मेरे प्यारे भाइयों बहनों और मित्रों देश बदल रहा है

“देश बदल रहा है” माननीय प्रधानमंत्री जी के मुख से ये शब्द वाकई सुनने में जितने मधुर लगते हैं हक़ीक़त में ये वो कड़वा शब्द है जो हम सभी हिन्दुस्तानियों के मुँह का स्वाद विगत कई वर्षों से ख़राब करता आ रहा है। भारत बदल रहा है ऐसा केवल हमारे प्रधान सेवक को लगता है मगर ज़मीन पर भारत आज भी वहीँ है जहाँ वर्षों पहले था। भारतीय जनता पार्टी कि मौजूदा सरकार लगता है केवल नारों की सरकार है जो रोज नये – नये नारे देकर लोगों को भ्रमित करने के सिवाय और कुछ नहीं कर रही है। मैं ज्यादा राजीनीतिक गहराई में न जाते हुए केवल बदलते भारत में नारी की असल तस्वीर को रखना चाहता हूँ जिसके प्रति अपराधों में कोई कमी नहीं आ रही है और हमारे प्रधान सेवक देश बदल रहा है जैसी बात को बार-बार ऊँचे मंच पर चढ के दोहरा रहे हैं , शायद उनको ऊँचे मंच से भारत का बदलाव नजर आता होगा।

मेरा देश बदल रहा है

महिला सुरक्षा , महिला अधिकार , women assault, women victimization जैसे अनगिनत शब्द जिनपर देश कि राजनीती के अलावा देश के तमाम बुद्धिजीवी वर्ग अपना अपना मत रखते हैं पर यह सारे शब्द मात्र विचारधारा तक ही सीमित हैं। सन 1947 से लेकर आज कि 21वीं तक भारत महिलाओं के लिए पूर्णतः सुरक्षित नहीं हो पाया। आखिर महिला सुरक्षा किसकी जिम्मेदारी है – नेता , पुलिस , मीडिया , समाज या फिर स्वयं महिलाओं की ?

29 मई गुरुग्राम, मानेसर में घटी एक और घटना महिला सुरक्षा के वादों की पोल खोल रही है। मीडिया रिपोर्ट के आधार पर अगर बात करें तो एक महिला और उसके पती का पड़ोसियों से हुए विवाद के बाद 22 वर्षीय महिला 29 मई कि रात को अपने घर से मायके जाने के लिए रवाना होती है। 22 वर्षीय महिला कि गोद में उसकी 8 माह कि छोटी बच्ची भी है जिसे साथ लेकर वह आईएमटी चौक पर आकर एक ट्रक वाले से लिफ्ट मांगती है , ट्रक वाला लिफ्ट तो देता है मगर कुछ ही देर के बाद ट्रक में मौजूद ड्राइवर और अन्य साथी दल महिला के साथ शारीरिक छेड़छाड़ पर उतर आते हैं। घबराई महिला अपना बचाव करती है पर उपद्रवी नहीं मानते कुछ देर के उपरांत महिला अपनी 8 माह की बच्ची समेत खेड़कीदौला टोल के पास उतर जाती है।

इसके बाद वह एक ऑटो लेती है जिसमें पहले से ही तीन युवक मौजूद थे (share auto), तीनों युवक फिर महिला के साथ दुर्व्यवहार और छेड़छाड़ पर उतर आते हैं। महिला जब उनका पुनः विरोध करती है तो वे निर्दयी उसकी गोद में मौजूद 8 माह की नन्ही बच्ची को उठाकर सड़क पर फेंक देते हैं। बच्ची का सर सड़क पर टकराता है और वह बच्ची मौके पर ही दम तोड़ देती है। फिर उसके बाद महिला से बलात्कार कर सारे आरोपी फरार हो जाते हैं। बहादुर महिला पुनः अपनी बच्ची को गोद में उठाती है जो मर चुकी है।

1 – गौरतलब है कि 29 मई की ये शर्मशार घटना 7 जून को मीडिया की नजर में आया।
2 – महिला साधारण परिवार से है लिहाजा पुलिस भी लापरवाही दिखती रही।
3 – महिला द्वारा बार-बार थाने में तहरीर देने पर भी FIR दर्ज ना करना।
4 – जब बात आला अधिकारिओं तक पहुंची तब पुलिस तब गैंगरेप और हत्या का मामला दर्ज किया गया।

बीजेपी शाषित हरयाणा लगता है सिर्फ गाय की राजनीती में ही व्यस्त है उसे इंसानों कि परवाह नहीं। पूरे देश में भारतीय जनता पार्टी गौ हत्या , गौ वध को मुख्य मुद्दा बना कर बैठ गई है पर देश की सरकार को इंसानी अपराध नहीं दिखाई दे रहे हैं ; मानों ऐसा लगता हो कि मतदान गायों ने किया था इंसानो ने नहीं।

यह वही हरयाणा है जहाँ हमारे प्रधानमंत्री जी ने “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” का नारा दिया और इस प्रोग्राम को आगे भी बढ़ाया पर लगता है वे बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ के साथ-साथ बेटी सुरक्षा की बात कहना भूल गए। वर्ष 2012, 16 दिसंबर की रात को याद करें तो वह दिल्ली की रात भी काफी भयावह थी जिसनें निर्भया कांड को जन्म दिया जिसे लोग आजतक नहीं भूले।

महिला अपराध होते थे , होते हैं और होते भी रहेंगे अगर इसकी रोकथाम कि कोई पुख्ता व्यवस्था ना की गई तो। निर्भया काण्ड से जुड़े कुछ आरोपी अभी भी ज़िन्दा हैं। हमारे देश का कानून अपराधियों पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान है इसी लिए तो अपराध करने वालों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। अपराधियों को उनके कृत्य के अनुरूप सजा ना मिल पाना उनके मनोबल को और बढ़ाता है। सुस्त अदालती कार्यवाही , लचर पुलिसिया सिस्टम और आम जनों से दूर मीडिया आपराधिक गतिविधियों के लिए जिम्मेदार हैं फिर भी देश बदल रहा है।

ट्रिपल तलाक , गौ वध , बीफ , राम मंदिर जैसे पुराने मुद्दों से देश कैसे बदलेगा मुझे समझ नहीं आता। प्रधान सेवक जी देश जरूर बदलेगा अगर आप देश के लोगों से जुड़े मूल मुद्दों पर काम करें तो। करोड़ों रुपये के मंच पर चढ़कर कर देश बदलने की बात कहना कहाँ तक सार्थक है जबकि उस मंच को बनाने वाला इंसान हताशा एवं निराशा के साथ हर नई सरकार से यह उम्मीद लगाए बैठा है कि वह उसके हालात कब बदलेगी।

 

यह लेख सिर्फ एक कटाक्ष है।