क्या दर्शकों को भी यकीन है ? फिल्म ट्यूबलाइट जिसमें रौशनी कम है

सलमान खान फिल्म्स और कबीर खान फिलम्स द्वारा हालिया प्रदर्शित फिल्म Tubelight सिनेमा घरों में अपना जादू बिखरेने में असफल सी जान पड़ती है। फिल्म ट्यूबलाइट के प्रोडक्शन का जिम्मा संभाला है सलमा खान और सलमान खान नें, इसे निर्देशित किया है कबीर खान नें, जी हाँ वही कबीर खान बजरंगी भाईजान वाले। संगीत का तड़का लगया है प्रीतम नें जो कि फिल्म के लिहाज से ठीक ही है। सबसे बड़ी बात इस फिल्म की इसमें हीरो और हिरोइन का रोमांस नहीं सिर्फ दो भाइयों का प्यार दिखया गया है और वे दो भाई कोई और नहीं बल्कि असल भाई सोहेल और सलमान खान ही हैं। आप तो जानते होंगे ओमपुरी साहब को जिनकी मृत्यु अभी हाल ही में हुई थी, ट्यूबलाइट उनकी अंतिम फिल्म रही जिसमें उन्होनें काम किया ।

फिल्म समीक्षा - ट्यूबलाइट हिंदी मूवी रिव्यू

कितना नम्बर मिलना चाहिए फिल्म Tubelight को ?

मैं तो इसे – 5 में से केवल 2 स्टार ही देना पसंद करूँगा।

क्या है फिल्म ट्यूबलाइट कि कहानी:

पहले ये आपको बता दें कि फिल्म ट्यूबलाइट की कहानी एक हॉलीवुड फिल्म “लिटिल बॉय” से प्रेरित है जिसमें एक बच्चा जंग पर गए अपने पिता को खोजने निकल पड़ता है। पर फिल्म ट्यूबलाइट में एक भाई जंग पर गए अपने दूसरे भाई को खोजने निकल पड़ता है। जंग पर जाने वाले भाई हैं सोहेल खान और उनको खोजने के लिए जाते हैं उनके दूसरे भाई सलमान खान जिसे खुद पर यकीन है।

2015 में आई फिल्म बजरंगी भाईजान के निर्देशक कबीर खान नें सोचा कि इसबार India और Pakistan ना करके India और China कर देते हैं, लिहाजा फिल्म ट्यूबलाइट को भारत और चीन के युद्ध पर केंद्रित कर बुना गया है। फिल्म Tubelight 1962 भारत-चीन युद्ध के इर्द–गिर्द घूमनी शुरू होती है; जिसमें लक्ष्मण सिंह बिष्ट यानि कि सलमान खान जो एक बच्चे के माफिक है जिसका शरीर तो वक़्त के साथ बढ़ रहा होता है लेकिन दिमाग नहीं। फिल्म में ट्यूबलाइट शब्द सलमान खान उर्फ़ लक्ष्मण सिंह बिष्ट को कहा जाता है।

लक्ष्मण सिंह बिष्ट एक बड़ा आदमी है परन्तु उसका दिमाग बच्चे जैसा है; उसका व्यवहार भी ट्यूबलाइट जैसा है – फड़फड़ करना, ठीक से बोल ना पाना, हिचकिचाना जिसकी वजह से तमाम बच्चे उसे ट्यूबलाइट कि संज्ञा दे देते हैं और ट्यूबलाइट कह कर उसका मजाक उड़ाते हैं। लेकिन जब लक्ष्मण अपने छोटे भाई भरत सिंह बिष्ट यानि सोहेल खान के साथ होता है तो कोई उसे ट्यूबलाइट नहीं कहता क्योंकि भरत मजबूत है दिमाग और शरीर दोनों से। दोनों के माँ–बाप मर जाते हैं तो दोनों भाई रहने लगते हैं अपने बन्ने चाचा (ओमपुरी) के घर। एक दिन स्कूल में महत्मा गाँधी जी आते हैं और कहते हैं की अगर तुमको यकीन है कि तुम कोई काम कर सकते हो तो वह हो जायेगा। छोटे लक्ष्मण को ये बात अच्छी लगती है वो अमल करता है लेकिन बड़े होते-होते भूल जाता है। बॉर्डर पर चीन के साथ युद्ध के आसार बनते हैं तो सेना में भर्ती शुरू हो जाती है; जिसमे भरत सिंह बिष्ट (सोहेल खान) का चयन हो जाता है। बन्ने चाचा के सहारे लक्ष्मण सिंह बिष्ट (सलमान खान) को छोड़ कर वो युद्ध पर चला जाता है। अपने भाई के बिना लक्ष्मण साईकिल की चैन तक भी नहीं चढ़ा पता है ऐसे में वो खुद को अकेला महसूस करता है और बन्ने चाचा से पूछता है की भरत कैसे आयेगा? बन्ने चाचा उसे गाँधी जी की शिक्षा की एक लिस्ट दे देते हैं | तभी उनके कस्बे में एक चीनी महिला “ले लीन” (जू जू ) और उसका बेटा गुवो (मातिन रे तांगुं) आ जाते हैं। जिनसे कस्बे वाले चीन की लड़ाई की वजह से नाराज हैं, कस्बे के लोग उनको तंग करते हैं खासकर नारायण तिवारी (मोहम्मद जीशान अय्यूब) उन पर हमला करता है लेकिन लक्ष्मण उनकी मदद करता है। ऐसे ही कस्बे में एक रात आते हैं जादूगर गोगा (शाहरुख़ खान) जो लक्ष्मण को फिर से यकींन का पाठ पढ़ा के चले जाते हैं। एक-दो दिन में ये खबर आती है की भरत सिंह बिष्ट (सोहेल खान) को चीन के सिपाहियों नें बंदी बना लिया है। लक्ष्मण अपने यकींन की विचारधारा से अपने भाई को वापस ला पाते हैं या नहीं ये आपको फिल्म देखने के बाद ही पता चलेगा।

