हिंदी कविता – बेसब्र
On February 23, 2021 In हिंदी कविताएँ Hindi Kavita
कविता शीर्षक – बेसब्र
मैं बेहद बेसब्र हूँ
मेरी सब्र का इन्तेहाँ ना लीजिये,
अपने ही चीज़े भूल जाऊँ
इतना भी ना याद कीजिये,
रौनकें उड़ाने का शौक है,
सिगरेट मेरी तरफ ना कीजिये,
ज़िंदगी ख़र्च होने को है,
ज़िंदगी का हिसाब ना कीजिये,
बच्चे हर मुल्क में बच्चे हैं,
इन्हें मुल्क की कसमें ना दीजिये,
मुझमें मेरी ही मिसाल है,
मुझे औरों की मिसालें ना दीजिये,
अमीरी बड़ी लापरवाह है,
इसका इंतज़ार ना कीजिये,
इंसाँ है तो जहाँ है,
जहाँ को इंसाँ ना कीजिये,
मेरे रुतबे का एक लहज़ा है,
मेरे लहज़े का गुमाँ ना कीजिये!
लेखिका:
वैदेही शर्मा