उनसे आखरी मुलाक़ात याद है मुझे

कुछ पल ज़िन्दगी के ऐसे होते हैं जो हमें हमेशा याद आते हैं; उन्हीं पलों में से एक है मोहब्बत । यह जीवन का वह पड़ाव है जहाँ से हर एक जवां दिल को गुजरना पड़ता है अमूमन तौर पर सभी का प्यार मुकम्मल नहीं होता । बेशक यह मुकम्मल न सही पर फिर भी हम इसके करीब जाते ही हैं । जीवन के तमाम पड़ावों में से मोहब्बत भी एक पड़ाव है । इसी पर आधारित नीचे कुछ पंक्तियाँ शेयर कर रहा हूँ उनके लिए जो यहाँ से गुजरे और उन पलों को अब तक याद करते हैं।

 

उनसे आखरी मुलाक़ात याद है मुझे
वो अधूरे ज़ज़्बात याद है मुझे !

थे वो मौसम हसींन जब वो मेरे करीब थे;
मेरे दिल पे था सिर्फ उन्हीं का राज बस वो ही अज़ीज़ थे;
नज़रों की गुफ़तगू ,
इशारों का कथन,
वो खिलखिलाती हँसी याद है मुझे !!

छुपकर तन्हांईयों में उनसे दिल की बातें किये;
बहुत कसमें खाईं बेशुमार वादे किये;
ले हांथों में हांथ,
गुजरे कई दिन रात,
वो रूठना फिर मानना याद है मुझे !

न हो सकी मुक़म्मल दास्तां उल्फत की हमारी;
रह गई ख्वाहिशें अधूरी उम्र भर सारी;
आँखों से बहते आँसू,
सिसकती हुई सांसे,
दर्द-ए जुदाई याद है मुझे !

उनसे आखरी मुलाक़ात याद है मुझे
वो अधूरे ज़ज़्बात याद है मुझे !

लेखन:
रवि प्रकाश शर्मा