प्रयागराज – नाम की धार्मिक विशेषता, महत्ता पर एक नज़र

प्रयागराज भारत का एक ऐसा शहर जो भारतीय संस्कृति, पौराणिकता, शिक्षा, अध्यात्म, सिनेमा, साहित्य और राजनीति सभी दृष्टिकोण से जाना व पहचाना गया। उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग में स्थित ये शहर भारत के प्राचीनतम शहरों में से एक है।

प्रयाग का नाम लेते ही हमारे मन में ये सवाल आता है कि आखिर इसका नाम ‘प्रयाग’ क्यों है ?
हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सृष्टि के रचईता ब्रम्हां जी नें जब सृष्टि रचना का कार्य पूर्ण किया। तब उन्होंने अपना पहला यज्ञ इसी स्थान पर किया जिसे ‘प्रथम यज्ञ’ का नाम दिया गया। प्रयाग का ‘प्र’ प्रथम शब्द से लिया गया है और ‘याग’ यज्ञ शब्द से लिया गया है। इस प्रकार ‘प्रयाग’ शब्द की उत्पत्ति ब्रम्हां जी द्वारा किये गए सृष्टि के ‘प्रथम यज्ञ’ से हुयी।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ‘प्रयाग’ को ‘तीर्थराज’ के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रयाग को बेहद पावन और प्रवित्र स्थल माना गया है। जिसकी वजह हैं भगवान विष्णु, एक मान्यता के अनुसार भगवान श्री विष्णु के यहां बारह स्वरुप विद्मान हैं जिसे ‘द्वादश माधव’ कहा जाता है।

प्रयागराज में कुंभ क्यूँ लगता है - Prayagraj Kumbh Mela Ki Manyata

पृथ्वी पर आयोजित होने वाला हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक सम्मेलन ‘कुम्भ’ का एक स्थान प्रयाग भी है। जो इस शहर की धार्मिक महत्ता को और विशेष बना देता है। बात यहीं ख़त्म नहीं होती प्रयाग ही एक ऐसा स्थान है जहां तीन पवित्र नदियों का मेल भी होता है। गंगा , यमुना के अतिरिक्त अदृश्य नदी सरस्वती भी गुप्त रूप से यहां आकर गंगा , यमुना से मिल जाती हैं। इस प्रकार तीन प्रवित्र नदियों गंगा यमुना और सरस्वती का यह मिलन ‘त्रिवेणी संगम’ कहलाता है।

पौराणिक कथाओं की मान्यता के अनुसार ‘क्षीरसागर’ मंथन से निकले अमृत की एक बूँद प्रयाग में भी गिरी थी, जिस कारण यहां प्रत्येक 12 वर्षो में कुम्भ मेले का आयोजन होता है। हर छठे वर्ष में अर्धकुम्भ और प्रत्येक वर्ष माघ मेले का आयोजन प्रयाग में सदियों से होता आया है।

मुग़ल सम्राट, अबुल-फ़तह जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर द्वारा सन 1583 में प्रयाग का नाम बदल कर इलाहाबाद कर दिया गया था। इलाहबाद अरबी एवं फ़ारसी शब्द से मिलकर बना था। जहाँ ‘इलाह’ एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है अल्लाह के लिए और आबाद एक फ़ारसी शब्द है जिसका अर्थ है बसाया हुआ। इलाहबाद नाम का सन्दर्भ अकबर द्वारा चलाये गए नए धर्म ‘दीन-ए-इलाही’ से भी लिया जाता है। 16 अक्टूबर 2018, मंगलवार के दिन उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी नें इलाहबाद का नाम पुनः बदलकर इसकी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रयागराज कर दिया।

प्रयागराज की महत्ता एवं इसकी विशेषता को अधिक गहरायी से जानने के लिए अर्धकुम्भ 2019 में जरूर हिस्सा लें।

लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा