न्यू इंडिया – ट्रेन 18, भारतीय रेलवे की बदलती तस्वीर
भगवान भरोसे कहे जाने वाली भारतीय रेल प्रणाली और व्यवस्था अब शायद बदलाव की करवट लेने वाली है। बदलते भारत की यही मांग भी है, क्यूंकि किसी भी देश का विकास काफी हद तक वहां की यातायात व्यवस्था पर भी निर्भर करता है। अभी तक हमने साधारण एक्सप्रेस ट्रेनों के अलावा राजधानी , शताब्दी , गतिमान और दुरंतों जैसी ट्रेनों में सफर किया जो देखने में एक ही जैसी हैं बस उनकी गति में ही कुछ विशेष अंतर नज़र आता है।
किन्तु देश में विकसित एक ऐसी ट्रैन आ रही है जिसका नाम है Train 18, ट्रेन 18 नाम देने के पीछे कारण ये है कि यह ट्रैन इसी वर्ष 2018 के अंत में यात्रियों के लिए शुरू हो जाएगी पर हो सकता है की इसे आने वाले वर्ष जनवरी 2019 से चलाया जाय। फ़िलहाल ट्रेन बनकर तैयार है और इसके कई ट्रायल भी हो चुके हैं। Train 18 अपने सभी मानकों पर उम्मीद के अनुरूप खरी उत्तरी है।
आपको बता दें की वर्तमान भारत सरकार अपने महत्वाकांक्षी रेल प्रोजेक्ट अर्थात बुलेट ट्रेन को लाने से पहले कुछ Semi High Speed Train को शुरू कर देना चाहती है जिसमें Train 18 और Train 20 इसी कड़ी का हिस्सा हैं। ट्रेन 18 तो अब शुरू होने वाली है मगर ट्रेन 20 वर्ष 2020 तक पटरी पर आ पायेगी। आपको बता दूँ की – Train 18, फ़िलहाल चल रही ‘शताब्दी एक्सप्रेस’ ट्रेनों की जगह लेगी।
ट्रेन 18 की खासियत यह है की ये शताब्दी और राजधानी जैसी ट्रेनों से भी ज्यादा गतिशील होने के साथ साथ बेहद आरामदायक व सुरक्षित है।
- T 18 ट्रेन Make In India परियोजना का हिस्सा है, यह रेल पूरी भारत में निर्मित की गयी है।
- ट्रेन के सारे डब्बे पूरी तरह वातानुकूलित होंगे।
- ट्रेन T 18, आईसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री), चेन्नई में बनी है जहाँ पर ट्रेन 20 को भी बनाया जा रहा है।
- ट्रेन में 16 चेयरकार कोच , 14 नॉन एग्जीक्यूटिव कोच, 2 एग्जीक्यूटिव कोच होंगे।
- एग्जीक्यूटिव कोच में 56 यात्री बैठेंगे और नॉन एग्जीक्यूटिव कोच में 78 लोगों बैठ सकेंगे।
- T18 ट्रेन का कोच Stainless-Steel का बना है जिसका आधार डिजायन LHB (Linke Hofmann Busch) है।
- ट्रेन 18 को 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार पर टेस्ट किया गया है पर यह 220 की तफ्तार लेने में भी सक्षम है।
- पुराने पारंपरिक ट्रेनों के विपरीत, ट्रेन T18 में लगातार खिड़कियां होंगी।
- ट्रेन में फ्री वाई-फाई, इंफोटेनमेंट की सुविधा है और जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली भी है।
- ट्रेन में स्वचालित दरवाजे हैं, इसके साथ स्लाइडिंग फूटस्टेप की सुविधा भी है।
- मॉड्यूलर शौचालयों में Esthetic Touch Free बाथरूम रहेंगे।
- ट्रेन का बड़ा फायदा यह है कि इसमें कोई Engine Reversal की आवश्यकता नहीं है।
भारतीय रेलगाड़ियों के पारंपरिक डिज़ाइन के विपरीत यह ट्रेन 18 बेहद सुन्दर है जिसे पटरी पर चलते देखना सुखद होगा। भारतीय इंजीनियरों द्वारा यह रेल मात्र 18 महीने में ही तैयार कर ली गयी। T 18 पूरी तरह वातानुकूलित ट्रेन है जिसे बनाने में कुल 100 करोड़ की लगत आयी है। हाँ पर यह है की ट्रेन 18 में लगी यात्री सीट विदेश से मंगाई गयी है जो आरामदायक होने के साथ साथ 180 डिग्री के कोण तक घूम जाती हैं।
ट्रेन 18 में यात्रा करने वाले यात्रियों समय भी बचेगा। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है की ये शताब्दी की अपेक्षा 15 प्रतिशत कम समय लेगी। रेलवे मंत्रालय फ़िलहाल इसे पूरी गति से न चलाकर केवल 130 की रफ़्तार में चलाने की योजना बना रहा है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी Train 18 को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी (बनारस) से हरी झंडी देकर रवाना करेंगे, इस प्रकार T18 की पहली यात्रा वाराणासी से नई दिल्ली की होगी। फिलहाल ट्रेन 18 दिल्ली – वाराणसी रूट पर ही चलेगी किन्तु अभी इसका किराया नहीं बताया गया है। 2019 के जनवरी माह में भारत की पहली सेमि हाई स्पीड ट्रेन 18 चलने को तैयार है।
लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा