कैनोनिकल टैग क्या है – SEO, Canonical Tag in Hindi
On Page SEO की बात तब तक पूरी नहीं हो सकती जब तक Canonicalization SEO की बात न की जाय। तो चलिए एस.ई.ओ ऑन पेज के अध्याय में आज हम केवल कैनोनिकल टैग की बात करते हैं। आखिर क्यों कैनोनिकल टैग का इस्तेमाल किया जाता है ? और क्या इसका इस्तेमाल किया जाना जरूरी है ? सभी बातों को अच्छी तरह बताने का प्रयास करूँगा।
कब शुरू किया गया कैनोनिकल टैग और इसका उद्देश्य क्या था ?
सन 2009 के फरवरी माह में गूगल, बिंग और याहू के द्वारा canonical link element की शुरुआत की गयी। जिसका उद्देश्य वेबसाइट के Most Preferred Page को सर्च इंजन को बतलाना था।
क्या होता है कैनोनिकल टैग (what is canonical tag in Hindi):
कैनोनिकल टैग कुछ विशेष नहीं अपितु एक साधारण HTML Code होता है जिसे हमें अपनी वेबसाइट के हर एक पेज पर लगाना होता है। आपको बताता चलूँ कि Canonical Tag का इस्तेमाल Head Tag के अंदर ही किया जाता है।
कैनोनिकल टैग एलिमेंट:
आप देख सकते हैं की यह कितना आसान है। Link rel में canonical लिखें फिर Href में यूआरएल।
क्यों इस्तेमाल करते हैं कैनोनिकल टैग ?
जैसा मैंने ऊपर बताया है कि कैनोनिकल टैग का इस्तेमाल हम इसलिए करते हैं ताकि हम सर्च इंजन बॉट को यह बतला सकें की कैनोनिकल टैग के अंदर दिया गया यूआरएल ही हमारी वेबसाइट का सबसे मोस्ट प्रिफर्ड यूआरएल है। यदि मैं इसे सामान्य भाषा में कहूं तो कैनोनिकल टैग के अंदर हम अपनी वेबसाइट अथवा ब्लॉग का वही यूआरएल देते हैं जिसे हम सर्च इंजन में इंडेक्स करना चाहते हों।
चलिए मैं आपको एक उदहारण से समझाता हूँ:
मेरी वेबसाइट का यूआरएल कुछ इस प्रकार है – https://www.pakheru.com/
लेकिन मेरी वेबसाइट तक आप नीचे लिखे निम्न यूआरएल को टाइप करके भी पहुँच सकते हैं –
1) pakheru.com
2) http://pakheru.com/
3) https://www.pakheru.com/
4) www.pakheru.com/
5) pakheru.com/index.php
जैसा की आप ऊपर देख रहे हैं, सभी पाँचों यूआरएल को वेब ब्राउज़र में टाइप करके आप मेरी वेबसाइट पखेरू के होम पेज पर आ सकते हैं। हम इंसानों के लिए तो कोई समस्या नहीं है किन्तु सर्च इंजन को यह समझना मुश्किल हो जाता है की आपका प्रमुख यूआरएल कौन सा है ? वो यह समझ नहीं पाते की वो कौन से यूआरएल को सर्च इंजन में इंडेक्स करें क्योंकि पखेरू के होम पेज तक पहुँचने के लिए अलग अलग तरह के यूआरएल बन रहे हैं।
ऐसे में सर्च इंजन ये चाहते हैं की आप ही उन्हें बता दें की आपका Most Preferred, Most Favorite, Most Selected या सबसे पसंदीदा URL कौन सा होगा। बस इसी वजह से हमें Canonical Tag को इस्तेमाल करना होता है, ताकि सर्च इंजन बॉट को यह बताया जा सके की हमारी वेबसाइट का पसंदीदा यूआरएल कौन सा है जिसे हम इंडेक्स कराना चाहते हैं।
*नोट: ध्यान देने योग्य बात
एक बात आप यह भी जान लें की कॅनॉनिकाल टैग देने के बावजूद यह हो सकता है की सर्च इंजन हमारे द्वारा बताये गए मोस्ट प्रिफर्ड यूआरएल को इंडेक्स करने की बजाय कोई अन्य वर्जन का यूआरएल इंडेक्स कर ले जिसे मैंने ऊपर 5 बिंदुओं में दिखाया है। अतः कैनोनिकल टैग देने के साथ साथ यूनिक कॉन्टेंट, यूनिक टाइटल एवं यूनिक डिस्क्रिप्शन भी रखना जरूरी है।
आप यह भी ध्यान रखें की Off Page SEO करते समय या वेबसाइट की Internal Linking करते समय हमेशा अपने कैनोनिकल यूआरएल को ही हाइपरलिंक करें। ऐसा न हो कि आपने कैनोनिकल कुछ और लिया है और हाइपरलिंकिंग आप किसी दूसरे यूआरएल वर्जन का कर रहे हैं। ऐसा करने से न सिर्फ आपका लिंक जूस बंटेगा बल्कि यह भी हो सकता है की आपके द्वारा चुने गए कैनोनिकल को सर्च इंजन ओवरराइड करके कोई दूसरा वर्जन सर्च इंडेक्स में दिखा दे।
फायदा क्या है कैनोनिकल टैग लगाने का ?