कलाकारों का अभिनय:

सलमान खान, लक्ष्मण सिंह बिष्ट के किरदार में जमे हैं और हमेशा कि तरह उनका काम अच्छा है हालांकि कुछ भावनात्मक दृश्यों में वे ओवर-एक्टिंग करते दिखाई पड़ते हैं। ओमपुरी जी नें अपने किरदार को बहुत सही ढंग से अदा किया है उनको देख कर नहीं लगता कि वो अब हमारे बीच नहीं रहे। जू जू और मातिन रे तांगुं की यह पहली हिंदी फिल्म है फिर भी दोनों का अभिनय देखने लायक है। मातिन रे तांगुं बजरंगी भाईजान कि मुन्नी की तरह भोले हैं और तेज़ भी । सोहेल खान के लिए ज्यादा कुछ नहीं था पर जो था उसको उन्होनें ईमानदारी पूर्वक ठीक-ठीक दिखाया है।

क्यों देखे?

अगर आप सिर्फ सलमान खान के फैन हैं और उनकी कोई फिल्म मिस नहीं करते हैं तो ट्यूबलाइट आपके लिए है। जैसे तेरे नाम के राधे भैया को आपने देखा फिल्म ट्यूबलाइट में आपको लक्ष्मण सिंह बिष्ट भी अच्छे लगेंगे। इसके अलावा फिल्म का फिल्मांकन लेह के पहाड़ और वादियों के बीच किया गया है जो आँखों को खूब सुहाता है। अगर आप फनी , लविंग , भावनात्मक जैसी कहानियों को पसंद करते हैं तो ट्यूबलाइट आपको जरूर लुभाएगी । ईद का पर्व है आप पूरे परिवार के साथ फिल्म ट्यूबलाइट देख सकते हैं। यह फिल्म बड़ों को थोड़ा कम पर बच्चों को जरूर पसंद आएगी।

क्यों ना देखें ?

अगर आप यह सोच रहे हैं कि फिल्म ट्यूबलाइट सलमान खान की पिछली फिल्में वांटेड, दबंग, बजरंगी भाईजान और सुल्तान जैसी है तो कृपया ये सोचना बंद कर दें वरना आपको निराशा होगी। इस फिल्म में आपके पुराने सलमान खान नहीं मिलेंगे बल्कि उनकी जगह एक बच्चा मिलेगा जो शायद ही आपको पसंद आये। इस फिल्म की कहानी रोमांस पर आधारित नहीं है जिसमें सलमान खान का एक्शन, स्टाइल , लुक और दमदार डायलॉग आपको सुनने को मिले। फिल्म में दो भाई हैं जो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। फिल्म की कहानी युद्ध के इर्द-गिर्द बुनी गई है पर आपके चहेते सलमान खान को युद्ध करते नहीं दिखाया गया है क्योंकि कहानी में एक भी युद्ध का सीन नहीं है वो सिर्फ कहानी का बैकग्राउंड है। आप यह भी ना सोचें कि फिल्म ट्यूबलाइट India और China के युद्ध पर आधारित है तो इसमें देशभक्ति का भाव होगा ऐसा कुछ भी नहीं है। कबीर खान और सलमान खान नें एक लफ्ज़ “यकीन” को पूरी फिल्म मे घूमाया है गाँधी जी की बातें जो सबको याद हैं वही बातें दोहरायी गई हैं। बिना बात के और समझया है की आपको देशभक्ती के लिए किसी से प्रमाण पत्र लेने की जरुरत नहीं है, ये बाते बोरिंग लगती है। स्क्रिप्ट के लेवल पर बहुत कम काम किया गया है, सलमान हैं तो फिल्म हिट होगी इस बात पर कबीर खान को बहुत ज्यदा यकीन था इसलिए उन्होंने ज्यादा दिमाग नहीं लगाया। गीतों की अगर हम बात करें तो प्रीतम कि इस फिल्म में कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि ऐसा कोई भी गीत नहीं है जिसको आप गुनगुनाना पसंद करेंगे। फिल्म में म्यूजिक सिर्फ बच्चों को लुभा सकता है बड़ों के लिए गीत में कुछ ख़ास नहीं है।

और अंत में:

फिल्म ट्यूबलाइट कि कहानी जिसे दर्शक आसानी से प्रेडिक्ट कर सकते हैं इस लिहाज से दर्शकों में कुछ उत्साह नहीं रह जाता कि अब आगे क्या होगा। Little Boy को कॉपी करना कबीर खान को भारी पड़ा क्योंकि सलमान भाई लिटिल बॉय नहीं दबंग बॉय हैं। फिल्म वॉन्टेड से शुरू हुआ विजयी रथ क्या Tubelight पर आकर रुक जायेगा यह दो दर्शक और बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट से पता चलेगा। ईद का पर्व है जिससे फिल्म ट्यूबलाइट को कुछ मदद मिल जाएगी पर यह तो तय है कि अपनी पिछली फिल्मों का जादू सलमान दोहराने में नाकामयाब रहे।