सावन का पावन माह
पौराणिक महत्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ माह के समाप्त होते-होते भगवान विष्णु शेषनाग पर आने वाले 6 माह के लिए विश्राम करने चले जाते हैं। और सृष्टि का समस्त भार भोलेनाथ के हाथों सौंप जाते हैं। यही कारण है कि सावन माह को विशेष रूप से शिव जी का महीना माना जाता है।
शिव की उपासना
सावन महीने के आरंभ से ही सोमवार के व्रत शुरू हो जाया करते हैं इन्हें सावन सोमवार के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि सावन सोमवार के दौरान शिव की उपासना करने से आपके समस्त कष्टों का निवारण होता है। साथ ही साथ जीवन में प्रसन्नता समा जाती है। सावन महीने में अनेक मंदिरों में विशेष रूप से शिव जी के अभिषेक होते हैं। अलग-अलग स्थानों पर भक्तगण एकत्रित होकर पार्थिव शिवलिंग की स्थापना करते हैं और विशेष रूप से भोलेनाथ का श्रंगार किया जाता हैं।
प्रज्ञा का माह
आप में से यह बात शायद कम ही लोग जानते होंगे की सावन सोमवार के दौरान शिव जी की पूजा करने से आपको असीम प्रज्ञा की प्राप्ति होती है। इसलिए कहा जाता है कि यह माह विद्यार्थी जीवन में भी खासा महत्व रखता है। सावन के महीने के समय में प्रकृति एक अलग प्रकार की शांति में आलिंगित हो जाती है, जिसके चलते सम्पूर्ण वातावरण शुद्ध, बुद्ध और प्रबुद्ध हो जाता है।
बिल्वपत्र का है विशेष महत्व
यह बात सभी जानते हैं कि बिल्वपत्र शंकर जी को अधिक प्रिय है। यही कारण है कि सावन सोमवार के व्रत के दौरान उपासना में शिव जी को बेल पत्र अवश्य रुप से चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि बिल्वपत्र में मौजूद 3 पतियों का सिरा होता है, जो शिव जी की तीन आँखों का प्रतीक है। बिल्वपत्र के अलावा मुख्य रूप से विषैले फूल जैसे अकौआ, पिला कनेर, चम्पा केतकी आदि अर्पित किए जाते हैं।
महाकाल की महा सवारी
भारत में सावन महीने के दौरान उज्जैन में आयोजित होने वाली महाकाल की महा सवारी का भी विशेष महत्व है यही मुख्य कारण है कि सावन माह के आरंभ से ही अनेक भक्तजन उज्जैन की ओर प्रस्थान करते है। माना जाता है कि महा सवारी में उपस्थित होने से आपको अनंत यश की प्राप्ति होती है।
मुझे आशा है कि अब आप सावन माह के महत्व को बेहतर रूप से जान गए होंगे अतः आप का सावन माह मंगलमय हो।
लेखिका:
वैदेही शर्मा