यादें होली के पुराने गीतों की – भारतीय फिल्मों से ख़त्म होते त्यौहार पे आधारित फ़िल्मी गीत

होली आने वाली है ये बात जहन में आते ही बहुत कुछ याद आनें लगता है जैसे अपने बचपन का वो पल जब हम दोस्तों के साथ होली वाले दिन उछल कूद किया करते थे और मोहल्ले में होली पे आधारित पुरानी फिल्मों के गीतों का बजना .. सच में मन अनायास ही एक जगह रुक जाता है। त्यौहारों का जीवन में होना अति आवश्यक है क्योंकि त्यौहार हमारे जीवन को और खुशनुमा बनाते हैं। चलिये ज़रा बात करते हैं हमारी पुरानी हिंदी फिल्मों कि, क्योंकि मुझे अच्छे से याद है कि हर पुरानी Hindi Picture में एक त्यौहार पे आधारित गीत हुआ करता था जो ये अहसास दिलाता था कि हम भारतीय हैं और त्यौहारों का हमारे जीवन में कितना अहम् योगदान है।

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Indian Cinema में त्यौहारों को celebrate करने का प्रचलन बहुत पुराना है जो कि हमनें 50, 60, 70 और 80 के दशक की फिल्मों काफी देखा, पर 90 के दशक के बाद हमारी Hindi फिल्मों नें तो त्योहारों को परदे पे दिखाना लगभग बंद ही कर दिया अब चाहे होली हो या दिवाली हो इनमें से कुछ भी अब परदे पे दिखाई नहीं देता; दिखाई देता है तो केवल शोर। ज्यों-ज्यों भारत modern दुनियां में प्रवेश करता गया वो अपने वजूद से दूर होता गया हिंदी फिल्में जिसका जीता-जागता उदहारण हैं। इसमें कोई संदेह नहीं की आज भारतीय फिल्में काफी मशहूर हो रहीं हैं और विदेशों में भी अच्छा पैसा काम रहीं हैं परंतु इन सबके बावजूद Hindi Film से दूर होती भारतीयता की छाप सोचने को एक बार मजबूर कर देती है कि आखिर क्यों हम अपने देश को परदे पर उतारने से कतरा रहे हैं।

Holi के गीतों से सुसज्जित फिल्मों का इतिहास देखें तो वो गीत न सिर्फ उस दौर में Popular हुए थे बल्कि आज के modern युग में भी उनकी लोकप्रियता देखते ही बनती है। जैसे ही त्यौहारों है season आता है हमें अपने आस-पास पुरानी film के बजते हुए सुनाई पड़ जाते हैं जो ये दर्शाते हैं कि वर्तमान समय में त्यौहारों पे आधारित गीत बनाये ही नहीं जा रहे हैं।

आईये कुछ चुनिंदा गीतों को देखते हैं जिनका फिल्मांकन Holi त्यौहार के मद्दे नजर किया गया था :

1 – होली आई रे कन्हाई रंग छलके सुनादे जरा बाँसुरी : Film Mother India , 1957 .
2 – अरे जा रे हट नटखट मत छेड़ मोहे पनघट : Film Navrang , 1959 .
3 – तन रंग लो जी आज मन रंग लो : Film Kohinoor, 1960 .
4 – आज ना छोड़ेंगे बस हम चोली : Film Kati Patang, 1970 .
5 – होली के दिन दिल मिल जाते हैं : Film Sholay 1975 .
6 – नीला पिला हरा गुलाबी कच्चा पक्का रंग : Film Aap Beati 1976 .
7 – खाइके पान बनारस वाला : Film Don 1978 .
8 – रंग बरसे भीगे चुनरवाली : Film Silsila 1981 .
9 – भागी रे भागी ब्रिजबाला : Film Rajput 1982 .
10 – अंग से अंग लगाना : Film Darr 1993 .

ऊपर लिखे गए दस होली के गीत अपने समय के सबसे प्रसिद्ध गीतों में शुमार हैं पर इनके अलावा बहुत सारे अन्य गीत हैं जिनको हमनें सुना होगा और आज भी गुनगुनाते हैं। आज भी कभी – कभी होली के गीत हमारी modern फ़िल्मों में आ जाते हैं पर ये कहना सही होगा कि अब इनकी संख्या में भारी गिरावट आयी है।

त्यौहारों पे आधारित फ़िल्मी गीतों की संख्या में गिरावट होनें का एक मुख्य कारण ये है कि भारतीय पृष्ठभूमि पे आधारित फिल्में कम बन रहीं हैं , ज्यादातर फिल्मों का चित्रण विदेशी location पे ही किया जा रहा है जहाँ खूबसूरत सड़कें, ऊँची ईमारतें और विदेशी प्राकृतिक सौंदर्यता दिखाई देती है। मैं इसके खिलाफ नहीं हूँ क्योंकि आज हमारी फिल्मों नें वो मक़ाम हासिल किया है जिसकी बदौलत हम विदेशी location को परदे पे उतारनें में कामयाब हुए हैं। Indian Film Industry आज बहुत आगे निकल गयी है देश के अलावा विदेश से भी कलाकार हमारे यहाँ आ रहे हैं जिससे Bollywood लोकप्रियता स्पष्ट दिखाई देती है।

इन सभी उपलब्धियों के अलावा मैं फिर भी ये बात कहना चाहूँगा कि विदेश के साथ साथ देश कि पृष्ठभूमि को भी उतनी ही जवज़्ज़ो मिलनी चाहिये ताकि वर्तमान पीढ़ी भारत के कल्चर को जानती एवं समझती रहे। बॉलीवुड के निर्देशक हिंदी फिल्म में भारतीय Festivals को जरूर दिखाते रहें क्योंकि बहुत ज्यादा modern फिल्मों से पारिवारिक cinema को पसंद करने वाला दर्शक दूर होते जा रहा है। अब अक्सर ये लोगों को कहते सुना जाता है कि आज की फिल्मों में क्या रखा है वो क्यों जायें picture देखने ; काफी हद तक उनकी बात सही भी है क्योंकि जब कोई व्यक्ति पूरे परिवार के साथ फिल्म देखता है तो वो यह चाहता है कि picture में कहीं कोई आपत्ति जनक दृश्य या फिर कोई अश्लील गीत ना हो।

Bollywood की फिल्में हर तरह के दर्शक वर्ग के लिए बनती रहनी चाहियें जिससे सभी प्रकार के cinema प्रेमियों का मनोरंजन हो सके। पुराने फ़िल्मी गीतों को तो बार-बार दोहराया नहीं जा सकता पर उनके आदर्शों को साथ लेकर चला जा सकता है , अर्थात मैं ये चाहूँगा की Hindi Bollywood Movies में Festivals पे आधारित Lyrics , Music तैयार करते रहे जाएं ताकि भारतीय संस्कृति हर युग के साथ आगे बढ़ती रहे।