स्वामी रामदेव बाबा – जीवन परिचय और सफलता की कहानी
अपने वास्तविक नाम “रामकृष्ण यादव” से निकल कर “बाबा रामदेव” की छवि बनाने वाला यह शख्स जो दिखने में तो अति साधारण लगता है पर कार्य बड़े असाधारण किये हैं । पखेरू पर आज हम चर्चा कर रहे हैं योग गुरु स्वामी रामदेव की जो आज देश के जाने-माने हस्ती बन चुके हैं। शून्य से शिखर तक का यह सफर बाबा रामदेव जी नें बड़ी मेहनत और लगन से तय किया जिसमें कई प्रकार की बाधायें भी आयीं मगर रामकृष्ण यादव उर्फ़ रामदेव कभी विचलित नहीं हुए।
विशेष बिंदु :
वास्तविक नाम – रामकृष्ण यादव
प्रसिद्ध नाम – स्वामी रामदेव (बाबा रामदेव)
जन्म स्थान – हरियाणा राज्य के महेन्द्रगढ़ जनपद स्थित अली सैयदपुर नामक गाँव में
जन्म – वर्ष 1965
पिता का नाम – रामनिवास यादव
माता का नाम – गुलाबो देवी
प्रारंभिक शिक्षा – मात्र कक्षा आठवीं तक
संस्कृत व् योग की शिक्षा – आचार्य प्रद्युम्न और योगाचार्य बल्देव जी से प्राप्त की
रामकृष्ण यादव से बाबा बनने की कहानी भी अदभुत है। हरयाणा राज्य में जन्में रामकृष्ण यादव आम इंसान से सन्यासी बन गए, उसके उपरान्त उन्होनें अपना नाम स्वामी रामदेव रख लिया। मात्र आठवीं कक्षा तक पढ़े रामदेव का मन सामान्य स्कूल में न लगा; वे धीरे-धीरे साधु संतों के संपर्क में आ गए। भिन्न प्रकार के विद्वान गुरुओं, संतों और बाबाओं से मिलकर वे उनके साथ वेद, पुराण, धर्म, ग्रन्थ, साहित्य व् योग की शिक्षा हासिल करने लगे। योग का ज्ञान होने के उपरांत वे हरयाणा में ही खानपुर गांव में लोगों को मुफ्त में योग की शिक्षा देने लगे। कुछ समय के पश्चात वे हरिद्वार चले गए जहाँ पर कांगरी विश्वविद्यालय और अन्य गुरुकुलों में कई वर्ष तक भारत के प्राचीन शास्त्रों का अच्छे से अध्यन किया। वहां से अपनी शिक्षा पूरी कर वे खुद को सांसारिक मोह से अलग कर बैठे और फिर आजीवन सन्यासी बने रहने का प्रण किया। रामकृष्ण यादव से स्वामी रामदेव फिर पूर्णतः सन्यासी बनने के बाद बाबा रामदेव कहलाने लगे। ऐसा भी माना जाता है की वे सन्यासी बनने के बाद हिमालय में जाकर कई वर्षों तक तप करते रहे उसी के दौरान उन्होनें आयुर्वेद और जड़ी बूटियों की शक्ति को पहचाना; तत्पश्चात वे हरिद्वार में आकर बस गए। हरिद्वार आकर उन्होंने योग शिक्षा को आगे विकसित किया जिसमें उन्हें अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई। योग में महारत प्राप्त कर बाबा जी नें स्वतः ही कई प्रकार के योग आसन विकसित किये जिसे जनता के बीच जाकर उसके फायदे को समझाया। बाबा रामदेव का योग के प्रति समर्पण इस प्रकार रहा की विलुप्त हो चुकी इस योग क्रिया को फिर से एक नई रौशनी मिल गयी। अपने शरीर को स्वस्थ रखने की यह क्रिया बाबा रामदेव के साथ और प्रसिद्ध होती चली गयी। सम्पूर्ण भारतवर्ष में पुनः योग को जीवित करने का श्रेय स्वामी रामदेव को ही जाता है। अब बाबा रामदेव योग गुरु के नाम से प्रसिद्ध हो चुके थे; योग की शिक्षा को भारत के अलावा अन्य कई देशों में भी पहुँचाया। आज पूरा विश्व योग को जानता है पहचानता है और इसके फायदे व् लाभ को भी जानता है यही वहज है की दुनियां साल में एकबार 21 June को Yoga Day के नाम से मनाती है। योग की वैश्विक प्रसिद्धि का श्रेय बाबा रामदेव को जाता है; आज बाबा रामदेव महज योग गुरु नहीं बल्कि एक जाने माने व्यापार गुरु भी बन गए हैं।
सन 1995 में बाबा रामदेव जी नें दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की। आपको बता दें की दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए बाबा रामदेव के पास प्रयाप्त पैसे नहीं थे पर किसी प्रकार वे रजिस्ट्रेशन करवाने में सफल रहे। जनसेवा भाव इतना था की पैसों की कमी के बावजूद सन 1995 से लेकर 1998 तक बाबा रामदेव व् उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण नें लोगों को मुफ्त में आयुर्वेदिक दवाईयां बाँटीं। बाबा रामदेव व् आचार्य बालाकृष्णन अपने शुरूआती दिनों में स्वयं ही जड़ी बूटियों को लाते, उनको कूटकर और पीसकर दवाईयों का निर्माण करते थे। जैसे जैसे उनकी बनायी दवाईयां कारगर साबित हुयीं वैसे वैसे लोगों का आयुर्वेद में फिर से विश्वास स्थापित हुआ।
