हिंदी कविता – अगली तनख्वाह
On February 23, 2021 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
कविता शीर्षक – अगली तनख्वाह
शहर के पॉश इलाके के एक मकान का किराया चुका कर,
बेटे की बड़ी इंजीनियरिंग फीस वक्त पर भर कर,
ड्राइंग रूम के नए पर्दे दिवाली पर बदलकर,
हर जन्मदिन में नया तोहफा दिला कर,
बड़ी बेटी का गुलाबी सूट,
अम्मा के झुमके,
छोटू के खिलौने,
बिजली का बिल,
दादा का चश्मा,
दादी की चप्पल,
घर का राशन,
मज़लूम का दान।
डी. टी.एच का रिचार्ज,
गाड़ी का टूटा हुआ काँच,
सुधरवाया हुआ किचन का दराज़,
औऱ सेविंग्स के शोर के बीच
पापा की दो साल पुरानी,
आराम कुर्सी की ख्वाईश,
आहिस्ते से कहती है,
“अगली तनख्वाह पर”
लेखिका:
वैदेही शर्मा
Comments
बहुत सुन्दर कविता। आम आदमी जिंदगी की हकीकत को बयां करती है।
बहुत बहुत बधाई श्री मान जी।