हिंदी कहानी “18 साल एक दिन” भाग-1
पुरे 10 साल बाद नेहा अपने पिता के घर वापस आई है अपने पति अमित और अपनी तीन साल की बच्ची के साथ। नेहा के पिता उसे घर मे देख के खुश है लेकिन बस ऊपर से क्योंकि उनकी दो बेटियों मे नेहा सबसे बड़ी थी और पढ़ने लिखने भी हमेशा अव्वल रहती थी। पी.एस गुजराल (नेहा के पिता) को लगता था कि नेहा उनका व्यवसाय आगे ले जायेगी, पंजाब से कनाडा तक पी.एस कंपनी का नाम होगा। नेहा का भी यही सपना था की वो सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके अपने पापा की कंपनी जो पंजाब मे 5 से 10 मंजिल की इमारते बनाने तक सीमित है वो उसे इतना आगे ले जायेगी की वो बड़े-बड़े पुल एवं बहुमंजिला इमारते बनाये और देश ही नहीं विदेशो मे भी कंपनी का नाम हो।
नेहा और गुजराल साहब के ये सपने पुरे हो जाते जो नेहा को अमित ना मिलता। अमित और नेहा एक ही स्कूल मे पढ़ते थे , नेहा जहाँ किताबो से बंधी हुयी थी वहीं अमित बाहर की दुनिया को भी समझता था। उसके और नेहा के सपने मिलते थे दोनो कुछ बड़ा करना चाहते थे। नेहा के पास पिता का काम था वहीं अमित पाठक के पिता प्राइवेट कंपनी मे नौकरी करते थे। अमित के घर कोई कमी नहीं थी लेकिन गुजराल साहब से फिर भी वो बहुत कम थे धन और दौलत में। लेकिन ये बात नेहा और अमित की दोस्ती के आड़े नहीं आती थी। अमित अक्सर नेहा से कहता था की तुमको पता है प्यार क्या है? तो नेहा कह देती थी कि प्यार होता था कभी अब नहीं है कहीं। अमित चुप होकर चला जाता था लेकिन एक दिन उसने नेहा से कह दिया कि देखो मुझे नहीं पता तुम क्या महसूस करती हो पर मुझे तुमसे प्यार है।
नेहा तपाक से बोली (सवाल पूछने के लहजे में), कितने दिन कितने महीनो के लिए हुआ है प्यार मुझसे? अमित ने कहा नेहा यार मै अलग हूँ। नेहा ने सोचा नहीं था अमित ऐसा बोलेगा लेकिन जिस दिन उसने कहा ठीक उसके 7 दिन बाद नेहा ने भी हाँ कर दी। मुलाकात होने लगी पहले से ज्यादा और अब सपने तो थे लेकिन साथ रहने के; नेहा और अमित को 1 साल हो गया था इश्क फरमाते लेकिन वो कभी लड़ते नहीं थे क्योंकि अमित दिल से नहीं दिमाग से सोचता था। अगर दोनों मे कभी कहा सुनी हो भी जाए तो एक दो दिन बाद उसे फ़ोन करके ऐसे बात करता था जैसे कुछ हुआ ही ना हो। यही बात नेहा की सहेलियों को गलत लगती थी की वो बीती बातों पर बात ही नहीं करता तुझसे जिस पर नेहा कहती कि जरुरत क्या है बीती बातो को याद करने की। एक रात नेहा का फ़ोन बज रहा था गुजराल साहब ने सोचा फ़ोन उठा लूँ लेकिन अगले ही पल नेहा जाग गयी उसे पता था फ़ोन अमित का है। कुछ समझ नहीं आ रहा था उसे तभी गुजराल साहब ने कहा रात के 11 बजे किसका फ़ोन आ रहा है। दोस्त का होगा पापा आप सो जाओ मे देखती हूँ गुजराल साहब चले गये। कुछ दिन बाद नेहा की तबियत खराब हो गयी जिस वजह से वो स्कूल नहीं जा पा रही थी। उसी दौरान नेहा के फ़ोन पर एक सन्देश आया “लव यू बाबू खयाल रखना खुद का” गुजराल साहब को सन्देश पढ़ने के बाद एक सेकंड लगा ये सोचने मे कि उनकी प्यारी बिटिया जो अभी बस 17 साल की है उसे कोई प्यार करेगा तो बस इसलिए कि उसे गुजराल साहब की बनी बनाई कंपनी मिल जाए। नेहा को तो कुछ नहीं कहा उन्होंने लेकिन अमित के घर जब बात पहुचीं तो पाठक जी ने खूब धोया अपने बेटे को क्योंकि गुजराल साहब कह के गये थे की तुमने ही सिखाया होगा कि नेहा जैसी अमीर लड़की फंसा लो।
अमित जो नेहा को बोलता था कि तुम मेरी हो वो पिता जी के सामने चुपचाप खड़ा था। अगले दिन नेहा को न फ़ोन किया ना ही संदेश भेजा कोई, शाम को नेहा का ही फ़ोन आ गया ; अमित ने जैसे ही फ़ोन उठाया नेहा ने कहा पूछ तो लेते जिन्दा हूँ या मर गयी। अमित खामोश रहा और फ़ोन कट गया, अगले दिन जब दोनों स्कूल मे मिले तब उसने नेहा को पूरी कहानी एक सांस मे कह दी। नेहा ने कहा ठीक है कोई नहीं ; अमित ने कहा तुम पागल हो तुम्हें फर्क नहीं पड़ता क्या? इस बात से कि हम अलग हो जायेंगे। नेहा बोली हाँ पड़ता है .. अब बोलो क्या करोगे? शादी करनी है मुझसे अमित ने बड़े प्यार से कहा जैसे पाठक जी की मार पड़ी ही नहीं थी कभी।
नेहा बोली …..
आगे की कहानी भाग-2 में पढ़िए विभू राय और पखेरू के साथ।
About Author
विभू राय
मैं विभू राय, फ़िलहाल Diploma Mechanical Engineering का विद्यार्थी हूँ। लेखन केवल मेरा शौक नहीं बल्कि एक जुनून है जो मुझे मेरी मंज़िल तक ले जायेगा। हिन्दी कविता, शेरो - शायरी, हिन्दी गीतों के अलावा विभिन्न विषयों पर creative writing करना मेरी रूचि है। मुझे उम्मीद है मेरे द्वारा लिखे हुए लेख आपको जरूर पसंद आयेंगे। "Writing is not a work for me it's my Passion"