“बेरोजगार प्रेमी” द्वारा लिखित एक हिंदी कविता
प्रेम होना मुश्किल नहीं है लेकिन प्रेम को निभाना बहुत ही मुश्किल काम है। जब लड़की छोड़ के जाती है तब जुदाई दर्द में लडकों के दिल से शायरी, कविता फूट फूट कर निकलती है। वो दर्द गाता है, लोग कहते हैं क्या बात – क्या बात, तो एक कविता जो एक बेरोजगार प्रेमी का दर्द बयाँ करती है पढ़िये ध्यान से।
धरती से गगन तक मेरे हाथ जाएँ तो,
मैं तारे तोड़ के सजा दूँ उसकी माँग, अगर वो लौट आये तो..!क्योंकि जिस दिन से गयी वो, आँखे मेरी नम हैं;
खुश ऊपर से हूँ लेकिन भीतर कहीं गम है..!मिलने भी आ नहीं सकती मजबूर है वो;
तो यहाँ कौन सी मजबूरियां कम हैं..!और बेइंतहा मोहब्बत करते हम उनसे;
बेतहाशा चाहत रखते वो हमसे;
तो कैसे कह दें की बेवफा हमारा सनम है..!लेकिन ये सच है कि वो बड़ा बेरहम है;
हर पल हर लम्हा उसका एक ही कथन है..!
की डोली लेकर आओ या यूँहीं कहीं ले जाओ;
रहना है मुश्किल मेरा, मुझे अब अपना बनाओ..!हम डोली लेकर जाएँ तो कैसे;
उन्हें अपना बनाएं तो कैसे;
नौकरी लगने में अभी न जाने कितना विलंब है..!दोस्तों अजब है प्रेम गाथा अपनी सब राज़ी हैं;
मगर ये बेरोज़गारी ही विलन है..!प्राइवेट नौकरी की है आशा हमको;
क्योंकि सरकार में तो नौकरी नहीं, भत्ते का चलन है..!!