टॉयलेट में मोबाईल का इस्तेमाल जानलेवा भी हो सकता है
एक मिनट में 60 सेकंड होते हैं, इतनी देर मे एक स्मार्टफ़ोन चलाने वाला इंसान फेसबुक पर Like और Nice Pic Dear लिखता देता है और 2 चार लोगों को WhatsApp रिप्लाई भी कर देता है। रात को जब तक फ़ोन दो बार मुहं पर न गिरे तब तक वो अपनी पलकों की भी नहीं सुनताम, बस लग रहता है फ़ोन में। इतना नहीं फिल्म अभी बाकी है मेरे दोस्त, इक्का-दुक्का नही बहुत से लोग हैं जो टॉयलेट की सीट पर बैठकर भी अपने स्मार्ट फ़ोन में लगे रहते हैं। हद तो तब हो गयी जब मैं पिता जी के साथ एक सज्जन के यहाँ बिजली की फीटिंग के लिए गया था और मालिक नें आकर कहा की उन्हें हर टॉयलेट की सीट के पास पॉवर सॉकेट चाहिए फ़ोन चार्ज करने के लिए। ऐसे लोग सोचते हैं कि फ़ोन तो हाथ मे है ये गंदा कैसे होगा ? इनकी तरह मुझे भी लगता था कई बार, फ़ोन मैं भी लेकर गया हूँ टॉयलेट सीट पर; लेकिन जब मैंने पढ़ा इसके बारे मे तो मन किया फ़ोन तोड़ दूँ या अपनी आदत छोड़ दूँ। अब भाई फ़ोन हैं भला तोडूं क्यों; मैंने खुद ये प्रण लिया की –
खाते और शौच करते वक़्त फ़ोन से बिलकुल दूर रहना है-
आप भी अगर करते हो तो मान जाओ छोड़ दो ये गंदी आदतें। अच्छा जी, नहीं मानोगे तो मत मानों लेकिन पढ़ तो लो कि क्या नुक्सान है इन आदतों का। तो होता कुछ ऐसा है कि आपका फ़ोन 4 हज़ार वाला हो या 40 हज़ार वाला, उसका बैक पैनल यानी पीछे का कवर गन्दा तो हो ही जाता है। ऊपर से आप उसे टॉयलेट में लेकर बैठे जाते हैं लेकिन आपको पता है जब आप हल्के हो रहे होते हैं तो मल से कई विषाणु निकलते हैं जो आपके हाथ और फ़ोन दोनों पर चिपक जाते हैं। हाथ तो आप फिर भी साबुन से धो लेते हैं पर कभी सोचा फ़ोन के बारे में ? उसे कैसे धोयेंगे आप ?
अब सोचो खाना खा रहे हो, फ़ोन भी चला रहे हो हाथ तो साफ़ है लेकिन एक हाथ में क्या है टॉयलेट वाला फ़ोन ! कैसा लगा ये सुन के ? घिन्न आ रही है ना !!
खतरनाक बैक्टीरिया निकलते हैं-
अमेरिका में हुए रिसर्च के अनुसार- साल्मोनेला, शिगेला, इकोल आदि नाम के बहुत से बैक्टीरिया मल में पाए जाते हैं। ये हमें आँखों से दिखते नहीं हैं लेकिन यहाँ वहाँ चिपक जाते हैं। जब हम अपना मोबाइल फ़ोन टॉयलेट में साथ लेकर जाते हैं तो वे सभी कीटाणू हमारे मोबाइल फ़ोन से चिपक जाते हैं। ये इसलिए चिपकते हैं क्योकि फोन कोई भी हो इस्तेमाल करते वक़्त थोडा सा गर्म जरुर होता है। ये जो गर्मी विज्ञान की भाषा में जिसे ऊष्मा कहते हैं इन बैक्टीरियों के लिए स्वर्ग मानी जाती है। बस इसी वजह से ये चिपक जाते हैं और आपके खाने के साथ सीधा पेट में प्रवेश कर जाते हैं; क्योंकि साबुन से हाथ धोया जा सकता है मोबाइल फ़ोन नहीं। तो क्यों न आज ही हम यह आदत छोड़ दें; क्योंकि वैसे ही बाहर मौजूद हवा इतनी गन्दी हो गयी है की सांस लेना हर किसी के लिए आसन नहीं रह गया। ऊपर से हमारी गन्दी आदतें तो सोने पर सुहागा जैसा काम कर जातीं हैं। लिवर और पेट की समस्या, दस्त और हैज़ा हम सभी जानते हैं की कितना खतरनाक है, ये हमारी जान भी ले सकती हैं।
तो आज ही हम सभी ये संकल्प लें की टॉयलेट जाने के दौरान मोबाइल फ़ोन अपने साथ नहीं लेकर जायेंगे और यदि कोई लेकर भी जाना चाहता है तो उसको इससे होने वाले नुक़सान को बतलायेंगें। एक तरफ देश की सरकार स्वच्छ भारत अभियान का नारा दे जनता को साफ़ सफाई के लिए जागरूक कर रही है और दूजी ओर हम हैं कि अपने घर में ही साफ़ सफाई से मीलों दूर हैं।
लेखक:
विभू राय