कई बार ऐसा हो जाता है की हमारी वेबसाइट पर एक ही कॉन्टेंट वाले 2, या 2 से अधिक पेज हो जाते हैं और वे सभी पेज सर्च इंजन में अपना स्थान तलाशने लगते हैं। ऐसे में सर्च इंजन के लिए यह मुश्किल हो जाता है की वो कौन से पेज को अपने सर्च रिजल्ट में दिखाए !
जैसा मैंने आपको ऊपर एक ही पेज के 5, 6 अलग अलग वर्जन यूआरएल दिखाए हैं। बेशक यूआरएल तो 1 ही है मगर उसके अलग-अलग वर्जन एक ही कॉन्टेंट पर लेकर जा रहे हैं। बस इसी समस्या के समाधान हेतु हम Canonical URL को अपनी वेबसाइट के सभी पेज पर डाल देते हैं; जिससे सर्च इंजन को यह हिंट मिल जाता है की हमारा पसंदीदा यूआरएल वही है जो हमने कैनोनिकल टैग में दिया है।
एक विशेष प्रश्न जिसमें बड़े बड़े SEO भी कंफ्यूज हो जाते हैं –
क्या कैनोनिकल टैग और 301 रीडायरेक्ट एक जैसा ही व्यवहार करते हैं ? इसका उत्तर है ‘हां’ लेकिन कुछ हद तक पूरी तरह तो बिलकुल नहीं। ये सवाल काफी ट्रिकी होता है अधिकतर एस.सी.ओ इंटरव्यू में पूछा जाता है। तो चलिए थोड़ा सा इसको समझ लेते हैं।
- 301 परमानेंट रीडायरेक्ट का इस्तेमाल अपने वेब पेज की लिंक इक्विटी (पेज रैंक, पेज अथॉरिटी, लिंक जूस, विजिटर) को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है।
- Canonical Tag लिंक इक्विटी को पूरी तरह सुरक्षित नहीं रखता क्योंकि ये साइट विजिटर या फिर पेज विजिटर के सन्दर्भ में इस्तेमाल ना करके वेब क्रॉलर के सन्दर्भ में करते हैं।
- 301 एक डायरेक्टिव कमांड है जो आपको एक पेज से दूसरे पेज लेकर जाता है।
- कैनोनिकल केवल एक हिंट है जो वेब क्रॉलर को यह बताता है की यह हमारी वेबसाइट का Most Preferred यूआरएल है।
कैनोनिकल टैग के संबंध में कुछ जरूरी बिंदु:
- कैनोनिकल का डुप्लीकेट पेज से कोई लेना देना नहीं है। यह तो वेबसाइट का सबसे पसंदीदा यूआरएल कौन सा है बस यही बतलाता है।
- कैनोनिकल टैग लगाकर हम अपने पेज की लिंक इक्विटी या लिंक जूस को किसी दूसरे पेज पर शेयर होने से बचा सकते हैं।
- कैनोनिकल टैग देकर हम ये सुनिश्चित करते हैं की सर्च इंजन में वही यूआरएल इंडेक्स होगा जिसे हमने कैनोनिकल चुना है, किन्तु सर्च इंजन कई मौकों पर हमारे द्वारा दिए कैनोनिकल टैग को न मानकर किसी दूसरे यूआरएल को भी इंडेक्स कर सकते हैं।
लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा