पैसा कैसे बचायें !
बचत कैसे करें ?
Paisa Kaise Bachaye मैं अपनी उम्र के पैंतीसवें पायदान पर हूँ अर्थात मैं 35 वर्ष का हो चुका हूँ। गुजरे 35 सालों में मैंने अपना बचपन गुजार दिया, किशोरावस्था गुजार दी, जवानी गुजार दी और अब अपनी प्रौढ़ावस्था की ओर अग्रसर हूँ। दोस्तों यही जीवन का क्रम है और हर किसी को इसी क्रम से गुजरना है। प्रौढ़ावस्था से वृद्धावस्था में प्रवेश करने से पूर्व आज हम चर्चा करेंगे “पैसों की बचत” पर।
दौर नया हो या पुराना, हर दौर में पैसे की अहम भूमिका रही है। बिना पैसों के इंसान मजबूर है, लाचार है, असहाय है, पीड़ित है और ग़रीब है। किशोरावस्था से जवानी फिर प्रौढ़ावस्था तक आकर भी हम पैसों की बचत नहीं कर पाते। फिर एक दिन ऐसा आता है जब हमें पैसों की अधिक अनिवार्यता महसूस होने लगती है किन्तु जब हम अपनी जेब और बैंक का अकाउंट खंगालते हैं तो उसमें से कुछ भी नहीं निकलता। फिर शुरुआत होती है पछतावे की….काश मैंने कुछ पैसे बचाये होते तो आज मेरे बुढ़ापे में काम आते, काश मैंने पैसे बचाये होते तो मेरे पास एक अच्छा मकान होता, मेरे पास बैंक बैलेंस होता । मित्रों ज़िन्दगी को कभी उस पड़ाव पर नहीं लेकर जाना चाहिए जहां हमारे मुँह से “काश” निकले। क्योंकि ये ‘काश’ नामक शब्द सिवाय निराशा के हमें और कुछ नहीं देता।
जीवन में “बचत” एक अनिवार्यतम विषय है अतः उसे कल परसों में न टालकर आज से ही आरंभ करें और खुद को व अपने परिवार को सुरक्षित करें। क्या आपको पैसों की बचत करना असंभव लगता है ? चलिए Paiso Ki Bachat को असंभव से संभव बनाते हैं।
What is Saving in Hindi बचत क्या है ?
वैसे तो मुझे यह बताने की जरूरत नहीं क्योंकि बचत अर्थात सेविंग एक सामान्य बात है जिसे हर कोई पढ़ा लिखा और अनपढ़ व्यक्ति भी जानता है। किन्तु फिर भी यदि मैं इसे परिभाषित करूँ तो ये इस प्रकार होगा –
” बचत, भविष्य में उपयोग के लिए वर्तमान आय के एक हिस्से को अलग करने की प्रक्रिया, या किसी निश्चित समय में इस तरह संचित संसाधनों का प्रवाह है। “
यदि आप किशोरावस्था में हैं तब –
किशोरावस्था हमारे स्कूल जाने की अवस्था को कहते हैं। इस उमर में हम अपरिपक़्व बच्चे होते हैं, इस अवस्था में हमें जीवन से सम्बंधित कोई ज्ञान नहीं होता तो भला पैसे की बचत कैसे करें ? इसकी समझ कहाँ होगी। कक्षा 5वीं से लेकर 8वीं और 9वीं तक की अवस्था हंसने खेलने भागने दौड़ने में निकल जाती है अतः इस अवस्था में हम बचत की बात ना ही करें तो अच्छा। किन्तु कुछ परिवारों में छोटे बच्चों को गुल्लक सेविंग करने की आदत दी जाती है जो की बचत की शुरुआत करने और उसके फायदे को समझाने का अच्छा विकल्प है।
जवानी की शुरूआती अवस्था में हैं तब –
कक्षा 10वीं से लेकर, 11वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन की अवस्था हमारी जवानी की शुरूआती अवस्था होती है। कक्षा दसवीं में आकर एक बालक या बालिका वयस्कों की तरह बर्ताव करने लगते हैं और उनमें काफी समझ भी पैदा हो जाती है। इस अवस्था में भले ही हम कमाते नहीं, किन्तु माता-पिता के द्वारा मिलने वाली पॉकेट मनी में से मात्र 10 प्रतिशत तो बचा ही सकते हैं। मैं जानता हूँ कि मेरा यह लेख स्कूल के बच्चे नहीं पढ़ रहे होंगे किन्तु फिर मैं स्कूल के दिनों का उल्लेख करना चाहता हूँ ताकि आप बचत की अहमियत को अच्छी तरह जान सकें।
अगर एक स्कूल का बच्चा महीने के 1000 रुपये पॉकेट मनी खर्च कर देता है तो उसका 10 परसेंट केवल 100 रूपया होता है। 10वीं, 11वीं और 12वीं में पढ़ने वाला बच्चा इतना भी नादान नहीं होता की वह अपने 1000 रुपये की पॉकेट मनी में से 10 परसेंट यानि 100 रुपये ना बचा सके। इसके लिए माता पिता को आगे आकर अपने बच्चे को बचत की एक आदत सिखानी पड़ेगी।
अगर बच्चा 10वीं, 11वीं और 12वीं तक केवल 100 रुपये महीने के बचाये तो वह 3 साल में कुल 3600 रुपये जमा कर लेगा। आप सोच रहे हैं कि भला इतने पैसे बचाकर क्या होगा ! जी मैंने उदहारण बहुत छोटा लिया है आज के ज़माने में कौन बच्चा महीने का केवल 1000 पॉकेट मनी प्राप्त करता होगा ? और यदि 1000 रुपये ही मान लें तो उसने कम से कम 3600 बचाये तो सही 3 सालों में। इसी बहाने आपके बच्चे को Money Save करने की आदत तो पड़ी।
पूर्ण जवानी की अवस्था में हैं तब –
12वीं पास होने के बाद ग्रेजुएशन में दाखिला लेकर हम अपनी जवानी की पूर्ण अवस्था में प्रवेश कर जाते हैं। इस अवस्था में हमारे कई शौक भी शुरू हो जाते हैं, यारों दोस्तों की मंडली बन जाती है और हमारी लाइफस्टाइल थोड़ी महंगी हो जाती है। भारत जैसे देश में ग्रेजुएशन में पढ़ने वाले बड़े जवान बच्चों का पालन पोषण माँ-बाप ही करते हैं, यानि बच्चे जवान होकर भी माता-पिता पर निर्भर होते हैं।
कोई बी.ए, कोई बी.कॉम, कोई बी.एस.सी तो कोई बी.टेक आदि जैसे ग्रेजुएशन कोर्स करना आरंभ कर देता है। जाहिर सी बात है की बड़े बच्चों की जरूरते भी बड़ी होती हैं। अब पॉकेट मनी 1000 न होकर 3000 हो जाती है। अतः 3000 रुपये का 10 प्रतिशत 300 रुपये हुआ। यदि आप पूरे 3 साल या 4 साल के ग्रेजुएशन के दौरान हर महीने 300 रुपये बचायें तो यह रकम 3 साल में 10800 होगी और 4 साल में 14400 होगी। आपने देखा कैसे अपनी पॉकेट मनी में से केवल 10 प्रतिशत बचाकर ग्रेजुएशन में पढ़ने वाला बच्चा 14400 की बचत कर लेता है।
शिक्षा पूरी हो चुकी है तब –
छोटे शहरों के बच्चे अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद बड़े महानगरों की ओर रुख कर जाते हैं। कुछ बच्चों का उद्देश्य बड़ी तालीम हासिल करना होता है तो कुछ बच्चों का उद्देश्य जल्द नौकरी प्राप्त करना होता है। आपका उद्देश्य जो भी हो, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के पूरा हो जाने के बाद भी 10 प्रतिशत बचत करना जारी रखें। घर से जितना भी पैसा आपको मिलता है कम या ज्यादा उसमें से सिर्फ आपको 10 परसेंट बचा कर चलना है।
नौकरी मिल जाती है तब –
कुछ बच्चे कॉलेज कैंपस के माध्यम से शिक्षा पूरी कर तत्काल नौकरी प्राप्त कर लेते हैं। कुछ बच्चे 1, 2 या 3 साल की स्ट्रगल के बाद नौकरी प्राप्त करते हैं। कोई बात नहीं आपकी सिचुएशन कैसी भी क्यों न हो बुरी या अच्छी, बस आप अपना 10 प्रतिशत पैसा बचाने का सिलसिला जारी रखें।
यदि बच्चा नौकरी प्राप्त कर लेता है और उसकी शुरूआती तनख्वा केवल 10,000 रुपये है तो उसमें से 10 प्रतिशत अर्थात 1000 रुपया हर महीने बचत करे। इस प्रकार 1000 रुपये 1 साल तक बचा कर आप 12,000 रुपये बचत कर लेंगे। फिर अगले वर्ष जब तनख्वा बढ़ जाए तो आप उसका भी 10 प्रतिशत बचाते रहें।
बड़ी सैलरी मिलने लगती है तब –
नौकरी करने के दौरान जब आप एक अच्छी तनख्वा पर पहुँच जाते हैं तब आप अपने बचत प्रतिशत को 10 परसेंट से बढ़ाकर कम से कम 20 परसेंट कर दें। यदि आप 3 से 4 साल में 40,000 तक की तनख्वा पर पहुँच जाते हैं तब आप उसका 20 प्रतिशत करीब 8000 रुपये बचाते चलें। अगर आप 8000 रुपये हर महीने की बचत करते हैं तो यह पूरे साल में 96,000 रुपये हो जाते हैं जो कि एक बड़ी बचत राशि है। इस प्रकार जैसे-जैसे आपकी सैलरी में साल दर साल इजाफ़ा होता है, वैसे-वैसे आप चाहें तो अपने बचत का प्रतिशत बढ़ा सकते हैं। यदि आप बचत प्रतिशत नहीं बढ़ाना चाहते तब कम से कम 20 प्रतिशत की बचत जारी रखें।
सरकारी नौकरी करने वाला व्यक्ति 60 वर्ष तक नौकरी करता है (बीच में आप VRS ले लें तो अलग बात है) और प्राइवेट नौकरी करने वाला व्यक्ति भी कम से कम 50 वर्ष की उम्र तक नौकरी कर ही ले जाता है। इसके अनुसार यदि आप 35 की उम्र में भी 40,000 की सैलरी तक पहुँच पाते हैं तो उसका 20 प्रतिशत बचाना जारी रखते हुए आगे की नौकरी करते जाएं। मैं अगर आपकी तनख्वा 40,000 ही मान लूँ अगले 15 सालों के लिए तो उसके अनुसार भी आपकी कुल बचत 1,440,000 होगी जो सच में एक बड़ी राशि है।
** ध्यान देने योग्य तथ्य:
आपने देखा मैंने केवल 35 से 50 वर्ष की कार्य अवधि को 20 प्रतिशत बचत के हिसाब से जोड़ा तो कुल राशि 1,440,000 हो गयी।
अगर 30 से 35 वर्ष के बीच मैं आपकी तनख्वा केवल 20,000 मानूं तो उसका केवल 10 प्रतिशत 5 साल के लिए 120,000 होगा।
अगर आप अपने प्रोफेशनल एजुकेशन के दौरान मिलने वाली पॉकेट मनी से केवल 10 प्रतिशत बचाते हैं तो वह भी 15 से 20,000 या उससे भी ज्यादा हो सकता है।
मैं आपको बता दूँ की ये बचत केवल एक सामान्य बचत है जिसे आपने अपने बैंक खाते में रखा है। अगर आप अपने इस बचत किये पैसे को Fixed Deposit या Investment का रूप दे दें तो यही पैसे लाखों और करोड़ों में तब्दील हो जायेंगे।
पैसे बचाने की शुरुआत कब करनी चाहिए ?
