क्या है मिर्गी की बीमारी – मिर्गी डिसऑर्डर की पहचान, कारण, लक्षण और प्रमुख जाँच

मिर्गी जिसे डॉक्टरी भाषा में Epilepsy कहते हैं मुख्यतः यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है “Epilepsy is a group of neurological disorders”. हम सभी जानते हैं की मनुष्य की बॉडी का पूरा कंट्रोल दिमाग से होता है जिसमें कई प्रकार की नसें होती हैं। मिर्गी की बीमारी को मेन्टल डिसऑर्डर के समान लिया जाता है जिसका कोई पूर्ण समाधान अब तक मौजूद नहीं है।

क्या है मिर्गी की बीमारी



क्या है मिर्गी की बीमारी What is Epilepsy Disease Disorder?

इस बीमारी अथवा डिसऑर्डर में मरीज के दिमाग में मौजूद सभी नसें एक साथ एक्टिव हो जातीं हैं। इसको हम दो बिजली के तारों के मिलन के उपरांत होने वाले शार्ट सर्किट के समान समझ सकते हैं। मिर्गी की समस्या से जूझने वाले व्यक्ति को मानसिक झटके महसूस होते रहते हैं। इन मानसिक झटकों से मरीज ज़मीन पर अचानक गिर जाता है, उसके दाँत आपस में जकड़ जाते हैं और वह बेहोशी की अवस्था में चला जाता है। मिर्गी की यह खतरनाक समस्या छोटे बच्चे से लेकर युवा और बुजुर्ग तक को हो सकती हैं क्योंकि इसके होने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं है। WHO (World Health Organization) के कथन के अनुसार पूरी दुनियां में करीब 5 करोड़ लोग मिर्गी की बीमारी के शिकार हैं।

क्या हैं मिर्गी के लक्षण Symptoms of Epilepsy:

मिर्गी होने की पहचान कैसे करें ? यह आवश्यक है की हम सभी मिर्गी को पहचाने ताकि अगर किसी में यह लक्षण दिखाई दें तो उसे उचित समय पर डॉक्टरी परामर्श मिल सके। मिर्गी की पहचान न होने की वजह से अमूमन तौर पर हम इसे सामान्य समस्या जान बैठते हैं जिसकी वजह से यह समस्या बाद में उक्त व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

1 – आँखों के सामने अँधेरा छा जाना
2 – शरीर का अकड़ जाना
3 – दाँत और जबड़े का जकड़ जाना
4 – मुँह से झाग निकलना
5 – कभी भी अचानक ज़मीन पर गिर जाना
6 – बार बार बेहोश हो जाना
7 – आँखों की पुतली का ऊपर चढ़ जाना
8 – हाथ पैर को झटकना
9 – होंट या जीभ को काट लेना

ऊपर दर्शाये गए नौ बिंदु किसी व्यक्ति बच्चे या बुजुर्ग में मिर्गी होने के संकेत देते हैं। अगर ये संकेत हमारे किसी जानने वालों में दिखाई दें तो उसे सामान्य ना समझकर फ़ौरन डॉक्टरी सलाह के लिए भेजें।

मिर्गी के लक्षणों के साथ मिर्गी होने के कारणों को भी जानना जरूरी है। तो चलिए मिर्गी होने के कारणों की भी पड़ताल करते हैं:

1 – मिर्गी बीमारी की समस्या अनुवांशिक रूप से भी हो सकती है , अतः यदि मिर्गी से पीड़ित किसी महिला या पुरुष से उत्पन्न होने वाली संतान को भी मिर्गी होने की संभावना रहती है।
2 – मिर्गी की बीमारी संक्रमण से भी हो सकती है।
3 – सिर पर लगी गंभीर चोट भी मिर्गी को जन्म दे सकती है।
4 – ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर होने से भी मिर्गी हो सकती है।
5 – माँ के गर्भ में पल रहे बच्चे को यदि किसी कारणवश चोट लग जाय तो भी मिर्गी हो सकती है।
6 – ऑटिस्म से ग्रसित बच्चे को भी मिर्गी होने की संभावना रहती है।
7 – बुजुर्गों में बढ़ती उम्र भी आगे चलकर मिर्गी का कारण बन सकती है।
8 – दिमाग में किसी तरह का वायरस का होना भी मिर्गी का कारण बन सकता है।
9 – अगर किसी को ब्रेन टीबी की बीमारी है तो उसे भी मिर्गी आ सकती है।

ऊपर लिखे नौ कारण मिर्गी के हो सकते हैं जिनका पता सही समय पर लग जाए तो मरीज एहतियाद बरत सकता है।

मरीज को मिर्गी का दौरा कब कब पड़ता है ?

  • बेहद तनाव की स्थिति में रहना भविष्य में मिर्गी होने का निमंत्रण देता है। अतः तनाव न लें, ईश्वर पर भरोसा रख अच्छी और बुरी दोनों ही परिस्थितियों को स्वीकारें और कुशलता पूर्वक उसका समाधान खोजें यही जीवन है।
  • अगर आप पहले से मिर्गी की समस्या से जूझ रहे हैं तो डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाओं का समय पर सेवन जारी रखें। अगर समय से दवा न ली तो मरीज को मिर्गी का दौरा पड़ सकता है।
  • प्रतिदिन कम से कम आठ घंटे की नींद जरूर लें। बेवजह देर रात तक जागने की आदत न बनायें, क्योंकि नींद का कम होना मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है जिससे उसका संतुलन बिगड़ता है।
  • जिन लोगों को शराब की लत होती है उनमें भी मिर्गी का दौरा पड़ सकता है; अतः शराब के लती ना बनें।
  • ब्लड शुगर का बार बार गिर जाना भी मिर्गी के दौरे को बढ़ावा देता है।
  • ब्लड प्रेशर का कम हो जाना भी मरीज की मुसीबत बढ़ा सकता है।
  • मिर्गी के मरीज को बेहद तेज़ रौशनी से भी बचना चाहिए। रौशनी का अधिक तेज़ होना और यदि उसमें कोई मिर्गी का मरीज अचानक आ जाता है तो उसे मिर्गी का दौरा पड़ सकता है।

मिर्गी के जरूरी जाँच क्या हैं ?

याद रहे पहली बार दौरा पड़ने के बाद ही मरीज को डॉक्टरी जांच के लिए ले जाएं, इसे सामान्य ना समझें।

ब्लड टेस्ट – जिसमें मरीज के कैल्शियम और सोडियम की जाँच होती है।
एम् आर आई – इसमें दिमाग की जाँच होती है, यह पता लगाया जाता है की दिमाग में कोई गंभीर चोट अथवा कोई कीड़ा तो नहीं है।
इ सी जी – यह आनुवंशिक मिर्गी का पता लगाने में सहायक होती है।

लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा