प्रयागराज अर्धकुम्भ शाही स्नान की तारिख -15 जनवरी 2019 प्रयाग, शाही स्नान क्या है
शाही स्नान क्या है ?
शाही स्नान विशेषतः साधु संतों के सामूहिक स्नान को ही कहते हैं।
शाही स्नान के दिन साधु संत बड़ी शान शौकत के साथ हाथी, घोड़े, ऊंट, रथ पर बैठकर भारी बैंड बाजों के साथ शहर में घूमते हुए स्नान घाट पर उपस्थित होते हैं। साधू – संतों की यह अलौकिक मौजूदगी नाना प्रकार के अखाड़ों में विभाजित रहती है। हर अखाड़ा अपने-अपने जुलूस के साथ भव्य प्रदर्शन करता हुआ विचरण करता है। कुम्भ के मेले में तो इन अखाड़ों द्वारा मकरसंक्रांति पर शाही स्नान का दृश्य व उनकी भव्यता बेहद आकर्षित कर देने वाली होती है जिसे देखने हजारों लोगों का समूह एकत्रित हो जाता है।
प्रयागराज में अखाड़ों की पेशवाई की तारिख जनवरी 2019 माह में इस प्रकार है –
- 1 जनवरी को – श्री पंचायती अखाड़ा, महानिर्वाणी
- 2 जनवरी को – श्री पंचायती अखाड़ा, निरंजनी
- 3 जनवरी को – श्री तपोनिधि आनन्द अखाड़ा
- 3 जनवरी को – श्री शम्भू पंच अटल अखाड़ा
- 10 जनवरी को – श्री पंचायती अखाड़ा, नया उदासीन
- 11 जनवरी को – श्री पंचायती अखाड़ा, बड़ा उदासीन
- 13 जनवरी को – श्री पंचायती अखाड़ा, निर्मला
शाही स्नानों का आयोजन:
आपको बता दें की प्रयाग के अर्धकुम्भ मेले में कुल तीन शाही स्नान होने हैं। शाही स्नान मात्र साधू संतों के लिए ही होता है अतः शाही स्नान की हर तारीख पर संतों की टोली अपने अखाड़ों के साथ जुलूस निकालते हुए घाट की ओर प्रस्थान करते हैं। संतों की ये टोली उनकी नाना प्रकार की वेश-भूषा बेहद लुभावनी होती है जिसमें नागा साधु भी मौजूद रहते हैं। साधुओं के लिए विशेष घाट बनवाये जाते हैं जहाँ आमजन का जाना व स्नान करना प्रतिबंधित रहता है। शाही स्नान में आम जनता भी भाग लेती है किन्तु उनके लिए अलग घाट बनवाये जाते हैं और आम जनता साधुओं के स्नान के बाद ही स्नान करती है।
कुंभ के 3 शाही स्नानों की तारीख:
- प्रथम शाही स्नान: 15 जनवरी (मंगलवार) 2019, मकरसंक्रांति के दिन।
- द्वितीय शाही स्नान: 4 फ़रवरी (सोमवार) 2019, मौनी अमावस्या के दिन।
- तृतीय शाही स्नान: 10 फ़रवरी (रविवार) 2019, बसंत पंचमी के दिन।
प्रयाग कुंभ में कल्पवासी:
जहाँ तक कल्पवासियों का प्रश्न है तो यह केवल कुम्भ अथवा अर्धकुम्भ तक सीमित नहीं। प्रयाग में हर एक वर्ष जनवरी माह में माघ मेले का आयोजन होता है। माघ मेले साधु संतों के अतिरिक्त आम जनता भी भागीदार बनती है। जनता साधु संतों के द्वारा बनाये शिविरों में ही ठहरती है। इन शिविरों को ‘अखाड़ा’ के नाम से जाना जाता हैं। साधु संत अपने अखाड़ों में, सौर और हज़ार की तादात में टेंट लगवाते हैं, प्रयाग की निजी बोली में ‘टेंट’ को ‘कुरिया’ भी कहा जाता है। टेंट लगवाने के अतिरिक्त वहां हर सुविधा जैसे – बिजली , पानी , शौचालय इत्यादि का भी प्रबंध साधुओं द्वारा और माघ मेला समिति द्वारा कराया जाता है।
इन टेंटों में रहने अर्थात वास करने वाले आम लोग स्त्री , पुरुष होते हैं जिनके लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं है। साधु अपने अखाड़ों में लगे टेंट को किराये पर उपलब्ध कराते हैं जिसके लिए 1000 , 1500 या 2000 तक की राशि ली जाती है। यह टेंट की राशि पूरे माघ मेले के लिए एक बार ही ली जाती है।
टेंट में रहने वाले लोग “कल्पवासी” कहलाते हैं। जो अपने घरेलु इस्तेमाल की वस्तुओं को टेंट में खुद लेकर आते हैं जैसे – गैस सिलेंडर, खाद्य पदार्थ, बिस्तर अथवा अन्य वो सब कुछ जिसकी वे जरूरत महसूस करते हों।
कल्पवासियों की एक खास दिनचर्या होती है – सुबह भोर में गंगा स्नान, पूजा पाठ, कथा व यज्ञ, प्रवचन सुनना, दान पुण्य करना, अल्प आहार लेना, किसी भी प्रकार का मादक सेवन या फिर मांस मच्छी का सेवन न करना इत्यादि शामिल है। कल्पवास का अर्थ है कि विषम परिस्थितियों में रखकर अपने ईश्वर की उपासना करना। अपने शरीर के कष्ट होने पर भी ईश्वर के प्रति भक्तिभाव रखना।
माघ मेला, अर्धकुम्भ अथवा कुंभ में होने वाले शाही स्नान के अतिरिक्त अन्य महत्त्वपूर्ण स्नान इस प्रकार हैं –
- 21 जनवरी 2019 (सोमवार) को – पौष पूर्णिमा पर्व स्नान
- 31 जनवरी 2019 (गुरुवार) को – पट्लिका एकादशी पर्व स्नान
- 16 फरवरी 2019 (शनिवार) को – जया एकादशी पर्व स्नान
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की प्रयाग में –
- माघ मेला हर साल आयोजित होता है
- अर्धकुम्भ का आयोजन हर छठे साल में होता है अर्थात 6 वर्षो में एक बार
- कुंभ या महाकुम्भ का आयोजन बारह साल में एक बार होता है अर्थात 12 वर्षों के बाद
अतः अगर आपने कभी माघ मेला , अर्धकुम्भ मेला या फिर महाकुम्भ मेला नहीं देखा है तो यह आपके लिए एक सुनहरा मौका है प्रयागराज जाने का। इस वर्ष 2019 में अर्धकुम्भ आयोजित हो रहा है, ये अवसर दुबारा अब महाकुम्भ के बाद प्राप्त होगा। इसलिए भारत की विविधता , हिन्दू धर्म की महत्ता , प्रयाग की विशेषता को जानने व पहचानने का ये सुन्दर अवसर न जाने दें। कुम्भ की भव्यता केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्व में भी काफी प्रसिद्द है। माघ मेले में विदेशी साधु संतो के शिविर भी आते हैं जिनकी सुंदरता देखते ही बनती है।
लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा