8वीं तक भी फेल हो सकते हैं बच्चे ! नो-डिटेंशन पॉलिसी, राइट टू एजुकेशन कानून में होगा फेरबदल
8वीं तक भी फेल हो सकते हैं बच्चे, फिर फेल सकते हैं बच्चे, बदला जायेगा आठवीं तक न फेल करने का कानून, नो-डिटेंशन पॉलिसी, राइट टू एजुकेशन कानून में होगा फेरबदल, अब 8th तक भी फेल हो सकते हैं बच्चे, नो-डिटेंशन पॉलिसी खत्म होगी, No-Detention Policy in India, No-Detention Policy Review,
1 अप्रैल 2010 को लागू की गयी “नो-डिटेंशन पॉलिसी” को सरकार द्वारा पुनः रिव्यू किया जा रहा है। आपको बता दें कि नो-डिटेंशन पॉलिसी के तहत किसी भी बच्चे को कक्षा 8वीं तक फेल नहीं किया जा सकता। अगर बच्चा सालाना होने वाली परीक्षाओं में उत्तीर्ण नहीं हो पाता फिर भी उसे फेल नहीं किया जाएगा। इसके अलावा इसमें यह भी प्रावधान है कि प्राइमरी शिक्षा पूरी होने तक बच्चे को विद्यालय से निकाला भी न जाय। इस व्यवस्था का प्रमुख उद्देश्य यह था कि देश में ज्यादा से ज्यादा बच्चे अपनी प्रारंभिक शिक्षा को पूरा कर सकें और वे प्रति वर्ष होने वाली स्कूली परीक्षाओं के दबाव से पूरी तरह मुक्त हों।
“राइट टू एजुकेशन” कानून के तहत बच्चा फेल होने पर भी आगे प्रमोट कर दिया जाता है यह केवल आठवीं क्लास तक के विद्यार्थियों के लिए था। RTE Act. का यह बहुत अहम हिस्सा था जिसे 7 वर्ष पहले 2010 में लागू किया गया था। “सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड” से जुडी हुई कमेटी नें सरकार से इस व्यवस्था पर पुनर विचार करने का आग्रह किया था। बुधवार 2 अगस्त 2017 को नरेंद्र मोदी की अगुआई में हुयी कैबिनेट मीटिंग में No-Detention Policy से जुड़े प्रपोजल को मंजूरी दे दी गयी।
ख़बरों के मुताबिक “यूनियन ह्यूमन रिसोर्स मिनिस्टर” प्रकाश जावड़ेकर नें यह कहा की राज्यों की सहायता से सरकार पाँचवीं और आठवीं कक्षा में उत्तीर्ण न कर पाने वाले विद्यार्थियों को उसी कक्षा में पुनः रोके जाने की कवायद शुरू करेगी। प्रकाश जावड़ेकर के अनुसार संसद में प्रपोज्ड बिल के आधार पर देश के राज्यों को पाँचवीं और आठवीं की परीक्षा प्रतिवर्ष मार्च में कराने का अधिकार दिया गया है। इसमें क्षात्रों के फेल होने पर उन्हें मई में दोबारा शामिल होने का एक आखरी मौका दिया जायेगा।