नव वर्ष हिंदी कविता – न हम बदले न जग बदला

नव वर्ष के आगमन को लेकर हम सभी कितने उत्साहित रहते हैं। हमारे मन में अनेक प्रकार के ख़याल आते हैं, अनेक प्रकार की योजनाओं का सृजन भी हम अपने मन में करते हैं परन्तु हर बार की तरह हमारी योजनाएं अधूरी ही रह जातीं हैं और फिर अगला वर्ष दस्तक दे बैठता है। यही जीवन है जिसमें समय की गति हमारी गति से कहीं ज्यादा तेज़ है। वर्ष 2018 दस्तक दे चुका है पर सिर्फ योजनाएं न बनाएं अपितु अपने आस पास ऐसा वातावरण भी तैयार करें की किसी को कोई कष्ट न हो और न किसी से कोई ईर्ष्या व् द्वेष बने। जब मानव अपने समाज में हर एक व्यक्ति के हितों का खयाल रखेगा तभी जाकर सही मायने में नव-वर्ष का आना कामयाब होगा। निचे लिखी कुछ पंक्तियाँ इन्हीं बिंदुओं को समाहित किये हुए हैं।

न हम बदले, न जग बदला
बदलते रहे महीने और साल
जीवन हो खुशहाल सभी का
कभी तो आये वो नया साल ।।

मंगलकामना – शुभसंदेश
एक दूजे को देते उपदेश
यह न करना, वह न करना
आपस में मिलजुलकर रहना
क्षणभर की हैं बातें सारी
फिर वही सबसे मारा – मारी ।।

बोल प्रेम के , गीत प्रेम के
वातावरण में हर रंग प्रेम के
बस कुछ दिनों का है सिलसिला सारा
फिर न तू हमारा न मैं तुम्हारा ।।

मानव की है नियति काली
प्रेम दिखाकर देते गाली
एकदिन कहेंगे हैप्पी न्यू ईयर
फिर न लेंगे, कोई किसी की खबर ।।

बीतचुके हैं, अनेकों नव-वर्ष
पर पास कहाँ है किसी के हर्ष
कब आयेगा सच में वो नया साल
जिसमें सभी का जीवन होगा खुशहाल ।।

बंद करो ये रगड़ा – झगड़ा
बंद करो ये सभी बवाल
नव सत्र का आगमन कर
इसे बनायें एक बेहतर साल ।।

लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा