सरल बनें सहज नहीं
इस बात में कोई संदेह नहीं कि आपको बचपन से ही यह सिखाया होगा कि आपका स्वभाव अत्यधिक सरल होना चाहिए और कई हद तक यह बात सच भी है या फिर यूँं कहें कि यह बात पूर्णतः सत्य है। आप जितना सरल रहेंगे आपका जीवन उतनी ही सरलता से व्यतीत होगा। एक सरल स्वभाव का व्यक्ति एक जटिल स्वभाव के व्यक्ति की तुलना में अधिक सुखी होता है। जीवनयापन के लिए यह गुण बेहद ज़रूरी है लेकिन क्या आप इस सरलता की परिभाषा को पूर्ण तरह समझते हैं ? कहीं आपसे सरलता के तात्पर्य को समझने में कोई भूल तो नहीं हुई ? तो आइए आज मैं आप को सरलता और सहजता के बीच के बारीक अंतर को समझाने की पूरी कोशिश करूँगी।
सरलता और सहजता को आमतौर पर एक ही तराजू में तौला जाता है लेकिन इन दोनों पहलुओं के तात्पर्य अलग-अलग हैं। क्योंकि हर एक पहलू अपना एक अलग पहचान लेकर जन्म लेता है। सरलता और सहजता के इस अंतर को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह बारीक सा अंतर बड़े-बड़े फासले लाकर खड़े कर देता हैं।
सरल होने का मतलब है अपने आधारों को स्थापित करते हुए लोगों के लिए हमेशा तत्पर रहना। वहीं दूसरी ओर सहजता का अर्थ है अपने आधारों को भुलाकर सिर्फ दूसरों के लिए तत्पर हमेशा मौजूद रहना। यदि आपके अंदर सरलता का गुण है तो आप बड़ी से बड़ी परेशानियों को भी आसान कर सकते हैं लेकिन यदि सहजता का गुण आप में निर्मित हो रहा है, तो आप अपने लिए आसान से आसान परिस्थिति में भी बड़ी से बड़ी परेशानियों को खड़ा कर सकते हैं। गुणों के मध्य में यदि आपका अपना अस्तित्व कहीं छुप जाता है तो वह गुण की आधारशिला भी हिल जाती है। दूसरों का अच्छा करने में कहीं आप खुद का बुरा ना कर दें इस बात पर विचार करना भी आप का ही हिस्सा है।
आप अपने दायरों को खुद ही निर्धारित करें, क्या और किस हद तक सही है इस बात का संपूर्ण विश्लेषण आपके जीवन में बहुत जरूरी होता है। यहाँ मेरा कहने का मतलब यह कतई नहीं कि आप स्वार्थी हो जाएं लेकिन यदि आप सिर्फ दूसरों के बारे में ही सोचेंगे तो फिर आप के बारे में कौन सोचेगा ? सरलता के चलते एक और बिंदु पर बेहद ज़ोर दिया जाता है जो होता है कि किसी से अनावश्यक जवाब या सवाल ना किए जाए। लेकिन सहजता के चलते आप वहाँ पर भी बोलने से कतराते हैं जहाँ पर आपका बोलना सर्वोपरि हो। यह निर्णय आपका है कि आप एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण करना चाहते हैं या फिर अपने व्यक्तित्व से बहुत से अच्छे लोगों को प्रभावित करना चाहते हैं। ज़ाहिर सी बात है जब आप अपने व्यक्तित्व से बहुत से अच्छे लोगों को प्रभावित करेंगे तो आपका व्यक्तित्व प्रत्यक्ष रुप से सरल हो ही जाएगा। लेकिन सरलता के इस रास्ते पर चलते चलते आप सहजता के मोड़ को ना अपनाएँ क्योंकि फिर दूसरों को प्रभावित करना ही आपका एक मात्र लक्ष्य बन कर सामने आ जाएगा।
इसलिये आवश्यक है – सरल बनें सहज नहीं !
लेखिका:
वैदेही शर्मा