प्रताप चंद्र षड़ंगी – ओडिशा का मोदी, जीवन परिचय
सारंगी या ‘षडंगी’ ? मित्रों आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूँ कि प्रताप चंद्र सारंगी नहीं बल्कि षडंगी है अर्थात प्रताप चंद्र षडंगी है। यूँ तो हम सभी जानते हैं कि अंग्रेजी कोई वैज्ञानिक भाषा नहीं है। अंग्रेजी एक विकलांग भाषा है इसमें ष , श , स जैसे शब्दों को लिखने का एक ही तरीका है इसीलिए ‘षडंगी’ जैसा विशिष्ट शब्द भी ‘सारंगी’ बनकर गया। जाने ऐसे कितने शब्द हैं जो अंग्रेजी जैसी विकलांग भाषा का शिकार होकर नष्ट हो गए।
छः वेदांगों अर्थात षडंग का अध्यन करने वाले ब्राम्हण को षडंगी कहा जाता है। प्रताप चंद्र षडंगी उसी कुल के ब्राम्हण हैं। परन्तु हिंदी का अल्प ज्ञान रखने वाले पत्रकार, अंग्रेजी मीडिया तंत्र ने षडंगी जैसी विद्वानता को सारंगी वादक में तब्दील कर दिया।
व्यक्तिगत जानकारियां:
पूरा नाम – प्रताप चन्द्र षड़ंगी
जन्म तिथि – 4 जनवरी, 1955
जन्म स्थान – गोपीनाथपुर ग्राम, जिला बालेश्वर ओडिशा
पिता का नाम – गोविन्द चन्द्र षड़ङ्गी
शिक्षा – कला में स्नातक, 1975 में फ़क़ीर मोहन कॉलेज
ओडिशा के लोग प्यार से – इनको लाला भी कहते हैं
आलोचना के रूप में – ये हिंदूवादी नेता भी कहे जाते हैं
राजनीतिक जानकारियां:
उड़ीसा विधान सभा – 2004 से 2009, पुनः 2009 से 2014 लगातार दो बार विधायक रहे
लोकसभा चुनाव क्षेत्र – बालासोर, 2019
वर्तमान में – सांसद व केन्द्रीय राज्य मंत्री, 2019
राजनीतिक दल – भारतीय जनता पार्टी
पूर्व अध्यक्ष रहे – बजरंगदल ओडिशा के
संयुक्त सचिव रहे – विश्व हिन्दू परिषद ओडिशा के
लंबे समय तक – राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के अनुयाई रहे
क्यों कहा जाता है इन्हें ओडिशा का मोदी ?
प्रताप चन्द्र षड़ंगी जी को ओडिशा का मोदी कहे जाने की बड़ी वजह है उनका सादा जीवन और सामाजिक सेवा। देश के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी का जीवन भी बेहद सादगी भरा रहा है। षडंगी जी ने ठीक मोदी जी की तरह युवा अवस्था और जवानी के दिनों में ही सांसारिक मोह माया का त्याग कर दिया । षडंगी जी के साधारण कपड़े व वेश को देखकर शायद आप ये सोच रहे होंगे की क्या वे राजनीति के लिए उपयुक्त हैं ? यहां मैं आपको बता दूँ की षडंगी जी एक प्रखर वक्ता भी हैं। षडंगी बेधड़क हिंदी , ओरिया और अंग्रेजी में बात कर लेते हैं; उनको हर विषय का ज्ञान भी है क्योंकि उन्हें पढ़ना बेहद पसंद है। चूंकि इनका जीवन नरेंद्र मोदी के जीवन से काफी मेल खाता है अतः लोग इन्हें ओडिशा का मोदी कहकर पुकारते हैं।
प्रताप चन्द्र षड़ंगी, जीवन परिचय:
सन 1955, गोपीनाथपुर ग्राम, जिला बालेश्वर ओडिशा में जन्में Pratap Chandra Sarangi, एक ब्राम्हण परिवार से आते हैं। ब्राम्हण कुल में जन्में षडंगी का परिवार अत्यंत गरीब था। घर के नाम पर उनके पास एक बेहद साधारण सी दिखने वाली झोपड़ी है जिसमें वे निवास करते हैं। कुर्ता-पायजामा व कुर्ता-धोती जैसे साधारण लिबास में रहने वाले षडंगी सन 2004 से लेकर 2014 तक विधायक रहे। मगर अपने दस साल के कार्यकाल के बावजूद भी वे अपने लिए धन नहीं जमा किये। 2019 के आम चुनावों में षडंगी जी ने अपनी कुल संपत्ति 10 लाख रुपये बतायी।
षडंगी जी का मानना है कि वे राजनीति में धन एकत्रित करने नहीं बल्कि जनकल्याण के लिए आये हैं। Pratap Chandra Sarangi बजरंग दल और भारतीय जनता पार्टी के विचारों से आते हैं अतः इनके आलोचक इनको कट्टर हिंदूवादी नेता की उपाधि देते हैं। मगर षडंगी जी ने आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ के बहुत अच्छा कार्य किया। इनके कार्य सर्वहारा वर्ग के लिए होते हैं उसमें किसी विशेष समाज व जाति का कोई स्थान नहीं।
यूँ तो ओडिशा का बालासोर बैलेस्टिक मिसाईलों के परिक्षण स्थान के रूप में ही जाना जाता था मगर अब बालासोर को ओडिशा का मोदी अर्थात प्रताप चंद्र षडंगी के नाम से भी जाना व पहचाना जाने लगा है। षडंगी खुद ये कहते हैं कि मैंने बचपन से मन बना लिया था कि या तो मैं सन्यासी बनूँगा या फिर जनसेवा करूँगा।
सन्यासी बनने की इच्छा से वे रामकृष्ण मठ गये और मठ से जुड़ने की अपनी इच्छा जाहिर की। अपने जीवन के शुरुआती दौर में कई दफा पश्चिम बंगाल के हावड़ा में रामकृष्ण आदेश के मुख्यालय बेलूर मठ में कई दौरे किए। हावड़ा में मठ के लोगों ने षडंगी से उनके उद्देश्य के बारे में पूछा और उनसे उनका बॉयोडाटा भी पता किया। मठ को पता चला कि षडंगी की विधवा मां अभी जीवित हैं, तो मठ के लोगों ने षडंगी को आदेश दिया कि वो वापस जाकर अपनी मां की देखभाल करें और कभी कभार मठ के मुख्यालय आ जाया करें।
षडंगी ने गांव वापस लौटने की बात तो स्वीकार कर ली लेकिन वापस आकर उन्होंने अपना सारा समय अपने आस-पास मौजूद लोगों की देखभाल में बिताना शुरू कर दिया। षडंगी पूरी तरह सामाजिक हो चुके थे, वे हर तरह से समाज की वृद्धि चाहते थे। षडंगी ने अपने क्षेत्र में गरीबों के लिए कई सारे सराहनीय काम किए। उन्होंने गरीब बच्चों के लिए स्कूल भी खोला और गण शिक्षा मंदिर योजना के अंतर्गत उन्होंने बालासोर और मयूर गंज जिले में समर कारा केंद्र की शुरुआत की। इसी की वजह से सन 2004 से लेकर 2014 तक नीलगिरी विधानसभा छेत्र से उड़ीसा विधानसभा के सदस्य भी रहे। उन्होंने अपनी कमाई का सारा हिस्सा गरीबों की देखरेख और उनके लिए सारे इंतजाम करने में ही खर्च किया।
षडंगी जी की सामाजिक निष्ठा व राजनीतिक प्रसिद्धि को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में भी उन्हें उड़ीसा के बालासोर सीट से चुनाव में खड़ा किया, लेकिन दुर्भाग्यवश वे उस चुनाव को जीतने में असफल रहे। उन्हें बीजू जनता दल के नेता रविंद्र कुमार के हाथों हार का सामना करना पड़ा। लेकिन प्रताप चंद्र षडंगी के ऊपर से भारतीय जनता पार्टी ने अपना भरोसा नहीं खोया और 2019 में भी Pratap Chandra Sarangi को ही बालासोर की सीट से लोकसभा चुनाव में खड़ा किया। 2019 में षडंगी को सफलता मिली, उन्होंने बीजू जनता दल के रविंद्र कुमार को ही 2019 के लोकसभा चुनावों में 12956 वोटों से हराकर सांसद की सीट जीती। चुनाव जीतने के बाद जब पहली बार षडंगी जी का साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने कहा कि वे चुनाव में सिर्फ इसलिए खड़े हुए कि क्योंकि उन्हें लगता है कि राजनीति ही एक जरिया है जिससे वह समाज का कुछ भला कर सकते हैं। उनका मानना है कि राजनीति में अगर आप सक्रिय हैं तो वहां से आपको पैसा भी मिलता है और आपके पास ताकत भी होती है जिससे आप समाज के दीन दुखियों का भला कर सकते हैं।
प्रताप चंद्र षडंगी जी ने आजीवन विवाह ना करने का निश्चय किया है उन्होंने अपना सारा जीवन समाज के गरीब एवं दुखी व्यक्तियों के नाम कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी का हर नेता षडंगी के इस शानदार व्यवहार और उनके सादा जीवन का बहुत बड़ा फैन है। षडंगी के चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी के सभी बड़े नेताओं ने ट्विटर पर ट्वीट करके उनको बधाई दी। हालांकि प्रताप चंद्र षडंगी का नाम अपराधिक मामलों में भी आया, लेकिन उससे अब वे उबर चुके हैं क्योंकि वे सभी आपराधिक मामले राजनीतिक कारणों से ही लगाये गए। चुनाव जीतने के बाद तो यही मालूम पड़ता है कि वहां के लोगों के दिल में षडंगी कोई अपराधी नहीं बल्कि प्रति प्यार और स्नेहभाव से भरा एक सच्चा समाजसेवी है।
हीरे की परख सच्चे जोहरी को ही होती है। देश के भावी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने प्रताप चंद्र षडंगी जी की कुशलता, कर्म निष्ठा, सामाजिक प्रेम और जन सेवाभाव की परख करते हुए उनको अपने मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया। और शायद उनकी इसी सादगी का इनाम उन्हें मिला जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको अपने मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया। 30 मई 2019 को राष्ट्रपति भवन में जब सभी मंत्रीगण शपथ ग्रहण कर रहे थे तो उस समय प्रताप चंद्र षडंगी भी वहां मौजूद थे। जैसे ही प्रताप चंद्र षडंगी जी का का नाम बुलाया गया वैसे ही प्रधानमंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और राजनाथ सिंह हाथ जोड़कर उनके सामने खड़े हो गए और उनका अभिवादन किया।
Pratap Chandra Sarangi को देखकर कोई भी नहीं कह सकता कि वह लोकसभा के सदस्य हैं। उनका पहनावा बहुत ही ज्यादा सिंपल है, वह साधारण वस्त्र धारण किये एक चप्पल पहनकर हर जगह जाते हैं। षडंगी इस समय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह ही प्रताप चंद्र षडंगी का जीवन भी अनिश्चितताओं से भरा रहा है। उन्होंने भी बचपन से ही अध्यात्म को माना और खुद को जोड़ा, जिसकी वजह से आज वे इस अद्भुत मुकाम तक पहुंचे हैं कि सारा भारत उनके नाम का गुणगान कर रहा है।
लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा