मुद्दतों बाद तुम फिर याद आयी – हिंदी गीत

क्या पहला प्यार भुलाया जा सकता है ? शायद नहीं। इश्क़ एक ऐसा मर्ज़ है जिसमें जिया भी नहीं जा सकता और मरा भी नहीं जा सकता। सच तो यह भी है कि कामयाब मोहब्बत की कोई कहानी नहीं बनती; कहानी तो बनती है नाकामयाब मोहब्बत की। इतिहास में दर्ज़ ऐसी तमाम इश्क़े दास्ताँ हैं जो कामयाब न हो सकीं इसीलिए यह कहा गया है की – प्यार पाने का नाम नहीं खोने का नाम है।

 

मुद्दतों बाद तुम फिर याद आयी
दिल की कलियों नें ली मुस्काई
बज उठे रूठे सितार
दूर हुई ग़म की तन्हाई
मुद्दतों बाद तुम फिर याद आयी !!

मैं था तुम्हारा भँवरा आशिक
गुन-गुन कर मंडराता था
चुराकर तुम्हारे रूप रस को
गीत नया गाता था
साज था मैं तुम थी शहनाई
मुद्दतों बाद तुम फिर याद आयी !!

आँखें मेरी तेरे सपने
गुजरे यूँ दिन रात वो अपने
भोर मेरी और साँझ मेरी तुम
हरपल थी संग साथ मेरे तुम
जैसे बनकर मेरी परछांई
मुद्दतों बाद तुम फिर याद आयी !!

किसे सुनाऊं दिल की बातें
कोई नहीं अब मेरे पास
सोचता हूँ रह-रह मैं
जो तुम आ जाती एक बार
क्यूँ हो गई अपनी प्रीत पराई
मुद्दतों बाद तुम फिर याद आयी !!

लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा