मोदी अपने सबसे ताकतवर साथी को क्यों नहीं लेकर गए गुजरात
आप सोच रहे होंगे मोदी के सबसे बड़े साथी हैं अमित शाह और वो तो गुजरात में खूब रैली कर रहे है, तो फिर वो कौन है जिसको मोदी जी गुजरात ले जाना भूल गये। जनाब वो है “विकास” जिसने मोदी को देश ही नहीं विदेश मे भी साथ दिया और मोदी को एक विश्व नेता के रूप मे स्थापित किया। गुजरात मे वो अपना कद छोटा कर रहे जैसे 2014 में माया , मुलायम कर रहे थे। इस बार विकास का विडियो बना है वो मंचो पर नहीं है लेकिन विकास कितना बड़ा साथी है इनका और इसने इनका कितना साथ दिया इस बात को देखिये –
2014 का चुनाव –
देश की जनता कांग्रेस से और उनके बड़े-बड़े घोटालों जैसे की कोयला , कॉमनवेल्थ गेम और 2G आदि से परेशान हो चुकी थी। देश ये सोच रहा था की इसके लिए कांग्रेस तो जिम्मेदार है ही साथ ही जिम्मेदार है ये गठबंधन वाली सरकार जिसमे कोई चाह कर भी कुछ नही कर सकता। भारतीय जनता पार्टी ने इस बात को समझा और मोदी को मैदान मे उतारा। प्रचार कैसे होगा, कौन, कब कहाँ क्या बोलेगा सब मोदी तय करते थे। मोदी ही थे जिसने कहा विरोधी कुछ भी बोले आप बोलो “विकास” और फिर प्रशांत किशोर की टीम के साथ बैठ कुछ नारे लिखे गये जिसे मोदी ने अपनी बुलंद आवाज़ दे कर घर-घर तक पंहुचा दिया।
ये चुनावी नारे थे –
1) बहुत हुई महंगाई की मार , अबकी बार मोदी सरकार
2) बहुत हुआ भ्रष्टाचार, अबकी बार मोदी सरकार
3) सबका साथ , सबका विकास
4) अच्छे दिन आने वाले हैं
इन नारों का जादू लोगो के सिर चढ़ कर बोला और पहली बार इस देश मे कोई गैर कांग्रेसी पार्टी बहुमत से सत्ता पर काबिज़ हुई। 3 साल बाद उत्तरप्रदेश के चुनाव, इस बार प्रशांत किशोर नहीं थे लेकिन जो नारे 2014 मे लगे वो याद थे तो उनको फिर से लिखा गया और वो नारे थे –
1) बहुत हुआ नारी पर वार , अबकी बार मोदी सरकार
2) ना गुंडागर्दी ना भ्रष्टाचार, अबकी बार मोदी सरकार
3) परिवर्तन लायेंगे , कमल खिलाएंगे
यहां भी नारे की आंधी मे सब बह गये और मोदी का विकास जीत गया। केंद्र की सरकार को 3 साल हुए जिसमे कई अच्छे काम हुए जैसे की:
1) यूरिया को नीम कोटेड कर दिया गया, डाई जिसका किसान इस्तेमाल करते है उसके दाम कम कर दिये गये।
2) आज किसी किसान को खेत पर काम करते हुए कोई सांप या कोई भी जीव जंतु काट ले जिसमे उसकी मौत हो जाए तो 5 लाख रुपये उसके परिवार को मिल जाते है।
3) उज्जवला योजना जिससे सब को एलपीजी गैस और चूल्हा मुफ्त दिया गया।
योजना बहुत है लेकिन ऊपर वो है जो सफल हुई मतलब आम जनमानस तक उनका लाभ पंहुचा लेकिन गुजरात चुनाव मे मोदी अपना साथी ले जाना भूल गये और उन्होंने मंचो से ये कहना शुरु किया:
1) मणिशंकर अय्यर मेरी सुपारी देने पकिस्तान गए। (8 दिसम्बर बनासकांठा)
2) पाकिस्तान गुजरात चुनाव मे हस्तक्षेप कर रहा है, अय्यर के घर पर पाकिस्तान के उच्च सेनाआयुक्त और पाक सेना के अधिकारी गुप्त बैठक कर रहे है। (10 दिसम्बर पालनपुर)
3) कांग्रेस के नेता कपिल सिब्बल अपना पक्ष साफ़ करे वो क्या चाहते है मंदिर या मस्जिद। (8 दिसम्बर कालोल)
4) जब हिन्दू सिया और शुन्नी सब चाहते है कि कोर्ट अपना फैसला अयोध्या मामले पर जल्द से जल्द करे तो क्यों सिब्बल इसे लटका रहे है। (6 दिसम्बर अहमदाबाद)
5) वो यानी कांग्रेस गुजरात आते हैं , गुजरात के बेटे के बारे मे झूठ फैलाते है ऐसा ही उन्होंने सरदार पटेल के साथ भी किया था। (27 नवंबर भुज)
गुजरात में जो ऊपर लिखे हुए वाक्य हैं उनका गुजरात की जनता से दूर-दूर तक कही कोई वास्ता नहीं है क्योकि अगर मणिशंकर अय्यर गलत है तो वो आज़ाद क्यों घूम रहे है। गुजरात मे अयोध्या ले आये मोदी लेकिन विकास नहीं लाये क्योकि 22 साल वो सत्ता मे थे और जिस गुजरात मॉडल पर वो पूरा देश जीत गए उसकी हालत भारत के कई राज्यों से सुस्त है –
1) एक लाख बच्चो पर 28 कॉलेज हैं , कर्नाटक मे एक लाख पर 50 और केरल में ये आकड़ा एक लाख पर 43 हैं।
2) साक्षरता दर जहां केरल में 94 फीसदी है, महाराष्ट्र में 82 फीसदी है वहीँ गुजरात में ये 78 फीसदी हैं।
3) उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र केरल से कम हैं।
4) सामाजिक क्षेत्र मे खर्च के मामले में भी गुजरात महाराष्ट्र से पीछे है।
5) इंजीनियरिंग कॉलेजों के मामले मे भी गुजरात दुसरे राज्यों से पीछे है।
गुजरात मे एशिया का सबसे बड़ा बांध ‘सरदार सरोवर डैम’ बना है लेकिन इसका नाम मंच से उतना नही लिया गया जितना पकिस्तान, अय्यर और सिब्बल को याद किया गया। अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि नोट बंदी का नाम या GST का नाम भी मोदी नही ले रहे हैं। इसका मतलब यही है की आपने कोई काम किया और उसे आप खुद भुला रहे है, मतलब की आप ने जो किया उसमे कही भूल हुई। गुजरात उनकी माँ है ऐसा वो कहते है तो वो क्यों नही बता रहे है जो उन्होंने किया 22 सालों मे, ये चुनाव अवसर है विकास मॉडल दिखाने का और आप कोई दूसरी फिल्म दिखा रहे हैं। आप जीत बेशक जाए लेकिन आपकी छवि इस चुनाव मे हार गयी है।
लेखक:
विभू राय