ पर अग्रसर हैं।

आप कामयाब रहें!

लेखिका:
वैदेही शर्मा