स्वामी रामदेव यहीं नहीं रुके अपने योग से देश और दुनियां को लाभांवित करने वाले बाबा, अब व्यापर की तरफ रुख कर गए फलस्वरूप पतंजलि योगपीठ की स्थापना की। पतंजलि के अंतर्गत भिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का निर्माण होने लगा जिसे लोगों नें बड़े विश्वास पूर्वक इतेमाल भी किया। व्यापर की दुनियां में बाबा एकदम नए सितारे के रूप में उभरे; देखते ही देखते पतांजलि के सारे प्रॉडक्ट पहले से मौजूद विदेशी व् स्वदेशी प्रॉडक्ट पर भारी पड़ने लगा। मौजूदा स्थिति का जीकर करें तो पतांजलि का सालाना टर्न-ओवर 10 हज़ार 500 करोड़ के करीब आ पहुंचा है। व्यापार की दुनियां में अपने झंडे गाड़ने के बाद बाबा नें कुछ राजनीतिक गतिविधयों में अपनी दिलचस्पी दिखानी शुरू की। अपने योग मंच से बाबा नें देश में फैले भ्रष्टाचार और काले धन को मिटाने का आह्वान किया जिसमें उनसे जुड़ी हुई जनता नें बखूबी साथ निभाया। रामदेव नें 27 फरवरी 2011 को रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ जन सभा की जिसमें अन्ना हज़ारे भी शामिल हुए। 4 जून 2011 को बाबा रामदेव नें दिल्ली के रामलीला मैदान में सत्याग्रह की घोषणा कर दी जिसमें काफी जनसैलाब उमड़ा। प्रातः 7 बजे सत्याग्रह प्रारंभ हुआ परन्तु रात में अचानक मंच पर मची अफरा तफरी, पुलिस द्वारा छोड़े गए आंसू गैस की गोलियां, लाठी चार्ज नें बाबा के सत्याग्रह कार्यक्रम को विफल कर दिया।
देश में कांग्रेस सरकार द्वारा किये गए भ्रष्टाचारों की बाबा रामदेव लगातार निंदा करते रहे यहाँ तक की कांग्रेस नें भी बाबा रामदेव को घेरने के कई प्रयास किये। अभी सरकार और बाबा के बीच खींचतान जारी ही थी की देश में 2014 लोकसभा इलेक्शन नें सारी तस्वीर बदल दी। कांग्रेस चुनाव में बुरी तरह पराजित हुई और सत्ता की कमान भारतीय जनता पार्टी के हाथ में आ गयी। बाबा रामदेव नई सरकार के साथ सुरक्षित थे; बीजेपी नें रामदेव के व्यापार को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रसस्त कर दिया।
सन 2006 में रामदेव और आचार्य बालकृष्ण नें एक साथ मिलकर Patanjali Ayurved Limited की स्थापना की, जिसके अंतर्गत रोजमर्रा से जुड़ी हर वस्तु का निर्माण होने लगा जैसे तेल, साबुन, मंजन, घी व् आटा इत्यादि। पतंजलि के अंतर्गत कुल 350 पेटेंट प्रोडक्ट्स हैं; देखते ही देखते पतंजलि के प्रोडक्ट्स बाजार में खासे प्रसिद्ध हो गए। आलम यह है की बाबा रामदेव और बालकृष्ण की जोड़ी पतंजलि के माध्यम से देश में मौजूद अन्य कई FMCG कंपनियों को कड़ा मुक़ाबला देने लगे। पतंजलि का रेवेन्यू 2009 से 2010 तक मात्र 163 करोड़ था पर 2017 तक आते आते इसका रेवन्यू 10500 करोड़ के आंकड़े को भी पार कर गया।
पतंजलि FMCG प्रोडक्ट्स के अलावा स्वामी रामदेव जी हरिद्वार स्थित निकट पतंजलि योगपीठ, एक विद्यालय भी चलाते हैं जिसे 2013 में शुरू किया गया था। आचार्यकुलम के नाम से प्रसिद्ध यह विद्यालय का उद्देश्य देश की संस्कृति और पुरानी वैदिक शिक्षा को बढ़ावा देना है। इस विद्यालय को भी स्वामी रामदेव और उनके साथी आचार्य बालकृष्ण साथ मिलकर चलाते हैं।
साधारण परिवार में जन्मे रामकृष्ण यादव से स्वामी रामदेव तक का सफर पूरा करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा पर हर मुश्किल पड़ाव को पार कर आज जो मकाम हासिल हुआ है वह दुनियां देख रही है। पखेरू पर आज का यह विशेषांक स्वामी रामदेव बाबा का जीवन परिचय और उनकी अदभुत सफलता पर आधारित था उम्मीद है आपको यह जरूर पसंद आया होगा।