अमूमन तौर पर लोगों को ये कहते हुए सुना गया है की अभी तो मैं कमाता नहीं ! जब मैं पैसे कमाना शुरू करूँगा तब बचाऊंगा। किन्तु यह विचार गलत है; हमें छोटे-मोटे बचत की शुरुआत अपने कॉलेज टाइम और प्रोफेशनल एजुकेशन के दौरान ही शुरू कर देना चाहिए। घर से मिलने वाले पैसे और पॉकेट मनी का पूरा हिस्सा खर्च कर देना समझदारी नहीं है।
हां उम्र के लिहाज़ से यह थोड़ा मुश्किल जरूर लगता है पर ध्यान फ़रमाया जाय तो नादानी में ही हम बहुत बड़ी अमाउंट जेब खर्च में गवांते चले जाते हैं; जबकि होना ये चाहिए की उसमें से भी 5 या 10 प्रतिशत बचाया जाय। मेरे अनुसार आप जब ग्रेजुएशन में प्रवेश कर जाते हैं तब आप पैसों की बचत आरंभ कर दें। क्योंकि 12वीं के बाद कम से कम हर बच्चा 3 से 5 साल तक तो पढ़ाई करता ही है और इस अवस्था में बच्चों के पास प्रयाप्त पैसे होते हैं जिसका कुछ अंश वे बचत में लगा सकते हैं।
क्या है बचत करने का कारगर तरीका ?
अपने देश में मैंने देखा है की बच्चों के कोई सेविंग अकाउंट होते ही नहीं और जब होते हैं तब उनकी अवस्था 25 या उससे अधिक की हो जाती है। अतः सर्वप्रथम अपना किसी भी बैंक में 1 सेविंग अकाउंट ओपन करा लें। वैसे तो हर व्यक्ति के पास कम से कम 3 बैंक खाते होने ही चाहिए क्योंकि एक जगह सारा पैसा रखना ठीक नहीं होता।
बचत करने का सबसे सरल व सुरक्षित तरीका है Recurring Deposits (RD). भारत की लगभग हर सरकारी और प्राइवेट बैंक ‘रेकरिंग डिपाजिट अकाउंट’ की सुविधा देती है। सबसे पहले आप अपना एक सेविंग बैंक अकाउंट ओपन कर लें और उसके अंदर एक रेकरिंग डिपाजिट अकाउंट ओपन कर लें।
क) – छोटे पैसे मासिक तौर पर जमा करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है रेकरिंग डिपाजिट।
ख) – रेकरिंग डिपाजिट अकाउंट 6 महीने से 10 साल की अवधि तक के लिए ओपन किया जा सकता है।
ग) – रेकरिंग डिपाजिट अकाउंट पर लगभग फिक्स्ड डिपाजिट जितना ही ब्याज मिलता है।
घ) – अलग अलग बैंकों के अनुसार रेकरिंग डिपाजिट की ब्याज दर 5.00% से 7.85% तक है।
ङ) – रेकरिंग डिपाजिट में कितनी न्यूनतम धनराशि जमा करनी होगी यह अलग अलग बैंकों पर निर्भर है।
त) – रेकरिंग डिपाजिट अकाउंट में प्रति माह आप मात्र 10 रुपये भी जमा कर सकते हैं; हालांकि यह बैंक पर निर्भर है।
थ) – चूँकि रेकरिंग अकाउंट में सेविंग खाते से ज्यादा ब्याज मिलता है अतः आपके जमा किये पैसे तेज़ी से बढ़ते हैं।
द) – रेकरिंग डिपाजिट में जमा किये गए पैसों के आधार पर आप भविष्य में लोन भी ले सकते हैं।
छोटी बचत की शुरआत करने का पुख्ता तरीका यही है की आप अपने पैसे साधारण Saving Account में ना रखकर उसे Recurring Deposit में मासिक तौर पर जमा करते जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि साधारण सेविंग खाते से हम पैसा कभी भी निकाल लेते हैं और एक पल में जमा किये हुए सारे पैसे खर्च हो जाते हैं। अतः यह बेहद जरूरी है की हमारा पैसा ऐसी जगह रहे जहाँ से हम खुद उसे खर्च ना कर पाएं। कम से कम एक निश्चित अवधि के लिए पैसों का लगातार जमा होना भविष्य में अच्छी बचत को अंजाम देगा।
मेरा ये सुझाव है की अगर आप ग्रेजुएशन स्तर पर आकर पैसा बचत करने की सोच रहे हैं तब आप रेकरिंग अकाउंट जरूर ओपन करें और उसकी अधिकतम अवधि 10 वर्ष रखें। रेकरिंग अकाउंट ओपन करने से पूर्व आप वह बैंक चुनें जो Recurring Deposits (RD) पर अन्य बैंकों से ज्यादा ब्याज दे रही हो। इस प्रकार आप एक न्यूनतम धनराशि को लगातार हर महीने 10 साल तक जमा करके बड़ा पैसा बचा सकते हैं।
पैसे बचाने के लिए गुल्लक (piggy bank cash box, penny bank box) का सहारा ना लें:
पुराने ज़माने में हर एक घर में एक छोटा सा गुल्लक देखने को मिलता था जो मिट्टी या प्लास्टिक का होता था। अधिकांशतः माँ, छोटी बहन या दीदी उस गुल्लक में पैसे जमा करती थी। बेशक एक छोटे से गुल्लक में बड़े पैसे तो नहीं बच पाते थे किन्तु उसी बहाने पैसे बचाने की आदत पड़ जाती थी।
खैर अब ज़माना गुल्लक का नहीं रह गया और मेरा मानना है की गुल्लक में जमा किये पैसे व्यर्थ हो जाते हैं। कई बार तो बच्चे गुल्लक बीच में ही फोड़कर सारे जमा पैसे खर्च देते हैं तो कई बार कुछ पैसे जमा करके वैसे ही छोड़ देते हैं। अतः गुल्लक को पैसा जमा या बचत करने का पुख्ता साधन नहीं माना जा सकता। हां यह जरूरी है की हम बचत करें परन्तु उससे भी जरूरी है की हमारे बचत किये हुए पैसे किसी निश्चित ब्याज की दर से बढ़ते भी रहें। बचत किये हुए पैसे पर मिलने वाला ब्याज और ब्याज पर मिलने वाला ब्याज Compound interest कहलाता है जिसे हिंदी में चक्रवृद्धि ब्याज कहते हैं।
अतः Recurring Deposits (RD) में जमा आपके छोटे पैसे भी चक्रवृद्धि ब्याज के अनुसार तेज़ी से बढ़ने लगते हैं। इसलिए अपने पैसे घर में इधर-उधर जमा करके रखने की बजाय आप उसे ऐसी जगह रखें जहाँ पहले तो आप उसे खर्च न कर पाएं और वह पैसे तेज़ी से बढ़ें भी।
बचत की योजना आज और कल में ना टालें:
बूँद बूँद से घड़ा भरता है यह कहावत बेहद प्रैक्टिकल है इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। अतः बचत की योजना को टालने की बजाय उसपर तत्काल कार्य करें। इस महीने नहीं अगले महीने बचाऊंगा, अभी तो मेरी उम्र कम है क्या करूँगा बचा के, दो तीन साल बाद शुरू करेंगे, अरे पैसे है ही कहाँ बचाने के लिए…न जाने कितने बहाने मिल जाते हैं जब भी हमें कोई बचत का सुझाव देता है। मगर खर्च के लिए हम हर समय तैयार हैं, ऐसा क्यों ?? भाई अगर आप निरंतर खर्च कर पाने में सक्षम हैं तो आप निरंतर बचत करने में सक्षम क्यों नहीं हो सकते ! दिक्कत बस इतनी है की हम अपने मन को मना नहीं पाते। जिस दिन हमने अपने मन को मना लिया और बचत करने की ठान ली उस दिन से अगले 10 साल में आप धनवान बन जायेंगे। ” अतः कल करे सो आज कर ” वाली नीति पर कार्य करें।
पैसा न बचत कर पाने के पीछे मुख्य धारणा और कारण क्या हैं ?
- खर्च को राजी और बचत से इंकार
- आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपईया
- बचत तो बूढ़े लोगों का काम है, अभी तो मैं जवान हूँ
- यही तो उमर है पैसे खर्च करने की, बचायेंगे जब समय आयेगा
- अरे बचत तो कंजूस लोग करते हैं
- जेब खर्च पर संतुलन ना होना
- सिगरेट, शराब, बियर, पान, बीड़ी और तंबाकू में कीमती पैसा नष्ट करना
- महंगे शौक – कीमती मोबाइल फ़ोन, कीमती जूते, कीमती कपड़े, कीमती चश्मा
- यारी दोस्ती में – रेस्टुरेंट, पार्टी, आउटिंग, मूवी, क्लब और बार जाने की लत
- मोटरबाइक – इधर उधर बिना वजह घूमने में पेट्रोल में लगने वाला पैसा
- इश्क़ मोहब्बत – कच्ची उम्र में लड़कियों की दीवानगी और उनपर पैसे खर्च करना
- ट्रांसपोर्टेशन – प्राइवेट ओला, अबर, ऑटो, टैक्सी में यात्रा करने का दिखावा
ज़िन्दगी पर एक नज़र:
मैं ज्यादा बुजुर्गों की तरह बातें नहीं करूँगा क्योंकि ‘ज़िन्दगी ना मिलेगी दुबारा’ इसलिए उम्र के हिसाब से थोड़े शौक पूरे कर लेना भी आवश्यक है। हर कार्य एक खास अवस्था में ही अच्छा लगता है और उसका मजा भी उसी अवस्था में होता है। स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी की लाइफ जीवन में केवल एक बार ही मिलती है इसलिए इसे जी भर के जियें और आनंद लें। कल बनाने के चक्क्र में आज को नहीं भुलाया जा सकता !! क्या पता कल हो न हो !! लड़का हो या लड़की सभी को अपने स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी की लाइफ का पूरा आनंद लेना ही चाहिए।
अब थोड़ी ज्ञान की बातें कर लेते हैं। जीवन जी भर के जियो, पर साथ में अपने दायित्व का निर्वाह भी करते चलो। मनुष्य जीवन एक रंगमंच के नाटक के समान होता है जिसके अंत में तालियां भी मिल सकती हैं और गलियां भी। जीवन के रंगमंच पर हमने कैसा नाटक किया ? कौन सा किरदार निभाया ? और कैसी प्रस्तुति दी उसी के हिसाब से हमें तालियां प्राप्त होंगी। दोस्तों यदि जीवन में हमें तालियां अर्जित करनी हैं तो उसकी भूमिका भी हमें पहले ही रखनी होगी। स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी का जीवन एक हवा के झोंके के समान उड़कर चला जाता है और देखते ही देखते हम जीवन के उस पड़ाव पर आ खड़े होते हैं जहां हम, हमारा परिवार और हमारी जरूरतों के सिवाय कोई नहीं होता।
दौर बदल चुका है, आज बेसहारे को सहारा देने वाला कोई नहीं। आपको यदि कोई सहारा दे सकता है तो वह है आपके द्वारा बचाया गया पैसा। अतः जीवन में तालियां अर्जित करने के लिए हमें पैसे बचाने की भूमिका पहले से ही शुरू कर देनी चाहिए।
शौक पूर्ति पर एक नज़र:
शौक बड़ी चीज़ है क्योंकि यह हमें ख़ुशी देता है और खुश रहना जीवन के लिए लाभकारी है। एक युवा होने के नाते मैं शौक पूर्ति के खिलाफ नहीं बस उसमें संतुलन बनाकर रखना जरूरी है। एक महंगा मोबाइल फ़ोन, एक जोड़ी कीमती जूता, दो जोड़ी कीमती कपड़ा, एक कीमती चश्मा और अन्य वस्तु काफी है हमारे लिए। बाकि कुछ वस्तुयें, कपड़े, जूते, फ़ोन, चश्मा आदि सामान्य हो सस्ता हो तो क्या उसमें कोई बुराई है ? मेरे खयाल से नहीं !! बल्कि यही तो समझदारी है अतः कुछ महंगे शौक पूरे कर लेने चाहिए बाकि अपना जीवन सामान्य और सस्ते वस्तुओं के सहारे ही जीना चाहिए।
यह धारणा रखना की मैं जब भी कपड़ा पहनूंगा केवल ब्रांडेड ही पहनूंगा, मैं जब भी कुछ खरीदूंगा केवल महंगा ही खरीदूंगा सरासर गलत है। पैसे चाहे आप कमायें या घरवाले दें उसे ब्रांडेड वस्तु खरीदने में बर्बाद नहीं करना चाहिए। मैंने इस आर्टिकल की शुरुआत बचत से की है और ऊपर मैंने ये समझाया है की अपने शौक, अपने जरूरी खर्च पूरा करने के अलावा आप अपने कुल पैसे का कम से कम 10 प्रतिशत हिस्सा बचत में डालें। मैं आपके किसी शौक को पूरा करने के खिलाफ नहीं किन्तु आप पैसा बचायें ही नहीं अपने महंगे शौक की पूर्ति के लिए तो ये सिवाय बेवकूफी के कुछ नहीं।
कई बच्चे माँ बाप से महँगी मोटरबाइक खरीदने की ज़िद्द पर अड़ जाते हैं। क्या ये ज़िद्द वाज़िब है ? क्या जरूरी है की जब भी आप बाइक चलाएंगे वो 1 लाख या 1.5 लाख की होनी चाहिए ताकि आप किसी को इम्प्रेस कर सकें ? नहीं !! हर वक़्त पैसा खर्च करने या खर्च करवाने की ही ज़िद्द क्यों !! आज से आप एक ज़िद्द और अपने अंदर पैदा करिये और उसका नाम है “बचत” !
बुरी आदतों पर एक नज़र:
वैसे तो बुरी आदतें होनी ही नहीं चाहिए, लेकिन क्या करें आजकल हवा का रुख ही ऐसा है की अपने मन के बहाव को रोकना मुश्किल जो जाता है। सभी तो नहीं, मगर अधिकतर युवा नशे की गिरफ्त में अपना जीवन जी रहे हैं। सिगरेट, शराब, बियर, पान, बीड़ी और तंबाकू न सिर्फ हमारे जीवन के लिए खतरनाक है बल्कि यह हमारी घरेलु पूंजी को भी बर्बाद कर देता है।
चलिए मान लिया की आप नशे की लत से खुद को आज़ाद नहीं करवा पा रहे तो क्या उसे सीमित भी नहीं कर सकते ! बड़े शहरों में तो लड़के और लड़कियां दोनों ही अपने द्वारा कमाए पैसे का एक बड़ा हिस्सा नशे में नष्ट कर रहे हैं। नशे को भी आज के युवाओं ने शौक में शामिल कर लिया है, एक दिन में 10 सिगरेट जो पी रहा है वह तक़रीबन एक दिन में 250 रुपये धुंए में उड़ा दे रहा है अर्थात महीने का 7,500 और साल का 90,000 रूपया। अगर इसे सीधा आधा भी कर दूँ तो साल का 45,000 रुपया केवल धूम्रपान में नष्ट कर रहा है आज का युवा।
धूम्रपान के अतिरिक्त शराब, बियर, विस्की, वोडका, हुक्का, पान, गुटका जैसी अन्य नुक्सान दायक मादक पदार्थों के सेवन में युवा सालाना 50,000 तक रुपया खर्च कर दे रहे हैं। ये पैसे लाख रुपये तक चले जाते हैं जब क्लब, पब, डिस्को, बार जैसे स्थान पर मदिरा सेवन किया जाय। आखिर इससे मिलेगा क्या ? समय से पहले मृत्यु और कमाए पैसों की बर्बादी। इसके अतिरिक्त, कोई गंभीर लाइलाज बीमारी, चिकित्सा और डॉक्टर का खर्च।
क्या यही दिन देखने के लिए आपने पढ़ाई की लिखाई की ? मेरे खयाल से नहीं ! अगर कुछ बुरी आदतें लग भी जाएं तो उसे एक सीमा में बांध कर रखें; एक बुरी आदत अगर 10 और बुरी आदतों को जन्म दे रही है तब आप गलत रास्ते पर जा रहे हैं, पैसे की बचत तो दूर की बात है आप अपने जीवन की बचत नहीं नहीं कर पायेंगे।
पैसे कैसे बचाएं लेख का मकसद:
How to save money ? मेरे इस पूरे लेख का केंद्र बिंदु या मकसद केवल बचत पर ही आधारित है अतः आप बचत को निवेश की तरह ना लें। निवेश और बचत दोनों अलग बातें हैं। यदि आप भविष्य में अच्छे निवेशक बनना चाहते हैं तो पहले अच्छे बचत कर्ता के रूप में खुद को स्थापित करें। मैंने यह लेख आपको बचत के प्रति जागरूक करने हेतु लिखा है। मेरा अनुरोध है आप इसे पूरे मन से स्वीकारें मैं वादा करता हूँ बचत के 10 साल बाद आप अपने जीवन में ज्यादा आनंद महसूस करेंगे। यूँ तो बचत करने की शुरुआत हमें अपने कॉलेज यूनिवर्सिटी के दौर में ही कर देनी चाहिए; यदि आपने वह दौर गंवा दिया है तो आप अपने कमाई के दौर को ना गँवायें।
अगर आप पैसों के निवेश यानि Money Investment के विषय में जानना चाहते हैं तो आप मेरा पूर्व लेख निवेश के प्रमुख तरीके का अध्यन करें। निवेश बचत के बाद की कड़ी है क्योंकि जब तक पैसा होगा ही नहीं तब तक भला निवेश कैसे होगा ? दुनियां के बड़े निवेशक बचत और निवेश दोनों को साथ लेकर चलने की बात कहते हैं। उनका कहना है की आप आपने द्वारा कमाए हुए पैसे का पहला 2 भाग बचत और निवेश के लिए निकाल दें। बाकी बचा हिस्सा आप घरेलु खर्च, शौक का खर्च पूरा करने के लिए रहने दें।
फिलहाल आप बचत की शुरुआत करें, मुझे उम्मीद है आपने मेरा यह लेख Paise Kaise Bachaye को पूरे ध्यान से पढ़ा होगा। बचत के लिए मैंने शुरूआती तरीका रेकरिंग डिपाजिट का बताया, किन्तु आप अपनी कमाई के आधार पर फिक्स्ड डिपाजिट या बॉन्ड आदि में भी जमा करा सकते हैं। पैसा कैसे बचाएं, इसके आरंभ के लिए रेकरिंग डिपाजिट से बेहतर कुछ नहीं क्योंकि उसमें आप बेहद छोटी रकम जमा करा सकते हैं जिसपर ब्याज भी फिक्स्ड डिपाजिट के जैसा ही मिल जायेगा।
आगे यदि आप किसी खास विषय पर लेख चाहते हैं तो मुझे कमेंट करके बतायें।
धन्यवाद !
लेखक:
रवि प्रकाश शर्मा